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मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण के कार्यालय में किये गये भुगतान, लेन-देन तथा वित्तीय अनियमितताओं की एक उच्च स्तरीय संस्था से आॅडिट करायी जायेगी

Posted on 27 April 2011 by admin

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की वित्तीय अनियमितताओं को दूर करने तथा हर स्तर पर पारदर्शिता बरतने के लिए कुछ सुधारात्मक कदम उठाने का निर्णय लिया हैं। इसके तहत राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ मिशन का पुनर्गठन करते हुए मुख्य सचिव द्वारा कार्यक्रम के प्रबन्धकीय ढांचे की अध्यक्षता की जायेगी। समस्त वित्तीय प्रस्तावों का परीक्षण तथा कार्यक्रम की वित्तीय व्यवस्थाओं के पर्यवेक्षण हेतु एक वित्तीय समिति अनिवार्य रूप से गठित की जायेगी। जिला स्तर पर वित्त अधिकारियों को तैनात किया जाएगा।

मंत्रिमण्डलीय सचिव श्री शशांक शेखर सिंह आज लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस प्रतिनिधियों को इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि डाॅ0 बी0पी0 सिंह की हत्या के प्रकरण की जांच के उपरान्त यह तथ्य सामने आये कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ के कार्यालय में आपसी झगड़ा तथा गुटबाजी थी। इस झगड़े के कारण कार्यालय का माहौल ठीक नहीं था, और निजी स्वार्थों के कारण कार्यालय में वैमनस्यता का वातावरण था। इसी के साथ कार्यालय में भुगतान तथा पैसे के लेन-देन में प्रथम दृष्टया अनियमिततायें थीं। उन्होंने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण के कार्यालय में भुगतान तथा वित्तीय अनियमितताओं एवं लेन-देन के प्रकरण में एक उच्च स्तरीय संस्था से इसकी पूरी बारीकी से आॅडिट करायी जायेगी।

मंत्रिमण्डलीय सचिव ने मुख्यमंत्री जी द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम में सुधार के लिए उठाये गये कदमों को जानकारी देते हुए कहा कि समस्त कार्यकलापों, व्यय, लेखा, क्रय पद्धति, अधिकारों का प्रतिनिधायन तथा वित्तीय विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए एक विस्तृत वित्तीय नियमावली बनायी जायेगी। इसकी जरूरत इसलिए भी है कि वित्तीय नियमों की सभी स्तरों पर जानकारी रहे तथा पारदर्शिता बनी रहे, इसके अलावा एक उपयोगी संग्रह भी उपलब्ध रहे। इसके अलावा अन्तरिक एवं बाह्य लेखा-परीक्षा की व्यवस्था, उनकी आवत्र्तता, विषय सीमा (स्कोप) एवं आच्छादित क्षेत्र आदि को भी वित्तीय नियमावली में परिभाषित किया जायेगा। अभी तक बनी हुई आॅडिट की व्यवस्था को और सुदृढ़ व व्यापक किया जा रहा है तथा अलग से आन्तरिक आॅडिट की भी स्थाई व्यवस्था की भी जा रही है।

श्री सिंह ने कहा कि डाॅ0 बी0पी0 सिंह के मामले की जांच सही दिशा में चल रही है और कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। उन्होंने जांच की प्रगति की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण का पद मई 2010 में सृजित होने के पश्चात् डाॅ0 विनोद कुमार आर्या ने इस पद पर कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि बाद में डाॅ0 वाई0एस0 सचान ने उनके अधीन डिप्टी सी0एम0ओ0 के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। परिवार कल्याण विभाग के तहत अधिकांश धनराशि सी0एच0सी0/पी0एच0सी0 के माध्यम से ही व्यय होती है। उन्होंने कहा कि डाॅ0 आर्या ने सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निरीक्षण और भ्रमण करना शुरू किया तथा इन निरीक्षणों के माध्यम से उन्होंने सी0एच0सी0/पी0एच0सी0 के कार्य प्रणाली को ठीक करने की कोशिश की।

मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि निरीक्षण के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कई अनियमितताएं प्रकाश में आयीं और उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की। उन्होंने कहा कि डाॅ0 आर्या की हत्या के बाद डाॅ0 योगिन्द्र सिंह सचान ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण का कार्यभार ग्रहण किया और डाॅ0 बी0पी0 सिंह की नियुक्ति होने तक इस पद पर बने रहे। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान यह भी ज्ञात हुआ कि डाॅ0 सचान ने अपनी तैनाती के समय तमाम वित्तीय अनियमितताएं बरतीं। उन्होंने कहा कि इनके सम्बन्ध में जांच के उपरान्त परिवार कल्याण निदेशालय द्वारा इनके विरूद्ध अभियोग पंजीकृत कराया जा चुका है।

