सहाराश्री को सम्मान देकर गौरवान्वित हुई मिथिला की धरती और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय: राज्यपाल
जहां ‘अ आ इ ई’ सीखा वहीं डी-लिट की मानद् उपाधि से सम्मानित होकर काफी खुश हूं: सहाराश्री
दरभंगा, 16 मई, 2011: सहारा इंडिया परिवार के मुख्य अभिभावक सहाराश्री सुब्रत राॅय सहारा को उच्च शिक्षा का सर्वोच्च संस्थान ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने शिक्षा की सर्वोच्च मानद् उपाधि डी-लिट से सम्मानित किया। सहाराश्री को आज यहां एक भव्य समारोह में डी-लिट की यह मानद् उपाधि उनके व्यवसाय और समाजिक कार्यों में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए दी गयी।
इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति देवानन्द कंुवर ने कहा कि डी-लिट की इस मानद् उपाधि से सहाराश्री को सम्मानित कर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और मिथिला की धरती खुद को सम्मानित महसूस कर रही है। वर्ष 1972 में स्थापित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय प्रशासन ने व्यवसाय और समाजिक कार्यों के लिए किसी शख्शियत को डी-लिट की मानद् उपाधि से सम्मानित किया है। श्री कुंवर ने कहा कि सुब्रत राॅय सहारा इस सम्मान के सही हकदार हैं। मुझे उन्हें अपने हाथों से सम्मानित करते हुए हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। राज्यपाल ने कहा कि सुब्रत राॅय सहारा केवल एक व्यवसायी ही नहीं हैं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। देश में लोगों को रोजगार देने वाला सहारा इंडिया परिवार भारतीय रेलवे के समकक्ष है।
समारोह में उच्च शिक्षा की सबसे बड़ी मानद् उपाधि को एक विद्यार्थी की तरह ग्रहण करते हुए सहाराश्री सुब्रत राॅय सहारा ने कहा कि यह एक अजीब सुखद संयोग है कि मैंने वर्ष 1951 में दरभंगा के हसनपुर चैक में ही ‘अ आ इ ई’ की पढ़ाई शुरू की थी और आज उसी धरती पर मुझे डी-लिट की मानद् उपाधि से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने अपने साथ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों और विषयों में डी-लिट, पीएचडी व स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करने वाले कुल 206 छात्र-छात्राओं से मुखातिब होते हुए कहा कि मैं आज बहुत खुश हूं। इस खुशी को व्यक्त करने को हमारे पास शब्द नहीं है। सहाराश्री ने बड़े ही बेबाकी और ईमानदारी से कहा कि मैं खुद को इतनी बड़ी मानद् उपाधि का हकदार नहीं मानता, क्योंकि सम्मान देना या पाना बहुत बड़ी चीज है।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के बहुद्देशीय भवन के खचाखच भरे सभागार में सहाराश्री ने बिहार की धरती से अपना नाता बताते हुए कहा कि मैंने हाईस्कूल की परीक्षा यहीं से पास की थी। बाद में पिताजी के गोरखपुर चले जाने के कारण मैं उनके साथ गोरखपुर चला गया। उन्होंने कहा कि ‘सम्मान’ बहुत बड़ी चीज होती है। यह भावनाओं की उपज है। मैं इसका सम्मान करता हूं, क्योंकि मैं तो भावनाओं के साथ जीता हूं और भावनाओं के साथ ही चलता हूं। उन्होंने महामहिम के बारे में कहा कि जिसके पास इतनी अच्छी भावनाएं हों उसे समाज में उतनी ही बड़ी जिम्मेवारी मिलनी चाहिए। इस अवसर पर सहारा इंडिया परिवार की डिप्टी मैनेजिंग वर्कर व सहाराश्री की धर्मपत्नी श्रीमती स्वप्ना राॅय भी मौजूद थीं।
इससे पूर्व दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आये प्रख्यात गांधीवादी विचारक डाॅ. रजी अहमद ने भी संबोधित किया। इसके अलावा इस तृतीय दीक्षान्त समारोह में कुलपति डाॅ. समरेन्द्र प्रताप सिंह ने राज्यपाल सह कुलाधिपति देवानन्द कुंवर और गांधीवादी विचारक डाॅ. रजी अहमद को मंच पर आमंत्रित किया, जबकि दीक्षान्त समारोह में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ. बी.एन. सिंह और कुलसचिव डाॅ. विमल कुमार भी मौजूद थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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