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डटे रहो अन्नाभाई!

Posted on 24 April 2011 by admin

एक एनजीओ सरकारी अनुदान पर ‘एड्स नियंत्रण’ अभियान से जुड़ा था जिसके तहत एक सेमीनार होना था। मुझे मुख्यवक्ता के रूप में बुलाया गया। ईश्वरीय प्रेरणा से मेरे मुंह से जो अभिव्यक्ति हुई, उसका कुछ अंश इस प्रकार है। ‘‘सरकार बेवजह करोड़ों रूपये बर्बाद कर रही है, एड्स की जड़ है ‘अय्याशी’ यानी कुकर्म। सरकार ने नैतिकता, पतिव्रता व एकनारी व्रत जैसे शास्त्रोक्त संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने की बात नहीं की, बल्कि कहा है-कुकर्म करो, मगर सुरक्षित। जब कुकर्मी अय्याशी कुत्तों की मौत मरेंगे तो दूसरे सबक लेंगे और कुकर्म से तौबा कर लेंगे, एड्स मिट जायेगा।’ यह लम्बा व्याख्यान जैसे-जैसे बढ़ रहा था वहां मौजूद लोग तालियां बजाकर उत्साह बढ़ा रहे थे और दूसरी ओर कौने में आयोजक (एनजीओ प्रमुख) विछिप्त होकर छाती पीटने में जुटा था। मुख्यवक्ता को बीच में रोकना भी संभव नहीं था क्योंकि शब्द प्रवाह सुनामी रूप धारण कर चुका था, यदि टोका टोकी होती तो जनबल लाबा बनकर फूट पड़ता।

आज उक्त प्रसंग आज भ्रष्टाचार मुद्दे पर सटीक बैठ रहा है। सरकार एक ओर अनीति और भ्रष्टता का संरक्षण करते हुए ‘भ्रष्टाचार’ मिटाने के उपाय पहले से शुरू करने का दावा करती चली आ रही है। इन साठ वर्षों में एक भी भ्रष्ट नेता या अधिकारी को सजा-ए-मौत दी जाती और सख्त कानून की दोहाई सार्थक हो जाती तो शायद पूरा देश सबक लेकर आचरण में सुधार लाता और संत अन्ना हजारे को सख्त व्यवस्था के लिए अनशन नहीं करना पड़ता और देश के करोड़ों करोड़ नागरिक नींद से जाग्रत होकर आक्रोशित क्यों होते?

दूरसंचार क्षेत्र के ‘लाखों करोड़’ के घोटाले में फंसी ‘राजा-टीम’ को फांसी होने की प्रतीक्षा में समूचा देश उत्साहित है जो ‘सड़े गले कानून’ के कारण दिवास्वप्न साबित होंगे। यदि हम यह भी मान लें हमारे कानून सड़े गले नहीं, बल्कि कारगर हैं, तो उनका क्रियान्वयन गरीब रोटी चोर के लिए है, कारपोरेट जगत के दिग्गजों तथा किसी राजनेता-भ्रष्ट नौकरशाही के लिए नहीं है।

घपलेबाजी के महारथी नेता और उनके गुर्गे ‘भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने’ की प्रतिज्ञा करने वाली अन्नाटीम पर अनर्गल आरोप लगाते हुए कारगर व्यवस्था कायम किये जाने की राह में रोड़े अटकाने में लग गये हैं, उनकी मनोदशा उनके अंदर के चोर को अभिव्यक्ति के रूप में जाहिर कर रही है। उन्हें डर है, कि अब उन्हें फांसी पर लटकना ही पड़ेगा। रात में सोत वक्त सपने में फांसी पर लटकते ही हड़बड़ाकर उठ बैठते और अपने बचाव के लिए मीडिया के माध्यम से ‘अन्ना-टीम’ पर नये-नये आरोप गढ़ने लगते हैं।

सरकार ही नहीं, समूची राजनीति, समझ रही है कि जनता पल भर को जागी थी, 9 अपै्रल को फिर सो गई है, ऐसे में हम अपने लिए मुसीबत क्यों मोल लें? कारगर लोकपाल बिल का मसौदा ही नहीं बनने दें, फिर पेश होने का सवाल ही नहीं उठेगा। इस तरह हम सोये हुए देशवासियों को लूटने में लगे रहेंगे। जनता की जाग्रति इतनी जल्दी जाने वाली नहीं। हुकूमत व सियासत उसी रास्ते पर है कि ‘कुकर्म करते रहो, मगर सुरक्षित। इसके लिए जमकर कंडोम भी बांटे जा रहे हैं।’ वे कहते हैं-लगे रहो लुटेरे भाई। देश की करोड़ों करोड़ जनता कह रही है-‘लगे रहो अन्नाभाई।’

देवेष षास्त्री
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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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