श्री सिंह ने वित्तीय अनियमितताओं की जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के विभिन्न कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार तथा सत्यापन में वाहनों का वास्तविक उपयोग न करके फर्जी उपयोग दर्शा कर और फर्जी बिल तैयार करके शासकीय धन का आहरण करना, टेण्डर प्रक्रिया के तहत स्वीकृत मैनपावर से अधिक संख्या में मैनपावर दर्शाकर स्वीकृत धनराशि से अधिक धन आहरण करना, दवाओं तथा अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी उपकरणों का फर्जी भुगतान करना, दवाओं/उपकरणों की वास्तविक आपूर्ति न होना तथा फर्जी स्टाक इन्ट्री दर्शाया जाना, चिकित्सालयों में जनरेटर के डीजल का भुगतान चेक से फर्म को न करके नगद भुगतान किया जाना तथा वास्तविक उपयोग से अधिक डीजल का खर्च दर्शाया जाना तथा जननी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत लाभार्थी को चेक से भुगतान न करना और किसी कर्मचारी के पक्ष में चेक जारी करके धनराशि प्राप्त करना और वास्तविक लाभार्थी को लाभ से वंचित करना आदि अनियमिततायें प्रकाश में आयीं। इन वित्तीय अनियमितताओं में बहुत बड़ी धनराशि सन्निहित होने की सम्भावना है।

श्री सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ मिशन के तहत भारत सरकार से प्राप्त होने वाली धनराशि के वितरण आदि की प्रक्रिया भी भारत सरकार द्वारा निर्धारित होती है। भारत सरकार इसके लिए प्रेषित की जाने वाली धनराशि सीधे हेल्थ सोसाइटीज को दी जाती है, इस प्रक्रिया को अधिक सुदृढ़ बनाने हेतु इसमें संशोधन की आवश्यकता प्रतीत होती है।

मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि इस सम्बन्ध में पुलिस एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा विवेचना व जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान यह भी तथ्य प्रकाश में आये कि डाॅ0 सचान ने इन वित्तीय अनियमितताओं के माध्यम से अवैध धन अर्जित किया।    यह इस बात से साबित होता है कि डाॅ0 सचान द्वारा इसी अवधि में लाखों रूपये की जमीन खरीदने का मामला संज्ञान में आया है, इसकी भी जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि इसी तरह डाॅ0बी0पी0 सिंह ने कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात सी0एच0सी0 तथा पी0एच0सी0 का दौरा किया तथा उन्होंने विभिन्न अनियमितताओं के विषय में सम्बन्धित अधिकारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा। उन्होंने कहा कि अब तक जांच से यह भी परिलक्षित हुआ है कि कतिपय वित्तीय अनियमितताएं भी डाॅ0 बी0पी0 सिंह के संज्ञान में आयीं थीं। यह तथ्य डाॅ0 सिंह के घर सेे बरामद दस्तावेजों की  छानबीन से स्पष्ट हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त लगभग 67 लाख रूपये की धनराशि के बिल डाॅ0 बी0पी0 सिंह के कार्यकाल में लम्बित रहे। इनमें दो बड़े बिलों का भुगतान आदेश डाॅ0 सिंह द्वारा नहीं किया गया था।

श्री सिंह ने कहा कि अतः अब तक की जांच एवं वर्णित परिस्थितियांे के परिप्रेक्ष्य में इस हत्याकाण्ड में डाॅ0 वाई0एस0सचान की भूमिका, अत्यन्त संदिग्ध प्रतीत होती हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में डाॅ0 सचान की विशिष्ट भूमिका होने के सम्बन्ध में कोई भी निष्कर्ष विवेचना पूर्ण होने के बाद ही निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि डाॅ0 सचान को दो बार पुलिस रिमाण्ड पर लिया गया था, लेकिन दोनों बार स्वास्थ्य खराब होने के कारण उनसे गहराई से पूछताछ नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि डाॅ0 बी0पी0 सिंह की हत्या के उपरान्त पाये गये खोखा-कारतूसों का मिलान डाॅ0 आर्या की हत्या में मिले खोखा-कारतूसों से विधि विज्ञान प्रयोगशाला के माध्यम से कराने पर यह ज्ञात हुआ कि दोनों घटनाओं में प्रयुक्त कम से कम एक हथियार समान है।
मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि जांच इस दिशा में भी की जा रही है कि क्या इन दोनों हत्याओं का शूटर अथवा गिरोह एक ही है। उन्होंने कहा कि डाॅ0 आर्या की हत्या के प्रमुख अभियुक्त सुधाकर पाण्डे की गिरफ्तारी अभी शेष है। इसकी गिरफ्तारी के लिए 50 हजार रूपये का घोषित पुरस्कार बढ़ाकर एक लाख रूपये किया जा रहा है। इसकी गिरफ्तारी के लिए जनपदीय पुलिस तथा एस0टी0एफ0 की टीमें लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक की जांच से यह भी परिलक्षित होता है कि इस मामले में कतिपय अपराधी गिरोह, जोकि गोरखपुर, वाराणसी या लखनऊ के आस-पास के हैं, भी संलिप्त हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि डाॅ0 सिंह की हत्या का मामला परिस्थिति जन्य साक्ष्य का मामला है तथा घटना स्थल के प्रत्यक्षदर्शी साक्षी भी अभियुक्तों के बारे में अभी तक स्पष्ट रूप से नहीं बता पाये हैं, जिससे की विवेचना और जटिल हो गयी है। उन्होंने कहा कि मीडिया के समक्ष जो बातें रखी गयी हैं, अभी तक वह विवेचना से प्राप्त परिणामों पर आधारित हैं।

