बच्चों में चारित्रिक गुणों को विकसित करने की सर्वश्रेष्ठ अवस्था बचपन है- श्री डी.एस. मिश्रा, आई.ए.एस.
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, स्टेशन रोड कैम्पस द्वारा ‘‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’’ का भव्य आयोजन आज सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे श्री डी.एस. मिश्रा, आई.ए.एस., प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री, उ.प्र. ने ज्ञान का दीप प्रज्जवलित कर समारोह का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर जहाँ एक ओर विद्यालय के छात्रों ने रंगारंग शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों की इन्द्रधनुषी छटा बिखेरकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया तो वहीं दूसरी ओर ईमानदारी, चरित्र निर्माण एवं आध्यात्मिकता का अनूठा संदेश दिया। भारी संख्या में उपस्थित अभिभावकों ने तालियाँ बजाकर छात्रों की अनूठी प्रस्तुतियों को सराहा। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं एवं वार्षिक परीक्षाओं में पुरस्कार अर्जित करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को स्वर्ण एवं रजत पदक प्रदान किये गये।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री डी.एस. मिश्रा, आई.ए.एस., प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री, उ.प्र. ने अपने सम्बोधन में कहा कि बच्चों में चारित्रिक गुणों को विकसित करने की सर्वश्रेष्ठ अवस्था बचपन ही है। बाल्यावस्था बीत जाने के बाद व्यक्ति को शिक्षा देना अत्यन्त कठिन होता है, अतः बचपन में ही सुदृढ़ नींव रखी जानी चाहिए। उन्होंने ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ के माध्यम से परिवार, स्कूल तथा समाज के सहयोग से बच्चों में बाल्यावस्था से ईमानदारी, चारित्रिक, नैतिक तथा आध्यात्मिक गुणों को विकसित करने की दिशा में किए जा रहे प्रभावशाली प्रयासों के लिए सी.एम.एस. की भूरि-भूरि प्रशंसा की। सी.एम.एस. स्टेशन रोड की प्रधानाचार्या श्रीमती अरूणा गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि बच्चों में ईमानदारी व चारित्रिक गुणों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इण्टिग्रिटी क्लब की स्थापना की गयी है जिसके अन्तर्गत छात्रों को प्रेरित किया जायेगा कि वे उत्कृष्टता के लिए पूरा प्रयास करें व भौतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास करें। उन्होंने सुझाव दिया कि अभिभावक और शिक्षक स्वयं अच्छा बनकर बालकों को अच्छा बनने का वातावरण प्रदान करें।
सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षा एक सतत् और रचनात्मक प्रक्रिया है। मानव प्रकृति में निहित क्षमताओं को विकसित करना और समाज की समृद्वि एवं प्रगति हेतु उनकी अभिव्यक्ति का संयोजन करना ही उसका लक्ष्य है जो कि बच्चों को भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान से सुसज्जित करके ही संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि बालक को आगे चलकर क्या बनेगा, किस रूप में समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होगा, यह इस बात पर निर्भर है कि बाल्यावस्था में उसको परिवार, स्कूल तथा समाज में किस तरह के चरित्र के लोगों का साथ मिला है। उन्होंने कहा कि ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित स्कूल से शिक्षा ग्रहण करके बालक परिवार, समाज और विश्व के लिए एक आदर्श नागरिक बन सकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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