जहां पर चाह है रास्ता अपने आप बन जाते है। लगन और मेहनत से इंसान क्या नही कर सकता। जनपद की मजदूर महिला सीमा उर्फ गुड़िया संडीला के बेंहदर ग्राम की सुरेंद्र वर्मा की पत्नी है। मात्र कक्षा आठवीं पास उसका पति सुरेंद्र बंबई में मजदूरी करता है जो कुछ कमाता वह कर्जा साहूकारों का अदा कर देती थी। सीमा उर्फ गुड़िया परिवार का आमदनी का जरिया निकाला। पड़ोस की महिलाओं का इकट्ठा करके स्वयं सहायता समूह गठन किया। और सहकारी सहायता की जानकारी ली। पंजीकरण कराने के बाद बैंक आॅफ इंडिया बेंहदर शाखा से पच्चीस हजार रूपये का कर्जा लिया लगन और समर्पण की भावना से हर बाधा को पार करते गुड़िया खिलौना बनाकर प्रसिद्धि पाई। आस पास के गांवों, तहसील और जिले की सीमा पार करके लखनऊ भोपाल दिल्ली आगरा मैनपुरी में अपना गुड़िया की सप्लाई करके पहचान बनाई। सीमा ने बताया अब वह पांच समूहों का संचालित कर रही है। दिल्ली मंे उद्योग की नीव डाल चुकी है शालीमार बाग के हैदरगंज में उद्योग प्रारम्भ करने वाली है। अब दिल्ली के कारखानें में बांड बनाने का गुड़िया प्रयास कर रही है। चाइनीच खिलौनों का मात देने के लिए प्रतिस्पर्धा हेतु तकनीक का सहारा उसे लेना पडे़गा। जनपद के छोटे से गांव से शुरू यह उद्योग दिल्ली तक फैल चुका है। इसमें काम करने वाली प्रत्येक महिला प्रत्येक महीनें में तीन हजार तक कमा लेती है। हर समूह में तीन चार सौ महिलाएं काम कर रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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