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डा0 बी0पी0 सिंह के प्रकरण में परिवार कल्याण विभाग तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों/ कर्मचारियों की संलिप्तता पाए जाने पर श्री बाबू सिंह कुशवाहा एवं श्री अनन्त कुमार मिश्र ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्वेच्छा से मंत्री पद से त्याग-पत्र दिया

Posted on 08 April 2011 by admin

  • माननीया मुख्यमंत्री जी कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने वालों, किसी भी विभाग में गड़बड़ी करने वालों तथा अक्षम अधिकारियों, मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों को नहीं बख्शतीं
  • माननीया मुख्यमंत्री जी ने प्रमुख सचिव, परिवार कल्याण को पद से हटाया
  • लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 ए0के0 शुक्ला भी हटाये गये
  • चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के लिपिक श्री संजय आनन्द गिरफ्तार, निलम्बित करने के आदेश
  • राज्य सरकार ने मुख्य चिकित्साधिकारी को चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की सभी योजनाओं का नोडल अधिकारी नामित किया

लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, परिवार कल्याण डा0 बी0पी0 सिंह के प्रकरण में  परिवार कल्याण विभाग तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों/ कर्मचारियों की संलिप्तता पाए जाने के कारण श्री बाबू सिंह कुशवाहा एवं श्री अनन्त कुमार मिश्र ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्वेच्छा से मंत्री पद से त्याग-पत्र दे दिया हैं, जिसे माननीया मुख्य मंत्री सुश्री मायावती जी द्वारा स्वीकृति हेतु महामहिम राज्यपाल श्री बी0एल0 जोशी को भेज दिया गया है। इस प्रकरण की गम्भीरता के परिप्रेक्ष्य में माननीया मुख्यमंत्री जी ने प्रमुख सचिव, परिवार कल्याण को उनके पद से हटा दिया है।

मंत्रिमण्डलीय सचिव श्री शशांक शेखर सिंह ने आज यहां लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित मीडिया सेन्टर में पत्रकारों को यह जानकारी देते हुए कहा कि जब से उत्तर प्रदेश में माननीया मुख्य मंत्री सुश्री मायावती जी के नेतृत्व में सरकार बनी, तब से यह देखा गया है कि माननीया मुख्य मंत्री जी ने कानून व्यवस्था को बिगाड़ने वाले और सरकार के किसी भी विभाग में गड़बड़ी करने वालों तथा अपने विभाग को चलाने में अक्षम अधिकारियों के साथ-साथ मंत्रियों तथा पार्टी पदाधिकारियों को भी नहीं बक्शा है। ऐसा पूर्व में बहुत कम देखने को मिला है।

श्री सिंह ने कहा कि भाजपा के शासन काल वर्ष 2000 मे माॅर्निंग वाॅक के दौरान  महानिदेशक परिवार कल्याण डा0 बच्ची लाल की जघन्य हत्या हुई थी। इसके अलावा संयुक्त निदेशक डा0 आर0एस0 शर्मा की भी भाजपा शासन काल में हत्या हुई थी।    मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी का यह भी मानना है कि पूर्व सरकारों के दौरान हत्या में लिप्त अपराधियों, माफियाओं, गुण्डों तथा असामाजिक तत्वों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए थी। कार्यवाही न होने के कारण बाबू भी अकूत सम्पत्ति के मालिक  बन  गए  थे, लेकिन पूर्ववर्ती  सभी सरकारों ने इनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाए। यदि इन सरकारों ने भ्रष्टाचार तथा बाबुओं के काले कारनामों पर अंकुश लगाया होता तो इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न होती।

श्री सिंह ने कहा कि वर्ष 2008 में जनपद इटावा में तैनात मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 ओम प्रकाश छिम्पा की हत्या की गयी थी।    श्री सिंह ने कहा कि अपराध चाहे बड़ा हो या छोटा, प्रदेश सरकार उसे अपराध मान कर चलती है और इसकी तह में जाकर अपराधियों को दण्डित करवाने में विलम्ब नहीं करती। इसलिए राज्य सरकार द्वारा डा0 छिम्पा की हत्या में लिप्त अभियुक्तों के खिलाफ तेजी से कार्यवाही की गयी। उन्होंने कहा कि डा0 छिम्पा की हत्या में उनके कार्यालय के स्वीपर/चैकीदार गोपी शंकर, विनोद भदौरिया उर्फ बबलू, फिरोजाबाद मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में तैनात रेफ्रिजेरेटर मैकेनिक अजय सक्सेना एवं उनकी पत्नी अनीता सक्सेना का नाम आया था तथा इनसे 32 बोर का रिवाल्वर भी बरामद हुआ था।

