प्रदेश की बसपा सरकार में थाने व चैकियाॅ जब तक बिकेंगी तब तक भ्रष्टाचार को खत्म होने की आशा लोगों का करना बेमानी होगी। दिन दहाड़े अपराध होना, मारपीट और चेन स्केचिंग होना बाद में एफआईआर होने के बाद भी पुलिस द्वारा समझौता करने का दबाव डालना इसका सबूत है। प्रशासन हो या शासन सब का कमीशन बॅधा होना, आये दिन अधिकारियों का, पत्रकारों की माफियाओं द्वारा हत्या होना बाद में लीपापोती होना सब भ्रष्टाचार जीता जागता नमूना है। रजिस्ट्री विभाग हो या तहसील,पुलिस चैकी हो या थाना सब जगह बिना सुविधा शुल्क दिये बिना कल्याण होना नहीं है। थाने के थानेदार हों या किसी भी विभाग के प्रमुख अधिकारी सब इस बात को दबी जबान से स्वीकारतें हैं कि घोटाला या गलत कार्य करने के लिए हम मजबूर हो जाते हैं। सूत्रों द्वारा ज्ञात हुआ है कि थानों में तैनाती के लिए बोली लगाई जाती है। नो इण्ट्री में ट्रकों व ट्रैक्टरों का शहर में प्रवेश होना स्वयं कानून बनाना व तोड़ना इसका प्रमाण है। थाने में एफआईआर का न लिखना बाद में लिखना यह भी भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करती है। कुछ अधिकारियों ने अपना नाम गुप्त रखने पर बताया कि प्रत्येक माह एक बॅधी रकम निश्चित समय पर नियत स्थान पर पहुॅचाना होता है। जिस माह हमारे स्तर पर देरी हुई नहीं कि हमारा स्थानान्तरण होना निश्चित है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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