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जी एम आर एस तकनीक ने अपंग होने से बचाया

Posted on 15 May 2011 by admin

लांग बोन में पाया जाने वाला अति दुर्लभ एडमेंटोमा नामक ट्यूमर का आपरेषन करके आज 62 वर्शीय सुषीला षर्मा को अपंग होने से बचा लिया गया। आपरेषन नगर के जोड़ प्रत्यारोपण विषेशज्ञ डा अभिशेक त्रिवेदी व डा राजेष बाजपेयी ने संयुक्त रूप से किया। 6 घण्टे से ज्यादा चले इस आपरेषन में श्रीमती षर्मा के जांघ में ट्यूमर से ग्रसित 12 सेमी मीटर से ज्यादा हिस्से को अलग करने के बाद वहां ग्लोब्युलर माड्यूलर रिप्लेसमेंट सिस्टम ;जी एम आर एसद्ध नामक तकनीक का प्रयोग किया गया। प्रदेष में इस प्रकार का यह पहला आपरेषन है जबकि लांग बोन में इस प्रकार के ट्यूमर होने का विष्व में पहला केस सामने आया है। इसी कारण इस पूरे आपरेषन की वीडियो रिकार्डिंे्रग की गयी है और इससे सम्बंधित सभी तथ्यों को जुटा कर इस केस के पेपर अक्टूबर माह में अमरीका में होने वाली अन्तर्राश्टीय कांफ्रेंस में प्रस्तुत किये जायेगें। इस प्रकार नार्थ स्टार हास्पिटल एण्ड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सेंटर प्रदेष में  जी एम आर एस तकनीक का प्रयोग करने वाला पहला सेंटर बन गया है। उक्त जानकारी आज एक पत्रकार वार्ता के दौरान डा अभिशेक त्रिवेदी,  डा राजेष बाजपेयी व अस्पताल के प्रबंध निदेषक षोभित जायसवाल नेे संयुक्त रूप से दी।

उन्होने आगे बताया कि पिछले एक सप्ताह पहले ही किदवई नगर निवासी श्रीमती सुषीला षर्मा अपने दाहिने पैर में दर्द की षिकायत लेकर उनके पास आयी थी जिस पर उन्होने एक्सरेे करवाया था एक्सरे देखने पर उन्हें किसी ट्यूमर के होने की आषंका लगी इस बात की पुश्टि के लिये एम आर आई कराया गया। अब टयूमर की प्रकृति जानने के लिये बायप्सी करवायी गयी तो पता चला कि एडमेंटोमा नामक यह कैंसरस ट्यूमर है। जो कि अति दुर्लभ किस्म का है और लोग बोन में इस ट्यूमर के पाये जाने का यह विष्व में पहला मामला है इससे पहले इस ट्यूमर के विष्व भर में केवल 5 केस और रिपोर्टेंड है।

जी एम आर एस तकनीक उपयोगिता के बारे में बतातंे हुये उन्होने कहा कि इस तकनीक से कैंसर रोगियों के अपंग होने से बच जायेगा। उनके अनुसार अभी तक कैंसरस बोन ट्यूमर होने पर उस स्थान की पूरी बोन काट कर हटा दी जाती थी जिसके कारण रोगीें के अपंग होने का खतरा हो जाता था नगर में इस प्रकार का आपरेषन नही होता था ऐसे में रोगियों कों मुम्बई जाना पड़ता था किन्तु अब यह सुविधा नार्थ स्टार हास्पिटल में षुरू हो गयी है। इसी प्रकार इस तकनीक का प्रयोग ऐसे घायल लोगों में भी किया जाता है जिसमें बीच की पूरी हड्डी चूर चूर हो जाती है और बोन को ग्रो कराने के लिये कुछ भी नही बचता है। खराब से खराब केसों में इस तकनीक का प्रयोग करके लोगों को अपंग  होने से बचाया जा सकता है। इस तकनीक की अन्य उपयोगिताओं के बारे में बताते हुये डा त्रिवेदी ने कहा कि ऐसे घुटना प्रत्यारोपण जो किसी कारण से सफल नही हो पाये ंहै और  आपरेषन के बावजूद उनको चलने फिरने में बहुत परेषानी हो रही है ऐसे रोगियों को भी इस तकनीक से राहत दिलाई जा सकती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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