राज्य सरकार का यह निर्णय मुस्लिमों को खुश करने के लिए
भारतीय गोवंश रक्षण संवर्धन परिषद ने आज राज्य सरकार की तीखी आलोचना की है। खाल व चमड़ा उद्योग से मंडी शुल्क व विकास सेस को हटाने के निर्णय को परिषद ने राज्य सरकार का जीव-हत्या को बढ़ाने वाले क्रूर निर्णय की संज्ञा दी।
परिषद के उ0प्र0 व उत्तरांचल के क्षेत्र प्रमुख (गोरक्षा) वासुदेव पटेल ने स्टेशन रोड स्थित विहिप कार्यालय श्रीराम भवन में प्रान्तीय गोरक्षकों की बैठक की जिसमें इस विषय पर विशेष चर्चा की गई कि केवल मुसलमानों को खुश और मालामाल करने के लिए मायावती सरकार ने पशुओं के जीवन का सौदा जिस तरह से किया है कि मनुष्यों की आने वाली नस्लें कभी भी इस सरकार को माफ नहीं करेंगीं।
श्री पटेल ने कहा कि खाल व चमड़ा उद्योग केवल पशुओं की हत्या पर आधारित उद्योग है। इसमें भेैसों के साथ न जाने कितनी गायें-बैल, बछड़े व बछिया भी कट जाएंगें, जैसा आज भी हो रहा है। ऐसे में पशुवधशालाओं को हतोत्साहित करने के बजाय इन्हें प्रोत्साहित करने के पीछे मंशा क्या हो सकती है, समझा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि महानगरों में अरबों रूपए की लागत से स्लाॅटर हाऊसों को बनाने की योजना और उसके बाद बड़ौत में जैन मुनि के साथ क्रूरतम व अमानवीय व्यवहार करने के समय ही साबित हो गया था कि यह सरकार कुछ और गलत कार्य करेगी। आज यह बात साबित हो गई है कि इस सरकार की अब खाल व चमड़ा उद्योग को और ज्यादा सुविधा देने के पीछे केवल मुसलमानों को खुश करने और गोहत्या व पशुहत्या को बढ़ावा देने की मंशा है।
बैठक में एडवोकेट व क्षेत्रीय विधि प्रमुख सुश्री अर्चना सिंह तोमर, प्रांतीय अध्यक्ष धनेन्द्र कुमार जैन, हरि कृष्ण अरोड़ा, अशोक जी अग्रवाल, एडवोकेट बाल गंगाधर त्रिपाठी, गंभीर चंद्र जैन, क्षेत्रीय मीडिया प्रमुख हेमेन्द्र प्रताप सिंह तोमर, एडवोकेट राम प्रताप सिंह चैहान, प्रेम सिंह, श्रीमती शीला काला, विभाग गोरक्षा प्रमुख अनुराग रचनात्मक, प्रभाकर सिंह, नवीन कुमार, रवि सलूजा, पुष्पा चुगानी, राजीव कुमार मिश्र, सचिन श्रीवास्तव इत्यादि प्रमुख लोग मौजूद थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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