सीतापुर रोड स्थित बोरा इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट सांइसेज में आज नैमिशारण्य जा रहे श्रीमज्ज्योतिश्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य श्रीस्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी महाराज ने कुछ देर ठहर कर पत्रकारों से वार्ता की तथा उपस्थित जनों से धर्म के प्रति निरन्तर आस्थावान रहने की बात कही।
श्री शंकराचार्य ने कहा कि नैमिशारण्य के स्वामी नारदानन्द सरस्वती के देहावसान के बाद उनके प्रधान िशश्य स्वामी विवेकानन्द को सम्मानार्थ अखाड़ा परिशद ने जगदाचार्य की उपाधि से विभूशित किया था। इसी परंपरा के अन्तर्गत वर्तमान समय में वहां स्वामी उपेन्द्राचार्य को अखाड़ा परिशद ने जगताचार्य की पदवी प्रदान की है। श्री स्वामी जी ने बताया कि कुछ दिन पूर्व नैमिशारण्य के एक साधु देवेन्द्रानन्द को स्वामी रामभद्राचार्य ने चादर उढ़ाकर जगताचार्य घोशित कर दिया है। यह कार्य परंपरा के सर्वथा विरूद्ध है अत: सन्तों के कुल 13 अखाड़ों ने इसका घोर विरोध किया है। श्री स्वामी जी ने कहा कि कल 26 फरवरी को नैमिश में अखाड़ा परिशद के अध्यक्ष ज्ञानदास जी व अनेक सन्त एकत्र होकर रामभद्राचार्य द्वारा अनधिकृत रूप से जगताचार्य की उपाधि दिए जाने का विरोध करेंगे।
पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि स्वामी रामभद्राचार्य ने कुछ दिन पूर्व तुलसी दास के ग्रन्थ श्रीरामचरितमानस का संशोधन प्रस्तुत करने का उपक्रम किया था। इस पर अखाड़ा परिशद ने क्या प्रतिक्रिया की थीर्षोर्षो इस पर शंकराचार्य ने कहा कि गत कुंभ स्नान के अवसर पर अखाड़ा परिशद व अनेक सन्तों ने रामभद्राचार्य की निन्दा की तथा उन्हें अपने अहंकार वश किए गये कार्य के लिए क्षमा प्रार्थना की तथा अखाड़ा परिशद द्वारा उन को अर्थ दण्ड भी दिया गया।
स्वामी जी ने कहा कि देश, समाज, धर्म तथा राजनीति सभी नियमों व परंपराओं से ही संचालित होते हैं। किसी भी व्यक्ति को इनके विरूद्ध स्वेच्छाचार का अवसर नहीं दिया जा सकता।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में शंकराचार्य जी ने कहा कि वशZ 1960 में स्वामी करपात्री जी ने काशी में सुमेरू मठ का निर्माण कर बनारस हिन्दूविश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त संस्कृत विभागाध्यक्ष महादेव शास्त्री को सुमेरूपीठाधीश्वर पद पर प्रतििश्ठत किया था। वह परंपरा आज भी विद्यमान है। वर्तमान में स्वामी नरेन्द्रानन्द जी उस मठ का संचालन भली भांति कर रहे हैं।
इस अवसर पर पूर्व विधायक डी.पी. बोरा, डा0 नीरज बोरा, सचिन कंछल, अनूप गोयल, एस0के0 गोपाल, बोरा इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट साइन्सेज के चेयरमैन पंकज बोरा, िशक्षकगण तथा छात्र-छात्राओं ने जगतगुरू शंकराचार्य को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके पश्चात स्वामी जी नैमिश के लिए प्रस्थान कर गए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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