यह सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि लोटस टेम्पल अथवा कमल मिन्दर के नाम से प्रसिद्ध हो चुका, बहाई उपासना मिन्दर अपनी स्थापना की 25 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। यह सूचना लखनऊ की बहाई प्रमुख डॉ. गीता गान्धी किंगडन ने दी। डॉ. गीता गांधी ने बताया कि `बीसवीं शताब्दी का ताजमहल´ समझे जाने वाले बहाई उपासना मन्दिर के 25 साल पूरे होने की ख़ुशी में भारतीय बहाई समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले उत्सव का उद्घाटन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अबुल कलाम बहाई नववर्ष की पूर्व सन्ध्या, 20 मार्च, 2011 को बहाई मन्दिर के प्रांगण में करेंगे। उन्होंने बहाई मिन्दर के सम्बन्ध में कहा है, ßबहाई उपासना मिन्दर परिसर में होना अपने आप में एक आध्याित्मक अनुभूति है, जहां से ख़ुशियां ही खुशियां पूरी मानवजिात को दी जाती है।Þ
भारत के सभी प्रान्तों में बहाई रहते हैं और प्रत्येक राज्य के बहाई समुदाय ने अपने-अपने ढं़ग से इस उत्सव को पूरे साल तक मनाने की योजना बनाई है। ग़ौरतलब है कि धरती पर शायद सबसे ज़्यादा लोगों को अपनी ओर आकषिZत करने वाला यह पहला मन्दिर है जहां साल में लगभग 40 लाख लोग इसे देखने आते हैं और इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। कुछ तो इसकी बाहरी खूबसूरती को देखते रह जाते हैं और कुछ इसके आध्याित्मक वातावरण की सुरभि में सराबोर हो जाते हैं। कुछ भी हो, एकता की राह दिखलाने वाला यह मन्दिर साम्प्रदायिक सद्भाव का सन्देश निरन्तर आने वालों को देता है। अभी हाल ही गणतन्त्र दिवस के अवसर पर निकाली गई झांकियों में इस कारण भी बहाई मिन्दर की झांकी को सराहना मिली, क्योंकि साम्प्रदायिक सद्भाव को इस झांकी का मुख्य विषय बनाया गया था।
यहां विभिé धर्मों की प्रार्थनाएं गाई जाती हैं और उनके धर्मग्रन्थों के अंश पढ़े जाते हैं। यह बहाई मान्यता है कि मूलत: धर्म बदलता नहीं, बल्कि हर धर्म सदा विकासशील मानव सभ्यता को आगे ले जाने के लिए एक नया अध्याय जोड़ता है। बहाई लेखों में कहा गया है कि उपासना मिन्दरों और स्थानों का एकमात्र उद्देश्य एकता की भावना को मजबूत करना है ताकि अनेक राष्ट्र, अलग-अलग नस्ल, विभिé रंग-रूप के लोग इन स्थानों पर एकत्र हों और अपने बीच प्रेम तथा स्नेह के रिश्ते और प्रगाढ़ हों।
जैसे कमल का फूल यह संकेत देता है कि कीचड़ में खिलकर भी कीचड़ के प्रभाव से फूल की पंखुड़ियां अलग रहती हैं वैसे बहाई उपासना मिन्दर व्यक्ति-व्यक्ति को आध्याित्मक विकास की राह पर चलने के लिए प्रेरित करता है। बहाई समुदाय द्वारा अलग अलग आयु वर्ग के लिए यहां कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं। मसलन, बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा, किशोरों के आध्याित्मक दृढ़ीकरण के लिए कार्यक्रम और आध्याित्मक सिद्धान्तों का सिलसिलेवार अध्ययन ताकि आध्याित्मक सिद्धान्तों को अपने जीवन में ढाल कर वे अपने जीवन धारण करने को सार्थक बना सकें।