भारतीय जनता पार्टी श्री राजेन्द्र तिवारी ने आज पत्रकारों से वार्ता में प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न विकास योजनाओं की उपेक्षा तथा प्रदेश में निवास कर रही जनजातियों के विकास और उन्नति के लिए केन्द्र सरकार से मिले 41 करोड़ का जनजातियों के लिए कल्याणकारी योजनाओं में व्यय न किए जाने को अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण बताया और उ0प्र0 सरकार की मुखिया सुश्री मायावती पर जनजातियों के प्रति उपेक्षा तथा भेदभाव पूर्ण नीति अपनाए जाने का आरोप लगाया।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि प्रदेश के 19 जिलों में निवास कर रहे जनजाति समुदाय के लोगों का न तो प्रदेश विधानसभा में कोई सदस्य है और न ही उन्हें सरकारी नौकरियों में प्रदत 2 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ही मिल पा रहा है। समूचे प्रदेश में जनजातियों का हक अनुसूचित वर्ग के लोग ले रहे हैं। श्री तिवारी ने कहा कि दलितों के ठेकेदार बनने वाली सुश्री मायावती ने जनजातियों को उच्चन्यायालय के आदेश के बावजूद पंचायत चुनाव में आरक्षण नहीं दिया, इतना ही नहीं जनजातियों के हक मेंकिए गए उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर कर दिया। केन्द्र से जनजातीय कल्याण के लिए मिले 41 करोड़ रूपये में से केवल 8 करोड़ ही व्यय किए गए। सरकारी उपेक्षा के कारण योजनाओं का लाभ आर्थिक रूप से विपन्न और विकास से दूर जनजातीय लोग लाभ से वंचित हैं।
श्री तिवारी ने आरोप लगाया कि जनजातियों के प्रति सरकारी उपेक्षा का आलम यह है कि इस वर्ग के लोगों को जाति प्रमाणपत्र प्राप्त कर पाना कठिन है। सरकारी तंत्र हीलाहवाली के नाते इन्हें आरक्षण का भी लाभ नही मिल पाता। भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि प्रदेश का समूचा सरकारी अमला पंचम तल के ही इशारे पर कार्य कर रहा है। उसे प्रदेश के विकास और लोगों की बेहतरी से कोई लेना देना नहीं है। जिसका परिणाम है विकास मद की 6 हजार करोड़ की धनराशि का उपयोग शासन तंत्र नहीं कर सका। यह प्रदेश सरकार की विफलता का नतीजा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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