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भूमि अधिग्रहण को रद्द किए जाने के फैसले को आम जनता की जीत

Posted on 07 July 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ग्रेटर नोयडा में अवैध तरीके से किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द किए जाने के फैसले को आम जनता की जीत बताया है। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि बड़े औद्यागिक घरानों को लाभ देने और लाभ लेने की बसपा सरकार की नीति पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से किसानों को राहत मिली है। उन्होंने प्रदेशा में पिछले सात वर्षो के दौरान नोयडा तथा उसके आसपास हुए भूमि अधिग्रहण व आंवटन पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग की।

पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि राज्य में हुए भूमि अधिग्रहण भू आवंटन पर श्वेतपत्र जारी कर सरकार बताए कि प्रदेश  में भूमि अधिग्रहण किस प्रयोजन से किया गया, किन दरों पर किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई और किन दरों पर भूमि को औद्योगिक समूहों को सौंपी गई साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाए कि अधिग्रहीत भूमि का भूउपयोग किन परिस्थितियों में बदला गया। उन्होंने कहा भाजपा शुरू से ही यह कहती आ रही है कि बसपा सरकार प्रदेश में कुछ बड़े औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों की जमीनों का औने-पौने दामों पर अधिग्रहण कर उनका उत्पीड़न कर रही है।

श्री पाठक ने कहा कि प्रदेशा में बसपा सरकार के गठन के साथ ही लाभ दो लाभ लो की संस्कृति पनपने लगी थी सरकार में बैठे लोग अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर बड़े औद्योगिक घरानों से डील करने लगे हैं। इन्हीं डील के परिणामस्वरूप सरकार और औद्योगिक घरानों की मिलीभगत से पूरे प्रदेशा में किसानों की जमीनों पर सरकार ने अधिग्रहण के नाम पर कब्जा करना शुरू कर दिया। अलीगढ़ में टप्पल, भट्टा परसौल ऐसे उदाहरण रहे हैं जब राज्य सरकार ने किसानों का उत्पीड़न कर उनकी जमीनों का औने-पौने दामों पर अधिग्रहण किया और बड़े औद्योगिक घरानों को इन अधिग्रहीत जमीनों को सौंप कर किसानों के साथ धोखा किया।

उन्होंने आरोप लगाया कि बसपा सुप्रीमो की किसानों के प्रति उपेक्षात्मक रवैये के कारण ही उनकी सरकार में अन्नदाता किसान खाद, बिजली के संकट से तो जूझते ही रहे साथ ही अपनी जमीनों को जबरन अधिग्रहीत करने के विरोध में पुलिसिया आतंक का शिकार भी बनना पड़ा। दूसरी तरफ बसपा सरकार का सारा ध्यान येन-केन-प्रकारेण बड़े औद्योगिक धराने को लाभ पहुंचाने पर केन्द्रित रहा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने राज्य सरकार की अधिग्रहण नीति को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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