लखनऊ की प्रमुख बहाई अनुयायी डॉ0 (श्रीमती) भारती गान्धी ने ईरान में बहाई धर्मावलम्बियों पर हो रहे विभिन्न अत्याचार पर गम्भीर चिन्ता तथा दु:ख व्यक्त किया है। उन्होने आज जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह सूचना दी की ईरान में बहाई धर्म के अनुयाईयों को गैर-कानूनी ढंग से गिरफ्तार करके जेल में बन्द रखने के धोर अमानवीय व्यवहार से भारत का प्रबुद्ध वर्ग बुरी तरह से आहत है। भारत की न्यायिक, प्रशासनिक, मानवाधिकार, शिक्षा, सामाजिक संगठनों, कार्पोरेट जगत आदि से जुड़ी 90 विख्यात तथा प्रबुद्ध हस्तियों ने भी रोष प्रकट करते हुए कहा है कि धार्मिक आस्था के आधार पर बहाईयों के साथ हो रही यह भेदभावपूर्ण कार्यवाही अमानवीय, पूर्वाग्रह से भरी तथा गैरकानूनी है। उन्होंने ईरान के पीड़ित बहाईयों पर हो रही दमनपूर्ण कार्यवाही पर अपनी गहरी सहानुभूति व्यक्त करते हुए भारत सरकार से अपील की है कि वह ईरान सरकार से तुरन्त गैर-कानूनी ढंग से गिरफ्तार किये गये बहाईयों को छोड़ने के लिए दवाब डाले।
डा0 गान्धी ने बताया कि 7 बहाईयों को गिरफ्तार करके तेहरान की जेल में मई 2008 से डाल दिया गया है। ईरान सरकार के सुरक्षा कर्मियों द्वारा बहाईयों के घरों में छापा मारकर उनकी बहाई धर्म की पवित्र पुस्तकों, कम्प्यूटर्स, फोटो आदि जब्त कर लिये गये। इन बहाईयों में से कुछ के परिवारजन तथा मित्र नई दिल्ली में निवास कर रहे हैं। ईरान में बहाई धर्म के अनुयायियों की बिना पूर्व सूचना के हो रही गिरफ्तारियां बहाईयों के सहनशील दृष्टिकोण तथा धार्मिक आस्था की स्वतन्त्रता के खिलाफ है। यह सारे विश्व के मानवीय एवं विचारशील लोगों के लिए चिन्ता का विषय है। हाल ही में उत्पीड़न का सिलसिला इतना बढ़ गया है कि बहाई विद्यार्थियों पर हमले, मीडिया में उनके खिलाफ झूठी बातें फैलाना, उनके घरों तथा दुकानों को क्षति पहुंचाना, उन्हें जीवन यापन की आम जरूरतों से वंचित रखना और उन्हें विश्वविद्यालय से बेदखल करना आदि बातें आम हो गई हैं। ईरानी सरकार की मिलीभगत से बहाई समाज पर दिन-ब-दिन अत्याचारों का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है।
ईरान स्वयं एक अन्तर्राष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर कर चुका है जिसके तहत हर व्यक्ति को अपना मनचाहा धर्म अपनाने की स्वतन्त्रता है और उसके साथ इस मामले में कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जा सकती है। बहाई धर्म के जन्म स्थल ईरान में बहाईयों के साथ इस तरह की धार्मिक घृणा तथा भेदभाव से भरी दमनपूर्ण कार्यवाही दुखदायी है। ऐसे समय जब सारा विश्व पूरी धार्मिक स्वतन्त्रता, एकता, शान्ति तथा मित्रता के साथ एक-दूसरे के साथ हिलमिल कर रहते हुए नये युग में जी रहा है। जबकि ईरान में बहाईयों पर सिर्फ उनके धर्म के आधार पर विभिन्न प्रकार के अत्याचार किए जा रहे हैं।
ज्ञातव्य हो कि भारत तथा अन्य देशों में बहाई सहित अन्य धार्मिक समुदायों को अपने धर्म के प्रति आस्था व्यक्त करने की पूरी स्वतन्त्रता है, जबकि इनमें से कई देश धर्मनिरपेक्ष भी नहीं हैं। एक सभ्य विश्व समाज में ईरान सरकार का बहाईयों के प्रति इस तरह का अन्यायपूर्ण, कठोर तथा जातिवादी दृष्टिकोण स्वीकार करने योग्य नहींं है। यह दुखदायी स्थिति सह-अस्तित्व अर्थात समानता के साथ जीने के अधिकार का घोर हनन है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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