श्री सिंह नेे कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी ने कुछ दिन पहले अर्थात् 22 अप्रैल, 2011 को आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में कहा था कि पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल के दौरान प्रदेश में हर स्तर पर भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर व्याप्त था तथा राजनीति में गुण्डे, माफियाओं एवं अपराधिक तत्वों का भी दखल रहा था, यह दोनों बीमारियां वर्तमान सरकार को विरासत में मिली है। उन्होंने कहा कि यह बीमारियां अत्यधिक गम्भीर प्रकृति की होने के कारण इसको ठीक करने में राज्य सरकार को कई सख्त कदम उठाने पड़े हैं। जिसकी वजह से आम जनता को काफी राहत मिली है, जबकि पूर्ववर्ती सरकारों में स्थिति इसके विपरीत थी। अर्थात् पूर्व की सरकारों में आम आदमी को अपना काम कराने के लिए विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता था, जिससे जनता त्रस्त थी। उन्होंने कहा कि आम जनता की रोजमर्रा की परेशानियों को देखते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने अपने जन्मदिन 15 जनवरी, 2011 को प्रदेश में उ0प्र0 जनहित गारण्टी कानून लागू करने की घोषणा की थी।

मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि राज्य सरकार आम जनता को साफ सुथरा एवं पारदर्शी प्रशासन देने के साथ ही राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों की भर्ती की, जिसमें हर स्तर पर पूरी-पूरी पारदर्शिता बरती गयी। इसकी सराहना पूरे देश में हुई, यहां तक कि केन्द्रीय गृह मंत्री श्री पी0सी0 चिदम्बरम ने भी इस भर्ती प्रक्रिया की सराहना करते हुए अन्य राज्यों से इसी तरह की प्रक्रिया को अपनाने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारें भ्रष्टाचार तथा राजनीति में अपराधीकरण पर  अंकुश लगाने में नाकाम रहीं, जिसकी वजह से गुण्डे, माफियाओं तथा असामाजिक तत्वों का राजनीति में बड़ी संख्या में प्रवेश हुआ। जिसके चलते अपराधियों एवं माफियाओं ने सरकारी विभागों में भी दखल देकर अकूत कमाई की।

श्री सिंह ने कहा कि इन सब बातों को गम्भीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने गुण्डों एवं भ्रष्टाचारियों की कमर तोड़ने के लिए सख्त कदम उठाये। इस प्रक्रिया में कई अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपनी जान तक भी गवंानी पड़ी। साथ ही दो मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की हत्या की पृष्ठभूमि में जाने पर यह भी तथ्य प्रकाश में आया कि इन दोनों मामलों में कुछ विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी रही है। इन घटनाओं के मामले में राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाये और भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक गठजोड़ का पर्दाफाश करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी कानून-व्यवस्था के मुददे पर काफी संवेदनशील हैं। उन्होंने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी ने कानून-व्यवस्था एवं विकास की जमीनी सच्चाई जानने के लिए फरवरी, 2011 में अपने प्रदेशव्यापी आकस्मिक निरीक्षण के दौरान लापरवाह पुलिस एवं विकास से जुड़े अधिकारियों को मौके पर ही दण्डित करने के निर्देश दिये।
मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी ने प्रमुख सचिव गृह तथा पुलिस महानिदेशक को हर महीने गिरफ्तार किये गये माफियाओं तथा अपराधी तत्वों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। उनका मानना है कि हाल में घटित घटनायें किसी राजनीतिक षडयंत्र का हिस्सा भी हो सकती हैं। उनका यह भी मानना है कि कुछ विरोधी पार्टियों के माफिया तत्व सरकार की छवि धूमिल करने के लिए इस तरह की घटनाओं को अन्जाम दे सकतेे हैं।

श्री सिंह ने कहा कि राज्य सरकार डाॅ0 बी0पी0 सिंह की हत्या की घटना में शामिल अपराधियों को सामने लाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का शुरू से ही मन्तव्य रहा है कि इसकी जांच पूरी निष्पक्षता से हो। इस मामले में दो मंत्रियों ने स्वेच्छा से नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र दे दिया था। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद प्रमुख सचिव, परिवार कल्याण को भी हटा दिया गया था। माननीया मुख्यमंत्री जी ने इस घटना पर गम्भीर रूख अपनाया और दोषियों को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने भ्रष्टाचार व राजनीति में अपराधीकरण को खत्म करने का संकल्प लिया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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