“बच्चे कक्षा में अपशब्द बोलते हैं। विद्यालय देर से आते हैं। इस तरह की दैनिन्दन समस्यायें िशक्षकों के समक्ष होती है। हमारा व्यवसाय दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। उत्पादकता घट रही है। इसका निदान किस प्रकार हो सकता है´´ कुछ ऐसी ही समस्याओं को लेकर आज बीएड एवं एमबीए विद्यार्थियों ने रिसर्च मैथडोलॉजी के सुविख्यात प्रोफेसर एम0 वर्मा को घेर लिया।
अवसर था राजधानी स्थित बोरा इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट साइन्सेज परिसर में बीएड व एमबीए छात्रों के लिए `क्रियात्मक अनुसंधान´ विशय पर आयोजित कार्यशाला का, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय िशक्षा संकाय के प्रोफेसर एम0 वर्मा ने छात्र-छात्राओं को क्रियात्मक अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी।
प्रोफेसर वर्मा बताया कि समस्याओं के कई कारण होते हैं, जिसमें शैक्षिक, सामाजिक व पारिवारिक विसंगतियां प्रमुख हैं। रोजमर्रा की इन समस्याओं को हल करने के वैज्ञानिक एवं क्रमबद्ध अध्ययन का नाम ही क्रियात्मक अनुसंधान है, जिसके द्वारा समस्या का प्रश्न-परीक्षण व साक्षात्कार जैसे उपकरणों के माध्यम से कारण पता किया जाता है, और उन कारणों का वर्गीकरण कर व्यूह रचना की जाती है। इस क्रियाविधि द्वारा एक से चार दिन तक का प्रयास अधिकतर समस्याओं का समाधान करने में सफल होता है। उन्होंने बताया कि बच्चे अपशब्द बोलते हैं या कार्यालय में कर्मचारी समय से नहीं पहुंचते हैं तो इन परिस्थितियों में समस्या की आवृति का प्रतिशत निकालकर व्यूह रचना द्वारा इसका हल निकाला जाएगा। उन्होंने समस्या के निदान हेतु सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक विश्लेशण करने तथा दण्ड आदि की सीमा के निर्धारण पर भी विस्तृत प्रकाश डाला। कार्यशाला में लगभग 160 छात्रों ने भाग लिया। वीडियो प्रोजेक्टर के माध्यम से रिसोर्स पर्सन डा0 एम0 वर्मा ने प्रात: 8 से सायं 4 बजे तक छात्रों का मार्गदशZन किया।
इन्स्टीट्यूट के चेयरमैन पंकज बोरा ने बताया कि हम समाज को अच्छे िशक्षक व कुशल एमबीए युवा देने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास और विशय आधारित प्रिशक्षण हेतु विशेशज्ञों को आमन्त्रित कर नियमित रूप से ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन इस्टीट्यूट द्वारा कराया जा रहा है।
कार्यशाला के अन्तिम चरण में छात्राध्यापकों द्वारा क्रियात्मक अनुसंधान का प्रारूप तैयार किया गया, जिसे प्रोफेसर वर्मा ने काफी सराहा। कार्यशाला में बी0एड0 संकाय के प्राचार्य डॉ0 धर्मराज सिंह,प्रवक्ता डा0 जया सिंह, डा0 किरन सिंह, डा0 िस्मता श्रीवास्तव, सन्दीप कुमार सिंह, शैल कुमारी पाण्डेय एवं प्रशासनिक अनुभाग के चेतन मिश्रा भी मौजूद रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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