वतन की रक्षा में प्राणों की परवाह न करते हुए अंग्रेजों के छक्के छुड़ाते हुए अपने जीवन की आहुति देने वाले अमर शहीद पं. रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रौशन सिंह की नगरी शाहजहांपुर आज नशे की गिरफ्त में है। जनपद के युवा सिगरेट से लेकर स्मैक, नशीली दवाएं, इंजेक्शन और मादक सीरप का सहारा ले रहे हैं। चेन स्नेचिंग, बाइक चोरी आदि की वारदात बढऩे का सबसे कारण नशे को ही बताया जा रहा है।
जलालाबाद व तिलहर तहसील में अफीम, स्मैक व हेरोइन का धंधा बड़े पैमाने पर होता है। जलालाबाद में होने वाली अफीम की खेती के लिए लाइसेंस व सीमा तय है लेकिन उत्पादन कम दर्शाकर इसकी तस्करी की जाती है। कोतवाली क्षेत्र में बंकाघाट व मिशन स्कूल फील्ड इस कारोबार के लिए बदनाम है। शहर में स्मैक की आधी पुडिय़ा 55 तथा पूरी 110 रुपये में मिलती है। एक बार नशा करने पर इसका असर 12 घंटे तक रहता है। महिलाएं भी इस नशे की आदी होती जा रही है। झोपड़-पट्टी, रोडवेज व रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थानों पर लोग नशे की मस्ती में डूबे मिल जाएंगे।
हर साल कुंतलों भांग का कारोबार होता है। परचूनी व कुछ मेडिकल स्टोरों पर पेट दर्द के चूर्ण के नाम से बिकने वाली भांग की पुडिय़ों की मांग भी ज्यादा है। शहर में ठंड़ाई पीने का चलन भी नशेडिय़ों में बढ़ता जा रहा है।
नशीली दवाओं का नशा युवाओं की पहली पसंद बनता जा रहा है। क्योंकि इनमें महक नहीं आती, और मेडिकल स्टोरों पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है। कंपोज, क्लोजिपाम, लोनाजिपाम, पेन्टोफिल, नाइट्राबिट, गार्डिनाल, डायजीपाम, फेनरगान सहित सैंकड़ों की संख्या में नशीली दवाएं, सीरप व नशीले इंजेक्शन बाजार में उपलब्ध है।
जिला कैमिस्ट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष नरेश चंद्र का कहना है कि जिले में नशीली दवाओं का सालाना कारोबार करोड़ों रुपये में है। वर्तमान में लगभग 500 नशे की दवाएं बाजार में मौजूद है। रोजाना बड़ी संख्या में युवा मेडिकल स्टोरों से नशीली दवाएं खरीदकर ले जाते हैं।
छात्रसंघ पूर्व अध्यक्ष अरविंद सिंह ने कहा कि सरकार की दोहरी नीति सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। एक तरफ तो मद्यनिषेध विभाग के जरिए नशाबंदी पर जोर दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर आबकारी विभाग पर राजस्व बढ़ाने का दबाव। सिगरेट व स्मैक को संरक्षण कौन दे रहा है सब जानते हैं।
काउंसलर पूनम का कहना है कि अक्सर मां बाप का प्यार नहीं मिलने के कारण बच्चे नशा करने लगते है। अधिकांश परिवार टूटने के कारण नशे के आदि होते जा रहे है। नशे के लती को जोर जबरदस्ती से नहीं बल्कि समझा बुझाकर ही इस लत से छुटकारा दिलाया जा सकता है।
वहीं होम्योपैथिक चिकित्सक रवि मोहन का कहना है कि ज्यादा समय तक नशीली दवाओं का सेवन करने से शरीर में गंभीर रोग हो जाते हैं। इंजेक्शन व कफ सीरप भी नुकसानदेय हैं। इनका असर किडनी पर भी पड़ता है।
अपने देश के कानून के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 47 के तहत मादक द्रव्यों की औषधि का प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन 1985 में अंतर्राष्ट्रीय सन्धि के बाद अफीम व उसे बने उत्पादों के कर्मिशियल प्रयोग पर रोक लगा दी गई थी। अधिवक्ता आशीष त्रिपाठी ने बताया कि अफीम की 5 ग्राम या उससे अधिक मात्रा पर 6 माह, 10 ग्राम पर 10 साल, तथा एक किलो या उससे अधिक पर मृत्युदंड का प्रावधान है। इसके अलावा मार्फिन, हेरोइन, की एक-एक किलो, कोकीन की 500 ग्राम, तथा हशीश की 200 ग्राम मात्रा पर मृत्युदंड दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करने वालों को 200 रुपये अर्थदण्ड, पब्लिक प्लेस पर शराब पीने पर 24 घंटे की सजा, 12 साल से अधिक किशोर को बाल सुधार गृह भेजे जाने के आदेश है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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