उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने कहा है कि बी0पी0एल0 कार्ड धारकों तथा उ0प्र0 मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना के लाभार्थियों के लिए निःशुल्क पैरवी की अभूतपूर्व सुविधा दिलाने के राज्य सरकार के फैसले को सरकारी वकील मिशनरी भावना, लगन व निष्ठा से लागू करायंे। उन्होंने जिला स्तर पर कार्यरत सरकारी वकीलों की फीस दोगुनी करने की घोषणा करते हुए कहा कि जिला शासकीय अधिवक्ताओं को दी जाने वाली ड्राफ्टिंग फीस, पुस्तकालय एवं आशुलिपिक भत्ता आदि की वर्तमान दरों में भी बढ़ोत्तरी कर दी गयी है।
मुख्यमंत्री आज यहां इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, गोमती नगर में सर्वसमाज के बी0पी0एल0 कार्ड धारकों तथा उ0प्र0 मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना के लाभार्थियों की निःशुल्क पैरवी की अभूतपूर्व सुविधा सुनिश्चित करने हेतु सरकारी अधिवक्ताओं के सम्मेलन को सम्बोधित कर रहीं थीं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 13 मई, 2007 को उनकी पार्टी की पूर्ण बहुमत के आधार पर सरकार बनने पर देश में दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गाें में जन्में महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों में भी खासतौर से महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, नारायणा गुरू, बाबा साहेब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर व मान्यवर श्री कांशीराम जी आदि को विभिन्न रूपों में आदर-सम्मान देते हुए उनके बताए हुए रास्ते पर चलकर यहां प्रदेश में कानून-व्यवस्था, अपराध नियंत्रण एवं विकास व जनहित के मामलों में सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की नीति पर सरकार चलायी है। उन्होेंने कहा कि राज्य सरकार ने सर्वसमाज में से दलित, शोषित एवं गरीब वर्गों के हितों का हर मामलें का ध्यान रखकर इनके लिए अनेकों महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक निर्णय लिये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी क्रम में राज्य सरकार ने “14 अप्रैल, 2011” को “परम पूज्य बाबा साहेब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर” की 120वीं जयन्ती के शुभ अवसर पर एक ऐतिहासिक फैसला लिया, जो पूरे देश में इस तरह का पहला फैसला है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने “बी0पी0एल0 कार्ड धारकों” तथा “उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना” के लाभार्थियों के सभी प्रकार के लम्बित व दायर किए जाने वाले मुकदमें, जिसमें सरकार विपक्षी पार्टी नहीं है, उनमें सरकारी वकील इन गरीबों की तरफ से निःशुल्क पैरवी करेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि उनकी सरकार के इस महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक फैसले से अब कोई गरीब धन के कारण अपने वाजिब हक से वंचित नहीं होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा 14 अप्रैल, 2011 को ही उनकी सरकार ने माननीय उच्च न्यायालय एवं अधिवक्ताओं के हित में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे। जिसमें वकीलों के हितों व कल्याण के लिए न्यासी समिति को 60 करोड़ रूपये देने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि इस धनराशि से खासतौर पर अधिवक्ताओं का बीमा, दिवंगत अधिवक्ताओं की विधवाओं को पेंशन, प्रदेश में अधिवक्ताओं के नए चैम्बर आदि का निर्माण तथा बार एसोसियेशन में पुस्तकालयों व कम्प्यूटर की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के नवीन भवन के निर्माण का मामला काफी समय से लम्बित चल रहा है, जिसके लिए भारत सरकार द्वारा अभी तक अपने अंश की धनराशि अवमुक्त नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि इस भवन के निर्माण पर आने वाले कुल व्यय के 70 प्रतिशत अंश अर्थात् राज्य सरकार के हिस्से की लगभग 500 करोड़ रूपये की धनराशि उपलब्ध कराने का भी फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि इस निर्माण हेतु यदि अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता होगी तो उसे भी राज्य सरकार अवश्य उपलब्ध करायेगी। इसी के साथ माननीय उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशगणों के उपयोगार्थ पुस्तकालय एवं माननीय न्यायधीशगण की अन्य सुविधाआंे के लिए 50 करोड़ रूपये की अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी।
