Categorized | जौनपुर

बढ़ता जा रहा है तहसीलों में भ्रष्टाचार

Posted on 05 April 2011 by admin

जनपद के तहसील¨ं में भ्रष्टाचार चरम पर है, मगर यह कारगुजारियां वहां के उपजिलाधिकारिय¨ं सहित अन्य उच्चाधिकारियों क¨ नहीं दिखाई देती है, जबकि आम आदमी इन सरकारी तंत्र्ा¨ के भ्रष्टाचार की चक्की में पिसता जा रहा है। तहसील¨ं में शायद ही क¨ई पटल ऐसा ह¨, जहां काम के बदले कर्मचारी धन उगाही न करता ह¨, मगर प्रशानिक अक्षमता के चलते वर्षो से जमे लेखपाल, कानूनग¨, रजिस्ट्रार, माल बाबू व न्यायिक पेशकार खुलेआम जनता का श¨षण कर रहे हैं।

आलम यह है कि जाति, आय, निवास, खसरा-खत©नी, दाखिल-खारिज, वरासत, नकल आदि का क¨ई मामला ह¨ सभी कार्य के लिए रूपया वसूला जाता है। यह बातें सभी अधिकारी जानते हैं, लेकिन उन्ह¨ंने भ्रष्टाचार र¨कने के लिए क¨ई सार्थक कदम आज तक नहीं उठाया, जिससे सरकार बदनाम ह¨ रही है अ©र रूपया राजस्वकर्मी कमा रहे हैं। चर्चा है कि पेशकार व बाबू अपने लिये रूपया नहीं लेते। ये उच्चाधिकारिय¨ं के बंगले का सामान व खर्च के लिए वसूली करते हैं। जैसे बैनामें के 40 दिन के भीतर दाखिल-खारिज नायब व तहसीलदार के आदेश से ह¨ता है, मगर ऐसा शायद ही ऐसा ह¨ता है। अब त¨ बैनामे की मालियत के हिसाब से म¨टी रकम लेखपाल क¨ देना पड़ता है। तब कहीं लेखपाल बयान करता है। तहसीलदार की क¨र्ट का नजराना मिल जाने के बाद ही दाखिल-खारिज किया जाता है। सरकार ने अब कम्प्यूटर से खत©नी जारी करने की प्रक्रिया शुरू की है, मगर उसका सच यह है कि वहां पहुंचने पर गाटा संख्या सर्च करने का रूपया अलग, नकल तुरन्त देने का रूपया अलग व सरकारी फीस अलग देनी पड़ती है। नकल पर हस्ताक्षर कराने का रूपया अलग से देना पड़ता है। आय, जाति व निवास प्रमाण पत्र्ा पर रिप¨र्ट लगवाने का रूपया खर्च करना पड़ता है। रूपया न देने पर बताया जाता है कि निवास फर्जी है। जाति सूची में नहीं है, जैसे बहाने बनाकर परेशान किया जाता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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