मोमिन कान्फ्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हाजी मो0 रईस अन्सारी ने अपनी पार्टी को कांग्रेस में विलय करने के बाद कहा कि मोमिन कान्फ्रेंस और कांगे्रेस गठबंधन का इतिहास बहुत ही पुराना है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं0 जवाहर लाल नेहरू और मौलाना अबुल कलमा आजाद जैसे दिग्गज नेताओं के प्रयासों का ही नतीजा था। 1937 में देश के प्रथम असेम्बली चुनाव में मोमिन कान्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन से बिहार और उत्तर प्रदेश में जब सम्प्रदायिकता चरम सीमा पर थी मुस्लिम लीेग के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। यह मोमिन कान्फ्रेंस के प्रयासों से ही सम्भव हुआ था। मोमिन कान्फ्रेंस सदैव देश के विभाजन के खिलाफ रही आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम आजाद की अपील पर मोमिन कान्फ्रेंस का कांग्रेस में विलय हो गया और मोमिन कान्फ्रेंस एक सामाजिक संस्था बन गई। 1947 से 1989 तक मोमिन कान्फ्रेंस के लीडरों ने देश और प्रदेश की राजनीति में बहुत अहम भूमिका अदा की। बदले मंे कांग्रेस ने भी बुनकर समाज व मुसलमानों के मेहनतकश तबको को पूरा सम्मान दिया। केंद्र व प्रदेश मंे टिकट वितरण की क्रिया से लेकर राज्य सभा, विधान परिषद में नामांकन तथा संगठन के मुख्य पदों पर भी मोमिन कान्फ्रेंस के लोगों को समायोजित किया गया, बदले मंेे मोमिन कान्फ्रेंस ने इस बात के लिए कामयाब जद्दो-जहद की कि अंसारी बिरादरी बुनकर समाज मुस्लिम मेहनतकश बिरादरियों के लोग कांग्रेस के साथ हर चुनाव में मजबूती से खड़े रहे। 1968 में मुस्लिम मजलिस बनने के बाद भी अंसारी बिरादरी व बुनकर समाज कांग्र्रेस के साथ कंधे से कंधा लगाकर मदद करता रहा। मई 1976 में माननीय इंदिरा गांधी जी के कार्यकाल में मोमिन कान्फ्रेंस ने दिल्ली में ऐतिहासिक वृहद सम्मेलन का आयोजन किया। तदोपरान्त दिसम्बर 1985 में कांगे्रस के 100 साल पूरे होने पर मोमिन कान्फ्रेंस ने ऐतिहासिक वृहद सम्मेलन का आयोजन दिल्ली मंे किया जिसमें भारत के प्रधानमंत्री माननीय राजीव गांधी जी मुख्य अतिथि थे। मोमिन कान्फ्रेंस द्वारा आयोजित सम्मेलनों मंे पूरे भारत से अंसारी बिरादरी बुनकर समा व मुस्लिम मेहनतकश बिरादरियों के लोग शामिल हुए। इसी समय कांग्रेस सरकारों ने बुनकरों की भलाई और लाभ पहुंचाने के लिए कई आर्थिक पैकेज भी दिये। बाबरी मस्जिद शहीद होने के बाद कांग्रेस की लोकप्रियता में कमी आई, मोमिन कान्फ्रेंस और अंसारी बिरादरी के लोगांे को गैर कांग्रेसी सरकारों का समर्थन करना पड़ा यह हमारी सामाजिक मजबूरी थी। वर्ष 2000 में मोमिन कान्फ्रेंस ने सक्रिय राजनीति में पुनः प्रवेश किया उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के मिशन 2012 को सफल बनाने के लिए 9 जून 2011 को दिल्ली स्थित कांग्रेस के कंेद्रीय कार्यालय (ए0आई0सी0सी0भवन, 24 अकबर रोड) में अखिल भारतीय कांगे्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रभारी उ0प्र0 माननीय दिग्विजय सिंह जी की कयादत में मोमिन कान्फ्रेंस की प्रदेश कार्यकारिणी ने प्रदेश अध्यक्ष हाजी मो0 रईस अंसारी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण करके मोमिन कान्फ्रेंस का कांगे्रस मंे विलय कर दिया। उन्होंने कहा हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि पूर्व की भांति कांग्रेस-मोमिन कान्फ्रेंस का अतीत की तरह सम्मान करती रहेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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