मुख्यमंत्री ने जिला स्तर पर कार्यरत सरकारी वकीलों के सम्बन्ध में लिए गए निर्णय की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि सरकारी मुकदमों की पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं की फीस काफी कम है। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि अगर अधिवक्ताआंे की फीस ठीक नहीं होगी, तो वे पूरी तैयारी के साथ सरकार का और गरीबों का पक्ष नहीं रख पायेंगे। इसे ध्यान में रखते हुए माननीय उच्च न्यायालय में प्रदेश सरकार का पक्ष रखने वाले अधिवक्ताओं की फीस में राज्य सरकार पहले ही बढ़ोत्तरी कर चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही जिला तथा तहसील स्तर पर सरकार का पक्ष रखने वाले सरकारी वकीलों की वर्तमान फीस के बारे में भी हमारी सरकार ने गम्भीरतापूर्वक विचार करते हुए फौजदारी, दीवानी तथा राजस्व के जिला शासकीय अधिवक्ताओं की रिटेनर फीस 03 हजार रूपये से बढ़ाकर 06 हजार रूपये प्रतिमाह तथा बहस हेतु 550 रूपये से बढ़ाकर 1100 रूपये प्रति कार्य दिवस कर दिया है। इसी प्रकार फौजदारी, दीवानी तथा राजस्व के अपर जिला शासकीय अधिवक्ता की रिटेनर फीस 2400 रूपये से बढ़ाकर 4800 रूपये प्रतिमाह तथा इनके बहस हेतु 500 रूपये प्रति कार्य दिवस से बढ़ाकर 1000 रूपये प्रति कार्य दिवस कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा फौजदारी, दीवानी तथा राजस्व के सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता/विशेष जिला शासकीय अधिवक्ता के रिटेनर तथा प्रति कार्य दिवस बहस फीस में बढ़ोत्तरी की गयी है। उन्होंने कहा कि अब इनकी रिटेनर फीस 2100 रूपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 4200 रूपये प्रतिमाह तथा बहस के लिए 500 रूपये प्रति कार्य दिवस फीस को बढ़ाकर 1000 रूपये प्रति कार्य दिवस कर दिया गया है। इसके साथ ही उप जिला शासकीय अधिवक्ता दीवानी की रिटेनर फीस 1800 रूपये से बढ़ाकर 3600 रूपये प्रतिमाह तथा बहस की फीस 425 रूपये से बढ़ाकर 850 रूपये प्रति कार्य दिवस कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नामिका वकील/न्याय मित्र के बहस फीस में भी बढ़ोत्तरी करते हुए प्रति कार्य दिवस 500 रूपये से बढ़ाकर 1000 रूपये प्रति कार्य दिवस करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने इस संबंध में शासनादेश निर्गत होने की जानकारी देते हुए बताया कि वे कोई घोषणा तभी करती हैं जब उससे संबंधित शासनादेश निर्गत हो जाये। माननीया मुख्यमंत्री जी की इन घोषणाओं का सरकारी अधिवक्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश राज्य सलाहकार परिषद के अध्यक्ष श्री सतीश चन्द्र मिश्र ने वकीलों की तरफ से माननीया मुख्यमंत्री जी को भरोसा दिलाया कि बी0पी0एल0 कार्ड धारकों एवं उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना के लाभार्थियों को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार द्वारा लिये गये निर्णय को सरकारी अधिवक्ता ईमानदारी से लागू करायेंगे।
इस अवसर पर, मंत्रिमण्डलीय सचिव श्री शशांक शेखर सिंह, महाधिवक्ता ज्योतिन्द्र मिश्र, मुख्य सचिव श्री अनूप मिश्र, प्रमुख सचिव गृह कुंवर फतेह बहादुर, पुलिस महानिदेशक करमवीर सिंह, प्रमुख सचिव न्याय श्री के0के0 शर्मा, प्रमुख सचिव विधान सभा श्री प्रदीप दुबे एवं शासन के वरिष्ठ अधिकारीगण तथा विभिन्न स्तरों के सरकारी अधिवक्ता उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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