जनपद की सदर तहसील में भ्रष्टाचार रूकने का नाम नहीं ले रहा। सदर तहसील के न्यायिक तहसीलदार की अदालत में दाखिल होते ही इसकी बानगी मिल जाती है। दाखिल खारिज के मामलों में वसूली के लिए महीनों तारीख पर तारीख लगाई जाती है।इस खेल में वादी से लगभग दो प्रतिशत से भी अधिक पेशकार व चापरासी को कमीशन देना पड़ता है। उद्देश्य न पूरा होने पर बाबू आदेश टाइप तब तक नही करते, जब तक उन्हें उनकी कीमत नहीं मिल जाती। यह सब खेल खुले आम चल रहा है जिसकी जानकारी सम्बन्धित अधिकारियों को रहती है। लगता है जिला प्रशासन ने तहसील के पार्किंग मैनुअल में शामिल कर पूरा संरक्षण व अधिकार दे दिया है। खतौनी की नकल, आय, जाति निवास पर रिपोर्ट बिना सुविधा शुल्क के नहीं लगाई जाती। लेखपालों द्वारा पूरी तहसील का संचालन खुले आम पैसे लेकर किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं सूत्र बताते हैं कि वीआईपी के आने जाने व बॅगले का पूरा खर्च गरीब जनता से ही वसूल कर किया जाता है। पीड़ित जनता ने मुख्य मंत्री से तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की मांग की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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