श्री सिंह ने कहा कि मुख्य चिकित्साधिकारी परिवार कल्याण डा0 विनोद कुमार आर्या की भी 27 अक्टूबर 2010 को प्रातः टहलने के समय हत्या हो गयी थी। इस प्रकरण में 12 दिसम्बर 2010 को विजय दुबे को हथियार के साथ गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में उसने डा0 आर्या की हत्या किये जाने की बात को स्वीकार किया था जो इस समय जेल में है। इसके अलावा एक अन्य अभियुक्त सुधाकर पाण्डेय, इस समय फरार चल रहा है और इस पर 50 हजार रूपये का इनाम घोषित किया गया है।  इसको भी शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जाएगा। अन्य अभियुक्त गण अजय कुमार मिश्रा तथा अमित कुमार दीक्षित, सुमित उर्फ अंशू तथा अभय सिंह इस समय जेल में हैं।

मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि प्रदेश के किसी विभाग में अधिकारियों की अनियमितताएं  अथवा कोई दोष पाया गया है तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही करने में राज्य सरकार हिचकी नहीं है। विदित होगा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का कार्य सुचारू ढंग से संचालित करने तथा प्रदेश की आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें  उपलब्ध कराने के लिए परिवार कल्याण विभाग को अलग करके एक स्वतंत्र व्यवस्था स्थापित की गयी थी। उन्होंने कहा कि डा0 विनोद कुमार आर्या की हत्या के उपरान्त डा0 बी0पी0 सिंह को मुख्य चिकित्साधिकारी, परिवार कल्याण के पद पर कुछ माह पूर्व ही तैनात किया गया था। डा0 बी0पी0 सिंह विभाग को सुधारने में पूरी ईमानदारी से लगे हुए थे जिसके लिए उन्होंने कई कठोर कदम उठाए थे, सरकारी धन की बंदरबांट करने वालों को उनकी यह कार्य-शैली रास नहीं आ रही थी।

श्री सिंह ने कहा कि इन हत्याओं की जांच के दौरान अभी तक यह तथ्य प्रकाश में आये हैं कि मुख्य चिकित्साधिकारी, परिवार कल्याण द्वारा विभिन्न अस्पतालों में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के लिए  वाहनों को किराये पर लेकर तथा उनके भुगतान के मामले में गम्भीर वित्तीय अनियमितताएंे की गयी हैं। जांच में यह भी पाया गया कि वाहन किराये पर लिये ही नहीें गये और फर्जी बिल तैयार कराकर शासकीय धन का आहरण किया गया। इसी प्रकार दवाओं के खरीद में भी अनियमितताएं पायी गयी हैं। टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से अर्बन आर0सी0एच0 प्रोजेक्ट 2010-11 लखनऊ के लिए स्वीकृत मैन पावर के लिए किये गये भुगतान कार्य आदेश में दर्शायी गयी संख्या से अधिक मैन पावर दिखाकर भुगतान किया गया है। जो स्पष्ट रूप से वित्तीय अनियमितता तथा शासकीय धन का गबन है।

मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि इस प्रकार तमाम प्रकरणों में वित्तीय अनियमिततायें स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही हैंैै। इसके अतिरिक्त कार्यालय अभिलेखों के अवलोकन से स्पष्ट है कि भुगतान जानबूझकर सुनियोजित ढंग से किये गये हैं। जांच में यह तथ्य भी प्रकाश में आये कि इस  प्रकार के भुगतान डिप्टी सी0 एम0 ओ0 परिवार कल्याण लखनऊ डा0 वाई0एस0 सचान, जिला प्रशासनिक अधिकारी सी0जे0 यादव एवं वरिष्ठ लिपिक श्री पी0सी0 वर्मा आदि द्वारा किये गये हैं।

