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सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय पारित आदेशों के अनुपालन में राज्य सरकार द्वारा शासनादेश जारी

Posted on 28 April 2011 by admin

लखनऊ - प्रदेश में अपनी मांगों की ओर ध्यान आकर्षित कराने के लिए विभिन्न संगठनों, वर्गों, राजनीतिक दलों अथवा नागरिकों द्वारा प्रायः धरना, प्रदर्शन, जुलूस, रैलियों आदि का आयोजन किया जाता है। इस प्रकार के कार्यक्रमों का शान्तिपूर्ण आयोजन किये जाने का लोकतान्त्रिक अधिकार है, परन्तु कई बार इस तरह के आयोजन हिंसक रूप धारण कर लेते हैं, जिसके कारण आराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और जनसामान्य को असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसको दृष्टिगत रखते हुए मा0 सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय पारित आदेशों के अनुपालन में राज्य सरकार द्वारा आज शासनादेश जारी करते हुए इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।
 

प्रमुख सचिव गृह श्री कुंवर फतेह बहादुर ने यह जानकारी आज लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित मीडिया सेन्टर में प्रेस प्रतिनिधियों को दी। उन्होंने सम्बन्धित अधिकारियों से इन आयोजनों के दौरान आम जनता को होने वाली कठिनाईयों एवं आन्दोलनों के दौरान सार्वजनिक एवं निजी सम्पत्तियों की क्षति तथा हिंसा की घटनाओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए इस पर प्रभावी अंकुश लगाने को कहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि जो अधिकारी इन दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने में असफल होंगे उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जायेगी।
 

प्रमुख सचिव ने कहा कि खासतौर से सड़क व रेल मार्ग को बाधित करने से न केवल सार्वजनिक यातायात अवरुद्ध हो जाता है, बल्कि जनसामान्य का आवागमन एवं आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति भी प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि इन आन्दोलनों के दौरान प्रायः सार्वजनिक एवं निजी सम्पत्तियों को भी हानि पहुॅचायी जाती है तथा इस प्रकार की गतिविधियों को नियंत्रित करने हेतु कई बार जिला प्रशासन को आवश्यक बल-प्रयोग करना पड़ता है, जिसके कारण सामान्य-जनजीवन अस्त-व्यस्त होता है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि इस तरह की गतिविधियों/प्रवृत्तियों पर प्रभावी अंकुश लगाया जाये और ऐसी व्यवस्था की जाये, जिससे शान्ति-व्यवस्था बनी रहे एवं सामान्य जन-जीवन प्रभावित न हो तथा सार्वजनिक एवं निजी सम्पत्तियों की क्षति को भी रोका जा सके।
 

श्री कुंवर फतेह बहादुर ने कहा कि लोकतंत्र में अपने विचारों, मांगों, अपेक्षाओं की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता संवैधानिक रूप से एक मूलभूत अधिकार है किन्तु इसका मतलब यह नहीं कि सार्वजनिक सेवाओं एवं सुविधाओं को बाधित करके सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया जाय। उन्होंने कहा कि इन्हीं घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुए मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक एवं निजी सम्पत्तियों को क्षति बनाम आन्ध्र प्रदेश सरकार व अन्य रिट याचिका के अन्तर्गत दिनांक 16 अपै्रल, 2009 को पारित अपने निर्णय में व्यापक दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
 

प्रमुख सचिव गृह ने कहा कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय में व्यक्त की गई अवधारणाओं के क्रम में राज्य सरकार द्वारा समस्त जिला मजिस्ट्रेट, मण्डलायुक्त, समस्त जिला प्रभारी पुलिस उपमहानिरीक्षक/ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक /पुलिस अधीक्षक, आई0जी0 व डी0आई0जी0 जोन को कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। जिसके तहत धरना-प्रदर्शन, हड़ताल अथवा जुलूस का आयोजन करने वाले पुलिस एवं प्रशासन से विचार-विमर्श करने के उपरान्त ऐसे आयोजन का स्थल, मार्ग, समय, पार्किंग एवं अन्य शर्तें निर्धारित करायेंगे।
 

श्री कुंवर फतेह बहादुर ने कहा कि जिला प्रशासन यह भी सुनिश्चित करेगा कि आयोजन हेतु स्थल, समय, आने एवं जाने का मार्ग, आयोजन में शामिल होने वाले लोगों की संख्या, पार्किंग आदि के सम्बन्ध में आयोजकों एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल बना रहे। उन्होंने कहा कि सड़क मार्ग अथवा रेल मार्ग से आने वाली जनता के आवागमन के सम्बन्ध में संबंधित विभाग से समय से सम्पर्क कर सुचारु व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाय। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही आयोजकों द्वारा इस आशय की अन्डरटेकिंग देनी होगी कि उनके द्वारा आयोजित धरना-प्रदर्शन अथवा हड़ताल शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न होंगे। इस आयोजन के लिए आवेदन एवं अन्डरटेकिंग का प्रारूप निर्धारित किया गया है।
 

