शाहजहांपुर- भूगर्भ जल विभाग खण्ड बरेली की क्षेत्रीय शाखा शाहजहांपुर के द्वारा आज विकास भवन स्थित सभागार में भूगर्भ जल दिवस के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए परियोजना निदेशक अशोक बाबू ने कहा कि जल संरक्षण एवं जल संचयन करने हेतु लोगों में व्यवहारिक रूप से जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है जिसके लिए हमें स्वयं ही इसकी पहल करनी होगी तथा दूसरे लोगों को भी ऐसा कने के लिए पे्ररित करना होगा। जिला कृषि अधिकारी चरन सिंह ने कहा कि मनुष्य के जीवन में प्रयुक्त होने वाले जल को अन्यत्र न बहाकर घरों व बाहर छोटे गढ्ढड्ढें व तालाबों के माध्यम से संचित किया जाये।
गोष्ठी का सम्बोधित करते हुए जिला गन्ना विकास अधिकारी ने कहा कि जल संचयन हेतु खेतों की गहरी जोताई की जाये तथा खर पतवार, पत्तियों, डंठलों आदि को खेत में न जलाकर यूं ही सडऩे हेतु छोड़ दियाजाये, जिसस जल संचयन एवं ह्यड्ढूमस की मात्रा बढ़े। वरिष्ठ शिक्षाविद एवं पत्रकार आफताब अख्तर ने कहा कि जिस तरह निर्माण कार्य तेजी से हो रहे है, यदि जल संचयन नहीं किया गया तो एक दिन जल की बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न होगी। मशहूर शायर अख्तर शहजहांपुरी साहब ने अपने अन्दाज में बयां करते हुए कहा कि-
खुश्क पोखर कुएं हुए खाली कितना नीचे उतर गया पानी। जिन्दगी किस तरह बचाओं गर किसी रोज मर गया पानी।
इस अवसर पर संतोष कुमार प्राविधिक सहायक ने भूगर्भ जल विभाग खण्ड बरेली के सीनियर जियोहाइड्रोलाजिस्ट के विचारों को अपने अंदाज में रखते हुए कहा कि पानी का संचयन सभी नागरिकों की नैतिक जिम्मेवारी है। यदि हम अभी नहीं चेते तो हमारी आने वाली पीढिय़ां हमको कभी माफ नहीं करेंगी। संगोष्ठड्ढी में सैयद मोहम्मद शोएब, अरूण वाजपेई, नगेंद्र सक्सेना, हिकमत उल्ला, सैयद मुश्ताक, अतुल कुमार गुप्ता, अमित आदि ने भी अपने विचार रखे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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