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एफसीआई के असहयोग से प्रभावित हो रही गेहूँ खरीद 49 डिपो में से 11 डिपो पर नहीं हो रहा काम 362.50 करोड़ की धनराशि का भुगतान लम्बित

Posted on 29 May 2011 by admin

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के असहयोग के कारण प्रदेश में गेहूं खरीद में वांछित तेजी नहीं आ रही है। गेहूं क्रय केन्द्रों से प्रेषित गेहूं को एफसीआई द्वारा प्राप्त करने में विलम्ब करने के कारण खरीद प्रभावित हो रही है। एफसीआई के इस रवैये से कई डिपो पर ट्रकों की लम्बी-लम्बी लाईनें लग जाती हैं, जिससे समय एवं धन बर्बाद होता है। एफसीआई किसानों को समय से भुगतान भी नहीं कर रहा है। उस पर अब तक 5,41,478 मीट्रिक टन गेहूं और 676.6 करोड़ रू0 के एकनाॅलेजमेन्ट बकाया हैं।

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। प्रवक्ता का कहना है कि विलम्ब से एकनाॅलेजमेन्ट मिलने के कारण क्रय एजेन्सियों को बिलिंग करने में कठिनाई हो रही है। यही नहीं जितनी धनराशि की बिलिंग हुई है उसका भी भुगतान एफसीआई द्वारा क्रय एजेन्सियों को नहीं किया गया। एफसीआई के इसी असहयोगात्मक रवैये का नतीजा है कि उसपर 362.50 करोड़ रूपये की भुगतान राशि बकाया है। जिससे क्रय केन्द्रों पर पर्याप्त धनराशि उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एडवांस के रूप में अपने संसाधनों से 190 करोड़ रूपये क्रय एजेन्सियों को दिया गया तथा क्रय एजेन्सियों द्वारा अपने संसाधनों से 1989 करोड़ रूपये की धनराशि की व्यवस्था की गयी। इसके बावजूद कई स्थानों पर क्रय एजेन्सियों द्वारा भुगतान के लिये लगाये गये चेक कैश नहीं हुए।

प्रवक्ता का कहना है कि इन हालात में भी प्रदेश सरकार गेहूं की खरीद में कोई भी कोताही नहीं होने दे रही है। हालांकि क्रय एजेन्सी के रूप में एफसीआई द्वारा गेहूं खरीद में प्रभावी योगदान नहीं किया गया। उसको आवंटित लक्ष्य एक लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष केवल 37 हजार मीट्रिक टन ही गेहूं खरीदा गया है, जो कि लक्ष्य का मात्र 37 प्रतिशत है। दूसरी ओर प्रदेश सरकार प्रदेश के 72 जनपदों में 4565 गेहूं खरीद केन्द्र संचालित कर किसानों से गेहूं खरीद करवा रही है। इसके लिए 9 क्रय एजेन्सियां संचालित हैं। अब तक 21.76 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। सभी केन्द्रों पर गेहूं की आवक तेजी से जारी है।

गौरतलब है कि खरीद गये गेहूं का भण्डारण एफसीआई को करना होता है और प्राप्त गेहूं का भुगतान भी यही एजेन्सी करती है। लेकिन एफसीआई की ओर से इस मामले में कोई गम्भीरता नहीं दिखायी जा रही है। गेहूं की आवक को देखते हुए इसके भण्डारण की व्यवस्था भी एफसीआई नहीं कर पा रही है। बस्ती, गोरखपुर, बरेली और आजमगढ़ मण्डल में भण्डारण की समस्या बनी हुई है। प्रदेश सरकार द्वारा ऐसे स्थानों पर जहां भण्डारण की कमी है, वहां से रैक मूवमेन्ट द्वारा प्रदेश के अन्दर ही गेहूं के संचरण के लिए एफसीआई से अनुरोध किया गया था परन्तु अभी तक कोई प्रभावी कार्यवाही इस दिशा में न होने से भण्डारण की समस्या उत्पन्न हो रही है।

एफसीआई के 49 डिपो में से 11 डिपो श्रमिक समस्या से ग्रसित होने के कारण अक्रियाशील हैं। इस सम्बन्ध में एफसीआई द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने से भण्डारण की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। गेहूँ खरीद सीजन में भुगतान की व्यवस्था सुलभ करने के लिए एफसीआई से 07 अस्थायी भुगतान कार्यालय कुशीनगर, बस्ती, पीलीभीत, इटावा, हरदोई, फर्रूखाबाद एवं मिर्जापुर में खोलने का अनुरोध किया गया था, परन्तु अनेक प्रयासों के बाद भी किसी भी स्थान पर पूर्णरूपेण अस्थायी भुगतान कार्यालय नहीं खुले हैं, जिससे भी भुगतान प्रभावित हो रहा है। कई स्थानों पर एफसीआई के श्रमिकों द्वारा ‘‘वर्क टू रूल’’ से गेहूँ का उतार प्रभावित हुआ है। कई जगहों से यह भी शिकायतें मिली हैं कि एफसीआई के श्रमिक कार्य पर देर से आते हैं और जल्दी चले जाते हैं। प्रदेश के अधिकारियों ने इस सम्बन्ध में एफसीआई के उच्च स्तरीय अधिकारियों का ध्यानाकर्षण किया, परन्तु इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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