उत्तर प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगो के विरूद्ध होने वाले अपराधों को रोकने के लिए पूरी तरह से गम्भीर है। इन वर्गों के विरुद्ध हुए अपराधो पर पूर्ण सजगता एवं संवेदनशीलता बरतते हुए राज्य सरकार द्वारा घटनाओं का त्वरित पंजीकरण, समयबद्ध विवेचना एवं प्रभावी पैरवी सुनिश्चित कराये जाने के फलस्वरुप, उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराधों में उल्लेखनीय गिरावट आयी है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने यह जानकारी आज यहां देते हुए बताया कि केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री मुकुल वासनिक जी ने सम्भवतः उत्तर प्रदेश के प्रयासों को संज्ञान में नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री अवगत होंगे कि उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश है और यहां अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों का आबादी में एक बड़ा हिस्सा है। इसीलिए दलित उत्पीड़न के आंकड़ों को आबादी के अनुपात में ही देखा जाना चाहिए। राज्य सरकार इन वर्गों के उत्पीड़न सम्बन्धी मामलों में तत्काल कार्यवाही करते हुए अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम-1989 के तहत प्रभावी कार्यवाही कर रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी के समस्त जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों/पुलिस अधीक्षकों को सख्त निर्देश हैं कि दलितों के खिलाफ उत्पीड़न सम्बन्धी मामलों में तत्काल प्रभावी कार्यवाही करते हुए पीड़ितों को न्याय दिलाया जाए तथा दोषियों को दण्डित कराया जाए। उन्होंने कहा कि समय-समय पर आयोजित होने वाली उच्चस्तरीय बैठकों में माननीया मुख्यमंत्री जी फील्ड में तैनात वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ इस सम्बन्ध में गहन समीक्षा करती हैं। इसके अलावा माननीया मुख्यमंत्री जी ने अपने प्रदेश व्यापी औचक निरीक्षण के दौरान अनुसूचित जाति/जनजाति के उत्पीड़न सम्बन्धी मामलों पर कार्यवाही की स्थिति की प्रत्येक जनपद में मौके पर समीक्षा की तथा कार्यवाही का स्तर सन्तोषजनक नहीं मिलने पर उन्होंने सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी की।
प्रवक्ता ने कहा कि दलित अत्याचार से सम्बन्धित मामलों में प्रभावी पैरवी की जा रही है तथा सम्बन्धित अधिनियमों को लागू करने के साथ ही नियमित रूप से अनुश्रवण भी किया जा रहा है। अनुसूचित जाति/जनजाति के विरूद्ध होने वाले अत्याचारों से सम्बन्धित संवदेनशील जनपदों में स्थानीय पुलिस प्रशासन को लगातार निगरानी तथा छोटे-छोटे मामलों को लेकर होने वाली घटनाओं पर सतर्क दृष्टि रखने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की सजगता के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश में दलितों तथा महिलाओं पर होने वाले आपराधिक घटनाओं में काफी कमी आयी है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी एन0सी0आर0बी0 के आंकड़ों से इसकी पुष्टि की जा सकती है।
प्रवक्ता ने दलितों के विरूद्ध अपराधों की स्थिति के बारे में सिलसिलेवार आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि ‘‘क्राईम इन इण्डिया-2009’’ के आकंड़ो के अनुसार उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के विरुद्ध हुए अपराधों की दर 3.8 रही, जबकि राजस्थान में यह दर 7.5, उड़ीसा में 4.2, मध्य प्रदेश में 4.3, बिहार में 4.0, आन्ध्र प्रदेश में 5.4 दर्ज की गयी है।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के खिलाफ होने वाली उत्पीड़न की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए कठोर कदम उठाये है। इन वर्गो के उत्पीड़न से संबंधित अपराधों की विवेचना में उ0प्र0 पुलिस द्वारा 94.8 प्रतिशत विवेचनाओं का निस्तारण सुनिश्चित किया गया है जबकि सम्पूर्ण भारत के कुल 35 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के विवेचना निस्तारण का प्रतिशत मात्र 74.1 रहा है तथा निस्तारित विवेचनाओं में उत्तर प्रदेश में आरोप पत्र का प्रतिशत 85.5 रहा है।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 के वादों के मा0 न्यायालयों में प्रभावी पैरवी हेतु अभियोजन संवर्ग के अभियोजकों को विशेष लोक अभियोजक भी नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति का कोई भी विचाराधीन वाद वापस नही लिया गया, जबकि वर्ष 2009 में कर्नाटक में 3 एवं महाराष्ट्र में 5 वाद वापस लिये गये।
प्रवक्ता ने बताया कि अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों के विरुद्ध हुए अपराधों में उत्तर प्रदेश में दोषसिद्धि के प्रकरण में 3217 थे जबकि सम्पूर्ण भारत वर्ष में दोषसिद्धि के प्रकरण मात्र 5934 थे। इस प्रकार सम्पूर्ण भारत वर्ष में सजा किये गये प्रकरणों का 54.2 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में हुआ है तथा सजा की दर 52.6 रही है जबकि सम्पूर्ण भारत वर्ष में दोषसिद्धि का औसत दर मात्र 29.6 रहा।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा जुलाई, 2009 में शासनादेश निर्गत कर अनुसूचित जाति/जनजाति के उत्पीड़न के प्रकरणों में जनपद के वरिष्ठतम पुलिस अधिकारी द्वारा घटना स्थल का निरीक्षण तथा की गयी कार्यवाही का विवरण मुख्यालय प्रेषित करने, जघन्य अपराधों में मण्डलीय अधिकारियों द्वारा घटना स्थल का निरीक्षण एवं कृत कार्यवाही की सूचना मुख्यालय प्रेषित करने तथा पीड़ित को अनुमन्य राहत राशि प्रदान करने की व्यवस्था की गयी है। इसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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