सुलतानपुर - विकास खण्ड मोतिगरपुर के अन्तर्गत ग्राम पंचायत मैरी संग्राम को गाव के विकास के लिए शासन द्वारा भारी भरकम राशि उपलब्ध करायी गयी थी , जिसे ग्राम प्रधान ने कर्मचारियों की मिली भगत से बिना कार्य कराये ही धन का बन्दर बाट कर लिया।
ज्ञात को कि ग्राम पंचायत मैरी संग्राम पूर्व में अम्बेडकर ग्राम घोषित हुआ था। जिसके विकास के लिए सरकार द्वारा लाखों रूप्या दिया गया था परन्तु ग्राम प्रधान ने बिना कार्य कराये ही कर्मचारियों की मिली भगत से फर्जी तरीके से भुगतान कर लिया। जिसकी शिकायतकर ग्रामीणों ने जिलाधिकारी पिंकी जोवेल से जाच करने की मांग की है। विकास ख्सण्ड मोतिगरपुर के ग्राम पंचायत मैरी संग्राम जो पूर्व में अम्बेडकर गाॅव भी था। अम्बेडकर गाॅव के विकास के लिए सडक़ पानी, नाली, खड़ंजा, शौचालय, बृक्षारोपण आदि के लिए विशेष घ्यान दिया जाता है। जिसके लिए सरकार द्वारा भारी धन राशि उपलब्ध करायी गयी। परन्तु पूर्व प्रधान ने बिना ग्राम का विकास किए सरकार द्वारा भेजे गये धन का कर्मचारियों से मिल कर बंदर बाॅट कर लिया। विकास के लिए आया धन खत्म भी हो गया और न तो गाॅव में खडंजा लगा और नही किसी प्रकार की नाली का निर्माण हुआ। उक्त भ्रष्टाचार की जाच के लिए ग्रामीणों ने 2 मार्च को जिलाधिकारी पिंकी जोवेल से लिखित शिकायत करके पूर्व ग्राम प्रधान द्वारा किए घपलों की जाच की मांग की थी। परन्तु लगभग दो माह बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नही गयी। शिकायती पत्र द्वारा बताया गया है कि नई सड़क से कुटिया बाग तक के लिए ईंट के लिए एक लाख उनतालिस हजार दो सौ तथा मजदूरी के लिए इक्तीस हजार रूप्ये, हीरा लाल के घर से अभिलाष के घर तक खड़जा कार्य के लिए एक लाख चैवालिस हजार तथा मजदूरी के लिए बाईस हजार सात सौ मजदूरी के लिए, दुख हरन के नलकूप से अकारीपुर बार्डर तक खड़ंजा कार्य एक लाख अठारह हजार तीन सौ बीस तथा मजदूरी के लिस पच्चीस हजार चार सौ रू0 राम बदल के घर से पुलिया तक खड़ंजा कार्य हेतु एक लाख चैवालिस हजार तथा मजदूरी के लिए तेईस हजार रू0 1600 मीटर नाली में सिर्फ 700 मीटर ही नाली कर निर्माण हुआ लेकिन धन पूरा का पूरा खर्च कर दियाप गया। जब इस बारे में जब खण्ड विकास अधिकारी से जानकारी मांगी गयी तो उनके द्वारा कोई जानकारी उपलब्ध नही कराई गयी और कहा गया कि उक्त कार्य हमारे समय का नहीं है। पूर्व ग्राम प्रधान द्वारा गाव के विकास के लिए आये धन की दुरपयोग की समय रहते जाच नहीं की तो ग्रामीण आन्दोलन करने को बाध्य होंगे।