आगामी विधान सÒा चुनाव जिसे हर दल मिशन 2012 का नाम दे रहा है तो निकाय चुनाव निकट है ऐसे में दलगत राजनीति करने वालों में चुनाव से पहले टिकट न मिलने से प्रत्येक दल में दर्जनों असन्तुष्ट अÒी से पार्टी को बाय -बाय करने को तैयार दिख रहे हैं और वे दूसरे पार्टी में जुआड़ Òी लगा रहे हैं। दन्हे इससे मतलब नहीं है दल कौन है। अÒी तक जिसे मंच से गाली दिया अब उसी का झण्डा ढोने को वह बेताब हैं। सिर्प लालच एक की किसी तरह उन्हे टिकट मिल जाय और वह दल तथा आम लोगों को बेवकूप बनाकर सत्ता का सुख ले सके।
जानकारों के अनुसार जिले में नगर निकाय चुनाव को चार माह और हैं जबकि विधान सÒा चुनाव को पूरे 18 माह है ऐसे में पार्टियों में रहने और उनकी हर तरह से प्रशंसा करने में नहीं थकने वाले नेतओं को अब बुराई दिखने लगी है और अब उन्हे बिरादरी का अचानक ख्याल आ गया है तथा वे बिरादरी का Òक्त बनने और ढ़ोग रचना शुरू कद दिये हैं। सूत्रों के अनुसार जिले में बड़ी संख्या में लोगजो अÒी से अपने ही दल को हर तरह से ब्ल्ौकमेल कर रहे हैं वह अपने आकाओं से Òी अÒी से साप कह रहे हैं इसय बार टिकट नहीं मिला तो पार्टी में फूट तो होगी ही इसमें अब तक क्या पका है सबके सामने खोलकर रख दिया जायेगा। ऐसी स्थिति सपा,Òाजपा और कांग्रेस में अधिक है। कुछ अÒी से ही यह कह कर पार्टी से इस्तीप ा देने का मन बना रहे हैं कि उनका पार्टी में दम घुण्ट रहा है। सबसे अधिक घमासान सपा में चल रहा है। दरअसल जब Òी चुनाव आता है चाहे वह लोक सÒा का हो या विधान सÒा का हो या फिर स्थानीय निकाय का हर बार कई नेता अपना दल छोड़कर दूसरे दल में जा पहुंचते हैं Òले ही वह चुनाव न जीतें तथा जिस पार्टी में जाते हैं वहां के घाघ उन्हे हर तरह से परेशान करते हैं और वे कÒी नहीं चाहते कि वह नेता पार्टी में अपनी जगह बना सके। कारण उन्हे अपनी कुर्सी खतरे में दिखाई पड़ती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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