किसानों के आर्थिक उन्नयन व तरक्की के लिए बनी सहकारी समितियां उनके दोहन व उत्पीड़न का पर्याय बनने लगीं हैं। जमुका किसान साधन सहकारी समिति पर हुआ फर्जीवाड़ा इसका प्रमाण है। यहां सचिव ने किसानों को विश्वास में लेकर उनसे हस्ताक्षरित चेक हथियाकर अपेक्षित खाद दे दी। बाद में इन्हीं चेकों पर बोरियों की संख्या बढ़ाकर उन्हें चूना लगा दिया।
समिति क्षेत्र के ग्राम सरसवां निवासी पीड़ित सुंदर सिंह पुत्र महाराम ने बताया कि उन्होंने 23 नवम्बर 2010 को जिला सहकारी बैंक की रोजा शाखा से चेक नम्बर 422098, 422099 से क्रमशरू 10 बोरी एनपीके और पर 20 बोरी यूरिया बतौर ऋण प्राप्त की। उस समय उन्हें 10090 रुपये के ऋण की जानकारी दी गई। 15 जून को जब सुंदर सिंह को 21202 रुपये की ऋण अदायगी का नोटिस मिला तो वह दंग रह गये। उन्होंने सचिव रामकृष्ण सक्सेना से सम्पर्क किया तो पता चला कि उनके नाम चेक नम्बर 422098 पर 10 बोरी एनपीके व 20 बोरी यूरिया तथा चेक नम्बर 422099 पर 20 बोरी डीएपी दर्ज है। जिसकी कीमत 20277 रुपये है। 795 रुपये का ब्याज शामिल करके उन्हें नोटिस भेजा गया है। कृषक सुंदर सिंह का कहना है कि वह तत्कालीन सचिव सुशील कुमार मिश्रा से मिला तो उन्होंने गबन को स्वीकारा और पैसा देने की बात की लेकिन अब टाल मटोल कर रहे हैं। इसी तरह निघोना के राजेन्द्र सिंह के खाते से रकम निकाल कर चपत लगाई गई।
कई और भी मामले रू जमुका किसान साधन सहकारी समित के सचिव रामकृष्ण सक्सेना ने बताया कि इसी तरह की तमाम शिकायतों की वजह से ही बोर्ड ने 18 मई की बैठक में सचिव सुशील मिश्रा को निलंबित कर दिया। चेकों से अधिक खाद निकाल कर किसानों को चपत लगाने के कई और भी मामले हैं, लेकिन एक को छोड़ किसी किसान ने लिखित शिकायत नहीं की।
जांच कराकर दिलाएंगे न्याय रू सहायक निबंधक सहकारी समितियां हरिश्चंद्र मिश्रा ने किसानों को न्याय दिलाए जाने का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा कि चेक से धनराशि तभी निकालना संभव है जब किसान के हस्ताक्षर हों। लेकिन फिर भी ऐसे मामलों के निस्तारण की एक विधिक प्रक्रिया है। जांच के बाद मामले को आर्बिटेशन में रखा जाता है। उन्होंने कहा कि शिकायत मिलने पर जांच कराई जाएगी, दोषी पाये जाने पर कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई के साथ ही किसानों को न्याय दिलाया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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