ऽ जून मांह मे सिविल न्यायालय बन्द, भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी की शह पर भू-माफियाओं ने ढाया जुल्म
ऽ हदबन्दी प्रकिया के अभाव में हो रहा यह खेल
शासन की मंशा सबको लुभावने न्याय दिलाने के लिये प्रयासरत तो जरूर है, परन्तु भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारियों व भू-माफियाआंे द्वारा किया जा रहा कृत्य न्याय को बौना साबित कर रहा है। ग्रामीण अंचलो में हदबन्दी प्रक्रिया लागू न किया जाना तथा जून माहं मे सिविल न्यायालय का काम काज ठप रहना, गोलबन्द दंवगो के लिये बरदान साबित हुआ है। ऐसे में कई ग्राम पंचायतेा में जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरित्रार्थ हो रही है।
विदित हो इन दिनो अधिकतर ग्राम पंचायतो में सबसे बडी समस्या मघ्यम वर्गीय व गरीब तबके के लोगों की है, जहां गेालबन्द दंवगो की तिरछी निगाहें हेाते ही मुशीबतों का पहाड टूट पड़ता है। पीड़ित परिवार के लोग दर-दर की ठोकरे खां व तिरस्कृत होने के उपरान्त भी न्याय की आश संजोये आला अधिकारियों के चैखट पर हाजिरी देते रहे है। भू संक्रमणीय हो या पटटे की, बैनामे दार हो या पुस्तैनी आबादी, सभी जगहांे पर भूमाफियाओं की निगाहें लगी रहती हंै। जहां अवसर पाते ही भूमाफिया नाना प्रकार के हथकण्डे अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास करते हंै। असफल होने पर भूमि विवाद अदालत की चैखट तक पहंुचा देते हैं। तत्पश्चात यहीं से शुरू होता है भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी तथा भू-माफियाओं का असली खेल।
सूत्रों अनुसार दर्जनो ऐसे मामले प्रकाश मे आये जिसमे सारे साक्ष्य व कागजात भू राजस्व अभिलेखों मे दर्ज होने के उपरान्त भी पात्र कब्जेदार सुविधा शुल्क अदा करने के अभाव में भ्रष्ट अमला अधिकारियो के केाप भाजन के शिकार हुये हैं। जहंा स्थानीय थाना पुलिस खाकी वर्दी का हनक दिखा निर्दोषों को बलि का बकरा बना दोषियों से मेाटी रकम वसूल कर उनकी पूरी मदद में जुट जाते हैं। सूत्रों की माने तो जनपद के अधिकंाश थाना व तहसील दिवसों पर शिकायतों की लम्बी फेहरिस्त रही है, जिसमे सबसे ज्यादा विवाद नाली,खडन्जा, नजूल भूमि, बन्जर, आबादी आदि जमीनो से सम्बन्धित रहा, परन्तु मौके पर निदान शून्य के बराबर ही हुआ। बताते चले कि कुडवार, धम्मौर, केातवाली देहात, लम्भुआ, हलियापुर बलीपुर, अखण्डनगर, जयसिंहपुर, मोतिगरपुर, दोस्तपुर, अलीगंज आदि थाना क्षेत्रा अन्र्तगत कई ऐसे मामले आये जिसमे स्थानीय थाना पुलिस की मदद से जून माह में बन्द सिविल न्यायालय के बन्द के चलते आबादी, बन्जर, परती आदि जमीनों पर अबैध कब्जा व निर्माण कराया गया। इसी कड़ी में थाना कुडवार अराजकतत्वों व अपराधियों केा संरक्षण देने में सबसे आगे रहा। धरावां गावं मे जमीन के छप्पर का विवाद, बेला में दलित उत्पीड़न का विवाद, ललित मोहन मिश्रा के पैतृक कंओं पर अबैध कब्जे करने का विवाद, सोहगौली के कामापुर गांव में पिण्टू बढ़ई को पुलिस उत्पीड़न के बल दवंगो द्वारा घर को कब्जा करने का प्रयास आदि मामले प्रमुख हैं, वहीं एक दैनिक समाचार के पत्रकार रामशंकर चैरसिया के परिवार पर जानलेवा हमला के उपरान्त विपक्षियो से भारी धनउगाही के बल अपराधियो को सरंक्षण देना प्रमुख रहा। उक्त घटनाओं से सम्बन्धित पीड़ितों ने न्याय की फरियाद जनपद के उच्चाधिकारियो से की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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