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प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम

Posted on 26 March 2011 by admin

समस्त नागरिकों को सूचित किया जाता है कि प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 में दिनांक 30.03.2010 की अधिसूचना द्वारा प्रमुख संशोधन एवं विधिमान्यकरण किये गये हैं, जो राट्रीय महत्व के घोषित प्राचीन संस्मारकों और पुरातत्ववीय स्थलों के परिवेश अथवा मूल विन्यास के अनुरक्षण के अलावा अनधिकृत निर्माण और अवैध अतिक्रमणों को सख्ती से रोकने से सम्बन्धित है। इस अधिनियम के अन्र्तगत निर्माण से सम्बन्धित गतिविधियों के लिए आवेदन प्राप्त करने एवं अनुमति प्रदान करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा ´´राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण´´ गठित करने का प्रावधान है और आयुक्त, अगारा मण्डल, को सक्षम प्राधिकारी को नामित किया गया है। आगरा मण्डल के अधीन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 24 जिलों यथा आगरा, अलीगढ़, औरैया, बागपत, बिजनौर, बरेली, बदायंू, बुलन्दशहर, एटा, इटावा, फरूZखाबाद, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, हाथरस(महामाया नगर), ज्योतिभा फुले नगर, काशीराम नगर (कासगञ्ज), कन्नौज, मैनपुरी, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, मुज़फ्फर नगर, पीलीभीत एवं सहारनपुर में व्याप्त 397 राट्रीय महत्व के प्राचीन संस्मारक एवं पुरातत्वीय स्थलों के प्रतिनिषिद्व अथवा विनियमित क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण/नव-निर्माण/मरम्मत/जिणोZद्धार/सार्वजनिक निर्माण/पुननिZर्माण अथवा खनन कार्य हेतु अनुमति प्राप्त करने हेतु भारत सरकार द्वारा नामित सक्षम प्राधिकारी, आयुक्त, आगरा मण्डल, आगरा को सीधे आवेदन किया जा सकता है।

इस अधिनियम की मुख्य बातें निम्नानुसार हैं :-

1.    संरक्षित स्मारकों और संरक्षित क्षेत्रों के न्यूनतम ´प्रतिनिषिद्व क्षेत्र´ और ´विनियमित क्षेत्र´ की सीमाएं संरक्षित क्षेत्र से क्रमश: 100 मीटर और प्रतिनिषिद्व क्षेत्र के आगे 200 मीटर निर्धारित की गई है।
2.    प्रतिनिषिद्व क्षेत्र में किसी सार्वजनिक परियोजना अथवा अन्य किसी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं है। ऐसा करने पर दो साल तक कारावास अथवा एक लाख रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों किये जा सकते हैं।
3.    विनियमित क्षेत्रों में सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना निर्माण, नवनिर्माण/मरम्मत /जीणोZद्धार आदि करने पर या सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी अनुमति की शर्तों का उल्लंघन करने पर दो साल तक कारावास अथवा एक लाख रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों किये जा सकते हैं।
4.    प्रतिनिषिद्व क्षेत्र में 16 जून, 1992 से पूर्व हुये निर्माण की मरम्मत/जीणोZद्वार/नवीनीकरण तथा विनियमित क्षेत्र में मरम्मत/जीणोZद्वार/नवीनीकरण/निर्माण/पुननिर्माण आदि की अनुमति सक्षम प्राधिाकारी से प्राप्त करना अनिवार्य है।
5.    23 जनवरी 2010 के बाद, जिस किसी के द्वारा किसी भी प्रकार का निर्माण सक्षम प्राधिकारी के पूर्व अनुमति के बिना या विनियमित क्षेत्र में सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गई अनुमति का उल्लन्धन करता है तो वह दो वर्ष का कारावास या एक लाख रूपये जुर्माना या दोनों, दण्ड का भागी होगा।
6.    अधिक जानकारी हेतु विभाग की वेबसाइट - www.asi.nic.in पर उपलब्ध है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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