गर्मियों का समय धीरे-धीरे नजदीक आ रहा है। यात्रियों को बैठने के लिए जगह नहीं, गर्मियों में ठण्डे पानी के लिए तरसते यात्री और बस अड्डों पर उडती धूल। कुछ यही çस्थति है शहर और ग्रामीण क्षेत्र के बस अaों की। शासन स्तर पर बस अaों के कायाकल्य की तैयारी जोरों पर चल रही है लेकिन रोडवेज यूनियन्स के विरोध के चलते विकास की धार कुछ मन्द पड सकती है। परिवहन निगम के बस अड्डों को पçब्लक प्राइवेट पार्टनरशिप में चलाने की निगम की राह आसान नहीं है। व्यवस्था से ातरा महसूस कर रही रोडवेज यूनियन्स विरोध पर उतर आई है। स्थानीय स्तर पर विरोध शुरू हो चुका है। अब बारी मण्डल स्तर और फिर प्रदेश स्तर की है। यूनियन पदाधिकारियों की मानें तो वे हडताल तक ाी कर सकते हैं।
शासन स्तर पर परिवहन निगम के बस अड्डों को अब पीपीपी से जोडने का फैसला लिया गया है। इसके लिए शासन स्तर पर निजी संस्थाओं से निविदायें ाी आमन्त्रित की जा चुकी हैं। अाी तक इस मामले पर शान्त रही प्रदेश स्तरीय यूनियन अब आन्दोलन पर उतारू हो चुकी है। 28 फरवरी को यूपी रोडवेज इपाइज यूनियन ने प्रदर्शन ाी किया था। रोडवेज कर्मचारी 11 मार्च को जिलाधिकारी के माध्यम से मुयमन्त्री को ज्ञापन ोंजेंगे। इसके बाद 11 अप्रैल को मेरठ में मण्डल ार के पदाधिकारी एकत्रित होकर जोरदार प्रदर्शन करेंगे। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष पण्डित रामजी त्रिपाठी आगे की रणनीति पर अप्रैल में बैठक कर पदाधिकारियों को निर्देशित करेंगे। पीपीपी के बारे में यूपी रोडवेज इपाइज यूनियन के क्षेत्रीय मन्त्री सत्यनारायण शर्मा ने बताया है कि सरकार जो योजना शुरू करने जा रही है, उससे परिवहन निगम का अस्तित्व ात्म हो जायेगा। यह व्यवस्था लागू होने से जमीन पर रोडवेज का हक नहीं रहेगा। सरकार प्राइवेट कंपनियों को रोडवेज की जमीन 36 साल के लीज पर देगी। इससे पहले तीन साल बस अड्डे के सौन्दयीüकरण के लिए दिये जायेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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