एन0बी0आर0आई0 द्वारा संचालित पान अनुसंधान केन्द्र को वर्ष 2002-2003 में बंद कर दिया गया था। महोबा में पहले 400 एकड़ में पान की खेती होती थी। केन्द्र बंद हो जाने के बाद पान कृषि से सम्बन्धित सभी अनुसंधान तथा समय-समय पर पान किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण/मार्गदर्शक मिलना बंद हो गया जिसके कारण विभिन्न रोगों से पान कृषि ग्रसित होने लगी। पान कृषि का रकबा धीरे-धीरे सिकुड़ कर 400 एकड़ से 60 एकड़ पर आ गया। इसी क्रम में एन0बी0आर0आई0 के निदेशक सी0एस0 नौटियाल से छोटे लाल चैरसिया के नेतृत्व मंे प्रान्तीय सभा का एक प्रतिनिधि मंडल 6 जून 2011 को मिलो एवं पान किसानों की समस्याओं से अवगत कराते हुये पान अनुसंधान केन्द्र को पुनः खोले जाने का अनुरोध किया। श्री नौटियाल ने प्रथम मुलाकात में ही स्थिति का जायजा लेने हेतु महोबा जाने की तिथि निश्चित कर दी तथा 18 जून 2011 को प्रान्तीय सभा के पदाधिकारी छोटे लाल चैरसिया, महामंत्री, एस0एन0 चैरसिया, सचिव, अनार चन्द्र चैरसिया कोषाध्यक्ष, संस्थान के वैज्ञानिक राम सेवक चैरसिया के साथ महोबा गये। महोबा में स्थानीय पान किसान वासदेव, लालता प्रसाद, विनोद चैरसिया आदि से मिले। पान के बरेजों मंे स्वयं जाकर पान फसल को देखा तथा पान कृषि में आने वाली विभिन्न समस्याओं को पान किसानांे से सुना। श्री नौटियाल ने सैकड़ों पान किसानों को सम्बोधित करते हुये पान किसानों की मांग को जायज ठहराते हुये स्पष्ट किया कि पान किसानों के पास जमीन कम है। आय के संसाधन भी कम है। उनके आय के साधन बड़ाने, पान फसल का क्षेत्रफल कैसे बढ़े और महोबा पान अपने पूर्ववर्ती स्वरुप मंे कैसे आये इस पर वे अगले सप्ताह से ही कार्य प्रारम्भ कर देंगे। पान किसानों की आय में वृद्धि व स्थिति में सुधार हेतु उन्होंने पान उत्पादक सहकारी समिति बनाकर सामूहिक खेती करें, किसी एक किसान की फसल हानि मंे उसकी भरपाई शेष सदस्यों द्वारा की जाय, समूहों मंे महिलाओं की भी भागीदारी सुनिश्चित करने, प्रथम बार एक एकड़ के वरेजों के पाॅच अथवा 1/2 एकड़ वरेजों के 10 गु्रप बनाने, जिनमें से माडल के रूप में एक ग्रुप एन0बी0आर0आई0 एडाप्ट करेगी। शेष समूहों को माडल ग्रुप के आधार पर कार्य करना होगा, पान वरेजों में कठिन कार्य हेतु बाहरी मजदूर लगाने व शेष कार्यो को घर की वयस्क महिलाओं को लगाकर कराने तथा उन्हें पारिश्रमक दिये जाने, उनकी आय मंे वृद्धि करने, पान प्रजातियों का जीन बैंक बंथरा स्थित केन्द्र मंे बनाये जाने, महोबा तथा अन्य पान उत्पादक क्षेत्रों मंे पान किसानों की समय-समय पर गोष्ठी कर उन्हें प्रशिक्षण दिलाये जाने का आश्वासन दिया गया। श्री नौटियाल ने स्थानीय उपयोगी जड़ी-बूटियों से संग्रहण सम्बंधी कार्य भी पान किसानों द्वारा करने व उनकी उपयोगिता/पहचान पर परामर्श एन0बी0आर0आई0 द्वारा दिलाये जाने का सुझाव दिया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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