उत्तर प्रदेश में अप्रवासी पक्षियों का विचरण एवं पक्षी रोग (बर्ड फ्लू) की निगरानी नामक प्रोजेक्ट में 2008 से 2010 तक अवधि प्रदेश के 20 जिलों में स्थत 25 वैटलैण्ड में जलीय पक्षियों की गतिधियों का अनुश्रवण किया गया। इस परियोजना के अध्ययन में स्थानीय व प्रवासी पक्षियों की 100 प्रजातियाॅ पाई गई, जिनमें डक्स व गीज की 19 स्टार्क की 5 इग्रेटस व हेन्स की 8 प्रजातियां शामिल है। अध्ययन की गई प्रजातियों में सारस, ब्लैक नेक्ड स्टार्क, स्कीमर जैसी विश्वव्यापी संकटग्रस्त प्रजातियों व पेन्टेड स्टार्क, ओरियन्टल डार्टस एवं लेसर फिश ईगल आदि संकट प्राय प्रजातियों का अध्ययन किया गया। पक्षियों की निगरानी कर 2500 से अधिक पक्षियों के नमूने भोपाल स्थित हाई सिक्योरिटी एनीमी डिसीज लैब मंे परीक्षण हेतु भेजा गया। किसी भी नमूने में बर्ड फ्लू वायरस नहीं पाया गया।
वन एवं जन्तु उद्यान मन्त्री फतेह बहादुर सिंह ने बी0एन0एच0एस0 द्वारा प्रवासी पक्षियों आंदोलन के माध्यम से पानी और उत्तर प्रदेश के रोगों की निगरानी एवियन का विमोचन किया।
इस परियोजना हेतु 300 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण व कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया। बायोमैट्रिक अध्ययन व आंकड़े एकत्र करने के लिए 75 प्रजातियों के 2536 पक्षियों को रिंग पहनाया गया। पक्षियों के अध्ययन का यह वृहद कार्यक्रम पक्षियों के विचरण व प्रजनन, स्थल, अप्रवास मार्ग, भोजन की आदत के अध्ययन मंे सहायक सिद्ध होंगे। पांच पक्षियों जिनमें चार बार हेडेड गीज व एक गडवाल वाला पक्षी है में पीटीटी ट्रांसमीटर लगाकर सेटलाइट के माध्यम से अनुश्रवण किया गया। जिसका परिणाम काफी अच्छा रहा। अध्ययन में पाया गया कि यह पक्षी मार्च के अन्त में तिब्बत जाना प्रारम्भ कर देते है। इन पक्षियों के तिब्बत मंे प्रजनन स्थल होने की पुष्टि हुई। एक पक्षी जिसका ट्रांसमीटर लम्बी अवधि तक कार्य कर रहा था, उसके अध्ययन में पाया गया कि वह पक्षी शीतकाल में प्रदेश के सूरसरोवर ताल (जहां से वह गया था) में लौट कर आया। इस अध्ययन में पक्षियों का अप्रवास मार्ग ज्ञात हुआ। परियोजना के अन्तर्गत विभिन्न वेटलैण्ड में किये गये कार्यो, शोध कार्यो व लेखों का संकलन किया गया। यह परियोजना बी0एन0एच0एस0 के निदेशक डा0 रहमानी के निर्देशन मंे पूर्ण हुई।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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