श्री सिंह ने कहा कि इसमें सम्बन्धित फर्मों, सम्बन्धित लिपिकों एवं प्रकियाओं से जुडे़ हुए अन्य अधिकारियों/ कर्मचारियों की भी संलिप्तता हैै। इस आशय की एफ0आई0आर0 वजीरगंज थाने में दर्ज करायी गयी है। इसके आधार पर डिप्टी सी0एम0ओ0 डा0 वाई0एस0 सचान, जिला प्रशासनिक अधिकारी सी0जे0 यादव एवं वरिष्ठ लिपिक श्री पी0सी0 वर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है।  साथ ही इनके निलम्बन के आदेश भी जारी कर दिए गये हैं।

श्री सिंह ने कहा कि लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी के कार्यालय में भी घोर अनियमितताएं पाई गयी हैं। आज इस मामलें में जाॅंच के दौरान लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी, डा0 ए0के0 शुक्ला जो मुख्य चिकित्साधिकारी ;परिवार कल्याणद्ध के पद सृजन से पहले लखनऊ में एन0आर0एच0एम0 का कार्य देख रहे थे, से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य सामने आये हैं जिनकी गहराई से छान-बीन चल रही है।  इन्हें अपने पद से हटा दिया गया है ताकि ये जांच प्रभावित न कर सकें।  इसके साथ ही इनके अधीन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कतिपय कर्मचारियों की अनियमितताओं में संलिप्तता पाई गयी है, जिनमें से श्री संजय आनन्द, लिपिक को गिरफ्तार कर लिया गया है।  इनको निलम्बित करने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह अनियमिततायें डा0 बी0पी0 सिंह की हत्या की पृष्ठभूमि की ओर इंगित करती हंै।

मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि इस हत्याकाण्ड की तेजी से छानबीन की जा रही है और इसमें जो भी लिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ विधिसम्मत कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि मामले की जांच तेजी से चल रही है तथा शीघ्र ही हत्यारों को तथा जिनके माध्यम से अथवा जिनके कारण यह हत्या कराई गई है उनको राज्य सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

श्री सिंह ने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी के प्रदेश के सभी जनपदों में भ्रमण के दौरान उन्हें यह सुझाव दिए गये थे कि जिले स्तर पर मुख्य चिकित्साधिकारी को ही चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की सभी योजनाओं एवं कार्यक्रमों का नोड्ल अधिकारी बनाया जाए ताकि इन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन हो सके।  इसके अतिरिक्त लोक सेवा आयोग को 5000 से अधिक एलोपैथिक चिकित्साधिकारियों के चयन का जो अधियाचन भेजा गया था उस पर आयोग द्वारा शीघ्र चयन एवं नियुक्तियां किये जाने में असमर्थता व्यक्त की गयी है।

मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि इन समस्त परिस्थितियों को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा सम्यक् विचारोपरान्त यह निर्णय लिया गया है कि 5 मई, 2010 के पूर्व जो व्यवस्था लागू थी उसी के अनुसार मुख्य चिकित्साधिकारी को चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की सभी योजनाओं का नोडल अधिकारी नामित करते हुए योजनाओं का क्रियान्वयन कराया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था को खराब करने तथा सरकार की छवि बिगाड़ने वाले दोषियों को किसी कीमत पर नहीं बख्शेगीं ।

श्री सिंह ने कहा कि वर्ष 2007 में सत्ता में आते ही माननीया मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश में अन्याय मुक्त, अपराध मुक्त, भयमुक्त, भ्रष्टाचारमुक्त तथा विकासयुक्त वातावरण सृजित करने का संकल्प लिया था। माननीया मुख्यमंत्री जी ने साफ तौर पर बता दिया था कि उनकी सरकार के रहते उत्तर प्रदेश में कानून का ही राज चलेगा और गुण्डों, माफियों, अपराधियों आदि की सही जगह जेल होगी। माननीया मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा था कि कानून व्यवस्था के मामले में किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होने कानून व्यवस्था में लगातार सुधार लाने के लिए पुलिस तंत्र को बिना दबाव के कार्य करने की छूट दी थी तथा यह भी कहा था कि कानून को अपने हाथ में लेने वालो को सलाखों के पीछे  भेजा जाए चाहे वह कितना प्रभावशाली व शक्तिशाली क्यों न हो।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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