सूबे की नगरीय निकायों में पहली अप्रैल से दोहरी लेखा प्रणाली (डबल इंट्री सिस्टम) भी लागू हो जाएगी। प्रदेश सरकार ने संबंधित लेखा नियमावली में संशोधन की प्रत्याशा में अगले वित्तीय वर्ष से निकायों में दोहरी लेखा प्रणाली लागू करने का फैसला किया है। प्रमुख सचिव नगर विकास आलोक रंजन ने शासनादेश जारी किया है।
दरअसल, आधुनिक पद्धति पर आधारित दोहरी लेखा प्रणाली में किसी भी संस्था की वास्तविक परिसंपत्तियां, प्रशासनिक व्यय, देनदारियां व भुगतान आदि का स्पष्ट ब्योरा रहता है। इसमें वित्तीय प्रबंधन में सरलता के साथ ही वित्तीय अनियमितता की गुंजायश न के बराबर होती है। ऐसे में निकायों की वित्तीय स्थिति में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार ने उन्हें धन देने में दोहरी लेखा प्रणाली को लागू करने की शर्त लगा रखी है। 31 मार्च तक उक्त प्रणाली के न लागू होने पर 13वें वित्त आयोग के तहत निकायों को मिलने वाली परफार्मेन्स ग्रांट व केंद्रीय योजना से मिलने वाले धन पर ब्रेक लग सकता है।
इसको देखते हुए प्रमुख सचिव नगर विकास ने एक अप्रैल से दोहरी लेखा प्रणाली को लागू करने के निर्देश दिए हैं। कहा गया है कि इस संबंध में भले ही अभी लेखा नियमावली में संशोधन नहीं हुआ है लेकिन संशोधन की प्रत्याशा में सभी निकाय एकल लेखा प्रणाली के साथ-साथ लेखों को दोहरी लेखा प्रणाली के अनुसार भी तैयार करें। विदित हो कि निकायों में दोहरी लेखा प्रणाली लागू करने की कवायद जून 2008 में शुरू हुई थी लेकिन हीला-हवाली के चलते अभी तक उक्त प्रणाली सिर्फ कागजों तक में ही थी। चूंकि पहली अप्रैल से उक्त प्रणाली को अब हरहाल में लागू किया जाना है इसलिए स्थानीय निकाय निदेशालय स्तर पर निकायकर्मियों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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