प्रमुख सचिव ने कहा कि इन आयोजनों में सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र प्रतिबन्धित रहेंगे और ऐसे आयोजनों की जिला प्रशासन द्वारा वीडियोग्राफी कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट आवश्यकतानुसार जनपद में ऐसे धरना-प्रदर्शन स्थलों का निर्धारण कर व्यापक प्रचार-प्रसार करायेंगे, ताकि जनसामान्य को उसकी जानकारी हो सके। उन्होंने कहा कि तहसील स्तरीय धरना-प्रदर्शनों हेतु अनुमति उप जिला मजिस्ट्रेट/अपर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी की जायेगी। जिला मुख्यालय स्तरीय धरना-प्रदर्शनों हेतु अनुमति जिला मजिस्ट्रेट/अपर जिला मजिस्ट्रेट/सिटी मजिस्ट्रेट/उप जिला मजिस्ट्रेट (सदर) द्वारा जारी की जायेगी। उन्होंने कहा कि इन आयोजनों के संबंध में संबंधित थाना, स्थानीय अभिसूचना इकाई तथा यथा-आवश्यकता अन्य विभागों से रिपोर्ट प्राप्त कर निर्धारित प्रारूप पर अनुमति प्रदान की जायगी।
 

श्री कुंवर फतेह बहादुर ने कहा कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के आलोक में मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा रिट याचिका मोहम्मद सुजाऊद्दीन बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में आदेश पारित किये गये हैं, जिसके अनुपालन में 08 जनवरी, 2011 को शासनादेश जारी किया गया है, जिसमें सार्वजनिक एवं व्यक्तिगत सम्पत्तियों की क्षति के मूल्यांकन एवं क्षतिपूर्ति की व्यवस्था की गयी है।
 प्रमुख सचिव ने कहा कि राज्य की सुरक्षा, लोक व्यवस्था तथा शिष्टाचार एवं सदाचार के हितों को ध्यान में रखते हुए तथा समाज में साम्प्रदायिक एवं जातिगत सौहार्द बनाये रखने के उद्देश्य से धरना-प्रदर्शन के आयोजकों को जिला प्रशासन के सक्षम स्तर से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी। उन्होंने कहा कि समाज में साम्प्रदायिक/जातिगत सद्भाव व सौहार्द बना रहे, इसके लिए यह आवश्यक है कि किसी भी समुदाय के संतों, गुरूओं, महापुरुषों व महात्माओं की मूर्ति अथवा संस्था, संग्रहालय, संस्थान या धार्मिक स्थल की अवमानना अथवा क्षति पहुंचाने का प्रयास किसी दशा में न किया जाय।
 श्री कुंवर फतेह बहादुर ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा इन निर्देशों का उल्लंघन किया जाता है तो उसके विरूद्ध कानून के मुताबिक उचित कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि किसी भी सार्वजनिक अथवा निजी सम्पत्ति को कोई क्षति नहीं पहुंचायी जायेगी। यदि कोई सार्वजनिक अथवा निजी सम्पत्ति क्षतिग्रस्त की जाती है तो आयोजक से क्षतिपूर्ति की वसूली तथा उनके विरूद्ध विधिक कार्यवाही भी की जायेगी। उन्होंने कहा कि राजनैतिक आयोजनों की जिम्मेदारी सम्बन्धित राजनैतिक पार्टी के जिलाध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष की होगी।
 प्रमुख सचिव ने कहा कि सामाजिक, धार्मिक तथा अन्य आयोजनों की जिम्मेदारी संस्था के मुख्य पदाधिकारी की होगी। आयोजनों के दौरान सार्वजनिक सम्पत्तियों की हुई क्षति की वसूली इन उत्तरदायी व्यक्तियों से की जायेगी तथा इसका भुगतान न करने की दशा में क्षतिपूर्ति की धनराशि भू-राजस्व की भांति वसूल की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि साथ ही इन व्यवस्थाओं का पालन सुनिश्चित कराने में असफल रहने पर संबंधित अधिकारियों जैसे- थाना प्रभारी, सी0ओ0, ए0एस0पी0, एस0पी0, एस0एस0पी0/डी0आई0जी0, आई0जी0 तथा एस0डी0एम0, ए0डी0एम0, डी0एम0, कमिश्नर के विरुद्ध प्रकरण की गम्भीरता के आधार पर सुसंगत नियमों के अन्तर्गत परिनिन्दा प्रविष्टि, संचयी प्रभाव के साथ वेतन-वृद्धि रोकना, पदोन्न्ति रोकना पदावनति, निलम्बन/बर्खास्तगी की कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि इन निर्देशों के सम्बन्ध में राज्य सरकार की ओर से धरना, प्रदर्शन, जुलूस, रैलियों आदि के आयोजन हेतु निर्धारत आवेदन एवं अनुमति पत्र का प्रारूप संलग्न करते हुए शासनादेश जारी कर दिया गया है।
 श्री कुंवर फतेह बहादुर ने प्रदेश के विभिन्न संगठनों, वर्गों, सभी राजनैतिक दलों तथा नागरिकों से यह अपील की है कि वे प्रदेश में शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिए प्रायः आयोजित किये जाने वाले धरना-प्रदर्शनों, जुलूसों, आन्दोलनों तथा सार्वजनिक कार्यक्रमों आदि के सम्बन्ध में मा0 सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के क्रम में राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन कड़ाई से सुनिश्चित करायें। उन्होंने कहा कि धरना-प्रदर्शन आदि के नाम पर ऐसा कोई कार्य न करें, जिससे आम जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़े।

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