समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि बसपा राज में उत्तर प्रदेश में रोजगार न मिलने से लाखों युवा कंुठाग्रस्त हो रहे हैं। सरकार का सारा ध्यान केवल वसूली पर होने से नौकरियां भी बिकने लगी हैं। रोजगार के अवसर सिकुड़ते जा रहे हैं। बेरेाजगार नवजवान अवसाद ग्रस्त होकर मौत को गले लगा रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री की संवेदना जागने का नाम नहीं ले रही है। बसपा सरकार बेरोजगारों की फौज खड़ी करने और प्रशासनिक व्यवस्था को पंगु और शिथिल बनाने के लिए ही याद रखी जाएगी।
प्रदेश के 13 लाख अभ्यर्थी बेसिक हेल्थवर्कर की नौकरी पाने के लिए परीक्षा में बैठे थे जिनमें चार लाख महिला और 9 लाख पुरूष अभ्यर्थी थे। परीक्षाएं गत वर्ष 30 मई और 12 जून,2010 को हुई थीं जिसका नतीजा जुलाई 2010 में आना था। लेकिन विवाद और जांच की आड़ में फॅसाकर यह परीक्षा ही अब रद्द कर दी गई है। लाखों उर्दू के मोअल्लिम छात्र नौकरी पाने के लिए कई बार राजधानी में धरना प्रदर्शन के दौरान पुलिस की लाठियां खा चुके हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में संविदा पर डाक्टर रखे जाने थे उनका भी मामला लटक गया है। संविदा पर नियुक्ति के एक मामले में तो ऐसी धांधली हुई कि नियुक्ति पत्र मिलने के साथ ही नौकरी से छुट्टी की भी नोटिस मिल गई।
होम्योपैथिक अस्पतालों के लिए फार्मासिस्टों की परीक्षा और चयन के पश्चात जब उनके प्रशिक्षण एवं नियुक्ति का मामला आया तो हाथ खड़े कर लिए गए। उनको भी बेकारों की फौज में भर्ती किया जा रहा है। हजारों डिग्रीधारी दांतों के डाक्टर भी सड़क की खाक छानने को बाध्य हैं। प्रदेश में 30 डेन्टल कालेज हैं जिनसे 3 हजार छात्र पढ़ाई करके निकलते हैं। सरकारी अस्पतालों में डेंटिस्ट के 272 पद सृजित हैं फिर भी तमाम जगहें खाली है। सरकारी अस्पतालों में हृदय रोग तथा अन्य विषेशज्ञता वाले विभागों में डाक्टरों का सत्त अकाल चल रहा है। गरीब मरीज बेहाल हैं। उन्हें चिकित्सा सुविधा के नाम पर सिर्फ इधर से उधर दौड़ाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को प्रसव की सुविधा न के बराबर है। इसमें उनकी जाने तक चली जाती है।
दरअसल, बसपा सरकार ने पहले दिन से ही अपना रोजगार विरोधी चरित्र दिखा दिया था जब समाजवादी पार्टी की सरकार में 24000 पुलिस पीएसी सिपाहियों की भर्ती पर विवाद उठाते हुए 18 हजार जवानों को, जिनमें अधिकांश पिछड़े वर्ग और मुस्लिम समाज के थे, बर्खास्त कर दिया गया था। उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी । उर्दू को रोजी रोटी से जोड़कर श्री मुलायम सिंह यादव ने मुस्लिमों के लिए रोजगार के नए अवसर खोले थे, इस सरकार ने उस पर भी रोक लगा दी। मुख्यंमंत्री ने नौकरी तो दी ही नहीं, श्री मुलायम सिंह यादव की सरकार ने बेरोजगार नौजवानों को बेकारी भत्ता देने की जो व्यवस्था की थी उसे भी समाप्त कर दिया। अब यही बेरोजगार, मुस्लिम, पिछड़े और गरीब इस सरकार के किए का बदला बसपा को सत्ताच्युत करके देगें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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