उत्तर प्रदेश सरकार ने मा0 सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा खाद्यान्न घोटाले के मामले में सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध अभियोजन की अनुमति देने हेतु अधिकतम 06 माह की अवधि निर्धारित किए जाने सम्बन्धी 18 अप्रैल, 2011 के अंतरिम आदेश का स्वागत किया है।
राज्य सरकार के स्तर पर खाद्यान्न घोटाले में लिप्त किसी भी सरकारी अधिकारी/कर्मचारी की अभियोजन की स्वीकृति का कोई भी मामला लम्बित नहीं है तथा खाद्यान्न घोटाले से सम्बन्धित ऐसे सभी मामलों का निस्तारण कर दिया गया है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2007 में वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के पश्चात शासन ने अभियोजन के लिए अनुमति देने सम्बन्धी किसी भी प्रकरण में विलम्ब नहीं किया है और समय के अन्दर ही अभियोजन की अनुमति प्रदान की है।
सरकारी प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार ने खाद्यान्न घोटाले में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा पारित सी0बी0आई0 के जांच सम्बन्धी आदेश को स्थगित करने का कोई अनुरोध मा0 सर्वाेच्च न्यायालय के समक्ष नहीं किया था। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न घोटाले के सम्बन्ध में सी0बी0आई0 को जांच सौपने के उच्च न्यायालय के आदेश का राज्य सरकार द्वारा त्वरित एवं प्रभावी ढंग से अनुपालन किया गया।
उल्लेखनीय है कि खाद्यान्न घोटाले के मामले में मा0 इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा सी0बी0आई0 को जांच सौपने के जो आदेश पारित किए गए थे, उसमें राज्य सरकार द्वारा मात्र इस अंश को मा0 सर्वाेच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी थी कि यदि 03 माह में सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी जाती है, तो इसे स्वतः मान लिया जायेगा।
प्रवक्ता ने कहा कि चूंकि मा0 उच्च न्यायालय द्वारा 03 माह में अभियोजन की स्वीकृति का सामान्य सिद्धान्त अवधारित कर दिया गया था, जिसमें व्यवहारिक कठिनाइयां होने की सम्भावना थी। इसलिए राज्य सरकार की ओर से मात्र इस बिन्दु को मा0 सर्वाेच्च न्यायालय के संज्ञान में लाते हुए याचिका दायर की गयी थी, जिसको मा0 सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा 06 माह के लिए विस्तारित कर दिया गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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