महंगाई के विरोध में यूपीए सरकार के विरूद्घ 31 मई को होने वाले प्रदेश व्यापी धरना प्रदर्शन में भारी मात्रा में जुटने का आह्वान
बहुजन समाज पार्टी के तत्वावधान में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व की केन्द्रीय यूपीए सकार द्वारा पेट्राल की कीमतों में की गयी भारी वृद्घि के खिलाफ 31 मई को जिला मुख्यालय पर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन के जरिये देशव्यापी जन आन्दोलन किया जायेगा।
प्रेस वार्ता के दौरान प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा पेट्रोल की कीमतों में की गयी भारी वृद्घि घोर जन विरोधी है। केंद्र सरकार के इस फैसले से यह साबित हो गया है कि कांग्रेस पार्टी आम आदमी व गरीब जनता के हित के प्रति पूरी तहर असंवेदनशील हो गयी है तथा उसके दुख-दर्द से उसका कोई सरोकार नहीं है। देश में पेट्रोल की कीमतों में भारी वृद्घि करके, इसकी आड़ में महंगाई को ज्यादा बढ़ाने वाली यूपीए सरकार के इस घातक कदम को तत्काल वापस लेने की मांग को लेकर विधानसभा आम चुनााव के नतीजे आते ही कांग्रेस के नेतृत्व की केंद्रीय सरकार ने अपना असली जन विरोध चेहरा देश की जनता को दिखा दिया है। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी और महंगाई एक-दूसरे के पर्याय बन गये है। श्री वर्मा ने कहा कि पेट्रोल के मूल्य वृद्घि करने के बाद अब केंद्र सरकार डीजल, मिट्टड्ढी का तेल और रसोई गैस के दामों में वृद्घि करने जा रही है, जिससे आम आदमी का जीवन और भी कठिन हो जायेगा। केंद्र सरकार के अब तक के रिकार्ड व रवैये को ध्यान में रखते हुए यह बढ़ोत्तरी किसी भी समय हो सकती है। पेट्रोल सहित डीजल, गैस व मिट्टड्ढी के तेल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्घि देश में हर तरफ बेतहाशा महंगाई का एक बहुत बड़ा कारण बनकर, समस्त गरीब व मध्यम वर्गाे के लिए बहुत बड़ी कठिन समस्या आ गयी है, जबकि पेट्रोल से जुड़े उत्पादों में केंद्र सरकार द्वारा की जा रही बार-बार वृद्घि के बावजूद, उत्तर-प्रदेश की आम जनता को राहत पहुंचाने के लिये बसपा सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की जानकारी देते हुए अवधेश वर्मा ने कहा कि बहन मायावती के आदेश से 7 जून 2008 से उत्तर प्रदेश में घरेलू उपयोग वाली रसोई गैस को कर-मुक्त किया जा चुका है। इसके आलावा, किसानों को राहत पहुंचाने के इरादे से डीजल पर वैट की दर को 21 प्रतिशत से घटाकर 17.23 प्रतिशत किया जा चुका है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकारी राशन दुकानों को वितरित किये जाने वाले मिट्टड्ढी के तेल पर वैट की दर को भी घटाकर पांच प्रतिशत किया जा चुका है। लेकिन यूपीए सरकार ने अभी हाल ही में पांच राज्यों में हुये विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही पेट्रोल कीमतों में की गयी भारी वृद्घि से देशव्यापी महंगाई में और इजाफा कर दिया। इससे स्पष्टड्ढ है कि केंद्र सरकार को एजेण्डे के घाटे की तो चिंता है, लेकिन पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से जनता को होने वाली दिक्कत से कोई लेना-देना नहीं है। केंद्र सरकार का यह फैसला उसकी गलत आर्थिक नीति का जीता-जागता उदाहरण है।
01 अप्रैल 2008 से अब तक कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने पेट्रोल की कीमतों में 12 बार बढोत्तरी की है। उत्तर प्रदेश में पेट्रोल की कीमत 48.30 रूपये से बढ़कर 68.46 रूपए प्रति लीटर हो गयी है। फरवरी 2011 में अन्तर्राष्टड्ढ्रीय बाजार में कच्चे तेल की दर 120 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गयी थी। उस समय राज्यों में होने वाले विधानसभा आम चुनाव के मद्देनजर लाखों करोड़ों रूपए के महा-घोटालों से घिरी केंद्र सरकार ने घबराकर तेल कम्पनियों को पेट्रोल की कीमतों में वृद्घि करने से रोक दिया था। जून 2010 से पेट्रोल की कीमतें सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो गयी और अब अब अन्तर्राष्टड्ढ्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत घटकर लगभग 99 डॉलर प्रति बैरल हो गयी है, तब यूपीए सरकार ने पेट्रोल के दामों में प्रति लीटर 05 रूपए से अधिक की वृद्घि कर दी। केंद्र सरकार का यह फैसला पूरी तरह स्वार्थ से प्रेरित तथा राजनैतिक है। जिसका कोई आर्थिक आधार नहीं है। यूपीए की सरकार ने वर्ष 2009 में लोकसभा के पहले पेट्रोल पदार्थाे के दामों को घटा दिया था और केंद्र की सत्ता में फिर से वापसी होते ही पूंजीपतियों के चंगुल में फंसी इसी सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी कर दी। कांग्रेस का हाथ गरीबों व आम जनता के साथ नहीं हैं, बल्कि पूंजीपतियों और धन्नासेठों के साथ है।
केंद्र सरकार यदि जनता के हितों के प्रति संवेदनशील होती तो कारपोरेट पूंजीपतियों को 4.5 लाख करोड़ रूपये की सब्सिडी राहत का कुछ अंश पेट्रोल को प्रदान कर इसकी कीमतों में वृद्घि को रोक सकती थी। पिछले कुछ वर्षाे के दौरान भारत सरकार के टैक्स राजस्व में भारी बढोत्तरी हुई है। यूपीए सरकार अपनी इस निधि के कुछ अंश का सदुपयोग पेट्रोल कीमतों में वृद्घि को रोकने के लिए कर सकती थी। अब यह एक बार फिर साबित हो गया है कि कांग्रेस गरीब जनता के साथ न होकर पूंजीपतियों के लिए कार्य करती है। तेल कम्पनियों के घाटे का रोना-रोने वाली यूपीए सरकार जनता के सामने तेल की अन्तर्राष्टड्ढ्रीय कीमतों व उस पर लगाये गये टैक्स तथा तेल कम्पनियों सेे मिलने वाले मार्जिन का कभी खुलासा नहीं किया। तेल कम्पनियां रिजर्व एवं सरप्लस के तौर पर हजारों करोड़ रूपए की धनराशि अपनी बैलेंसशीट में किस प्रकार दिखाती रही है। इस बात का खुलासा जनता के सामने केंद्र सरकार को करना चाहिए।
श्री वर्मा ने केंद्र सरकार से अपनी आर्थिक व पेट्रोलियम नीति में परिवर्तन करके इसे जन-कल्याणकारी व गरीब-हितैषी बनाना चाहिए। इस मांग को और अधिक बल देने के लिए हमारी पार्टी, कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र की यूपीए सरकार द्वारा पेट्रोल की कीमतों में की गयी वृद्घि के खिलाफ 31 मई को प्रातरू 11 बजे एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन के जरिये देशव्यापी जन-आंदोलन की शुरूआत करने का फैसला लिया है। पार्टी के कार्यकर्ताओं का आह्वड्ढान करते हुए उन्होंने कहा कि धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में आकर सफल बनाने में सहयोग करे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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