- बिना किसी विश्वविद्यालय की संबद्धता हासिल किये बीडीएस में लिये दाखिले
- छोत्रों से लाखों रूपये फीस वसूलने के बाद 2008 से अब तक नहीं करायी प्रथम वर्ष की परीक्षा
- विधान परिषद में भी उठा था डेंटल कालेज की धोखाधड़ी का सवाल
- मुकदमा दर्ज करने के बजाय पूरा मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया
उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग के कई बड़े अफसर फर्जी मैनेजमेंट तथा डेन्टल कालेजों के गोरख धन्धे से जुड़े हैं इन बड़े अफसरों की राय पर इन कालेजों में छात्रों से धोखाधड़ी तथा लाखों की वसूली का खेल लम्बे समय से चल रहा है। ताजा मामला सीतापुर के अटरिया में स्थित विनायक मिशन डेन्टल कालेज का है। सुनियोजित षड़यन्त्र के तहत कालेज में छात्रों से फीस के रूप में लाखों रूपये तो वसूले लेकिन सत्र की परीक्षायें तक नहीं कराई। घोटाले का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डेन्टल कालेज की सम्बद्धता किसी भी विश्वविद्यालय से नहीं है। पूरे घोटाले की जांच एस.डी.एम सिधौली ने तहसीलदार को सौंपी है। 2008 में विनायक मिशन डेन्टल कालेज ने बीडीएस में 38 छात्रों का दाखिला लिया था, प्रति छात्र करीब डेढ़ से दो लाख रूपये फीस के रूप में वसूले गये थे लेकिन बीडीएस प्रथम वर्ष की जो परीक्षा 2009 में हो जानी चाहिए थी वो अभी तक नहीं हुई। बलरामपुर निवासी कालेज के छात्र सत्यापाल मौर्य सहित सभी छात्रों ने आज एसडी0एम0 सिधौली से कालेज प्रबन्धन के गोरख धंधे की शिकायत की। शिकायत में कहा गया है कि तीन साल बाद भी अभी तक बीडीएस 2008 प्रथम वर्ष की परीक्षायें नहीं कराई गई हैं, आलम यह है कि कालेज को विश्वविद्यालय से सम्बद्धता तक नहीं मिली है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कालेज प्रशासन से संबंद्धता के लिए 50 लाख रूपये बैंक गारंटी के लिए जमा करने को कहा था जो आज तक जमा नहीं किये गये।
थाना अटरिया जनपद सीतापुर के थानाध्यक्ष से गत वर्ष दो जून को बलरामपुर के ग्राम असईपुर निवासी कालेज के छात्र सत्यापाल मौर्या ने लिखित शिकायत की थी कि वर्ष 2008 में मेरे द्वारा बीडीएस प्रथम वर्ष की फीस के रूप में 145000 रूपये कालेज में नकद जमा किये गये। परीक्षा के विलय के संबंध में राजकुमार ओझा चेयरमैन विनायक मिशन डेन्टल कालेज से जब बात की गई तो वह अभद्रता पर उतर आये। श्री ओझा समेत उनके दोनों पुत्र प्रसून ओझा तथा प्रशान्त ओझा तथा कार्यालय अधीक्षक आर0के0 पाण्डेय ने मुंह बन्द रखने की धमकी दी। अतः उक्त लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया जाय। सिकके का दूसरा पहलू यह है कि पुलिस ने पीड़ित छात्र की तहरीर पर कालेज प्रबन्धतंत्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बजाय पूरा मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया है। इसी तरह कालेज के तमाम छात्रों ने प्रार्थना पत्र के जरिये कालेज प्रबन्ध तंत्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है लेकिन पुलिस तो जेसे विनायक मिशन डेन्टल कालेज के प्रबन्ध तंत्र के आगे बिक गई है तभी किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है। इस संबंध में जब सीओ सिधौली से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह जांच एस0डी0एम सिधौली करेंगे। उसके बाद पुलिस अपना काम करेगी। कालेज प्रबन्धन के खिलाफ सभी पीड़ित छात्र आज कालेज परिसर में ही धरने व भूख हड़ताल पर बैठ गये। छात्रों के हंगामें को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने कालेज का दौरा भी किया। दर्जनों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले विनायक मिशन प्रबन्ध तंत्र के खिलाफ कार्यवाही होना टेढ़ी खीर है क्योंकि प्रशासनिक अफसरों को रसूखदार प्रबन्ध तंत्र के आगे बिकते देर नहीं लगेगी।
धोखाधड़ी में उस्ताद डेन्टल कालेज पर मेहरबान चिकित्सा शिक्षा मंत्री
डेंटल कालेज के गोरखधन्धे को चिकित्सा शिक्षा मंत्री लाल जी वमा का पूरा संरक्षण प्राप्त हैं 2010 में विधान परिषद सदस्य डा0 यज्ञदत्त शर्मा ने सदन में चिकित्सा शिक्षा मंत्री से पूछ था कि उक्त डेन्टल कालेज में बीडीएस-प्रथम वर्ष (2008-09) की परीक्षा अब तक क्यों नहीं हुई चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि विनायक मिशन डेन्टल कालेज को अब तक किसी विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त नहीं है। माननीय विधान परिषद सदस्य ने जब यह सवाल पूछा कि उक्त कालेज में जो छात्र पढ़ रहे हैं उनके भविष्य को देखते हुए क्या शीघ्र परीक्षा कराई जायेगी तो जवाब में मंत्री ने विश्वविद्यालय से सम्बद्धता कराये जाने के बाद परीक्षा कराये जाने का आश्वासन दिया। सवाल लाख टके का है कि जब विनायक मिशन डेंटल कालेज का प्रबन्धतंत्र दर्जनों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है तो बजाय कार्यवाही करने के चिकित्सा शिक्षा मंत्री केवल खोखले आश्वासन क्यों दे रहे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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