आशावादी देश निराशावादी नरेश कुछ ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहा है अपना भारत देश। ´´गुण सागर नागर नर जोऊ-अल्प लोभ भल कह न कोऊ´´ अर्थात व्यक्ति चाहे गुणों का सागर हो और अत्यन्त बुद्धिमान चतुर ही क्यों न हो थोड़े से लोभ के कारण उसे कोई भला नही कहता है। यह शाश्वत सत्य कहावत और भारत के खुद के लिये ईमानदार कहे जाने वाले मा0 प्रधानमन्त्री डा0 मनमोहन सिंह पर फिट बैठती है। यह चौपाइ्रZ महान सन्त पूज्य गुरूदेव गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में लिखी है। दि0 16 फरवरी दिन बुधवार को देश की राजधानी नई दिल्ली मा0 प्रधानमन्त्री ने मीडिया से रूबरू होकर टी0वी0 चैनलों के सम्पादकों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि मीडिया के लिये मेरा विशेष सन्देश यह है कि वे नकारात्मक मुद्दों पर ज्यादा फोकस न करे,ं मैं प्रधानमन्त्री का पद त्यागने वाला नहीं हंू, भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जायेगा, हम गठबंधन सरकार चला रहे हैं और गठबंधन की कुछ मजबूरियां होती हैं आदि अनेक स्पष्ट प्रश्नों का गोल मोल अस्पष्ट जवाब दिया। याद दिलाते चलें इसके पूर्व प्रधानमन्त्री जी ने संसद के शीतकालीन सत्र की समाप्ति के दो दिन पूर्व विदेश जाते समय हवाई जहाज में पे्रस के बंधुओं से वार्ता की थी। अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि विपक्ष की जे0पी0सी0 की मांग अनुचित है और जे0पी0सी0 गठित नहीं की जायेगी। हवाई जहाज में हुई पे्रस से बातचीत को कल उन्होंने जे0पी0सी0 की मांग मानकर खुद ही अपनी बात से पलटकर अपनी कमजोरी को साबित किया है। उस बात को अगर अब हवा हवाई बात कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। जग जाहिर है कि आपको श्रीमती सोनिया गांधी ने प्रधानमन्त्री चुना है किसी चुनाव में जनता ने नहीं चुना है। कांग्रेसी लीला में श्रीमती गांधी ही सब कुछ तय करती है वह सर्वशक्तिमान है आपको उनकी ही बात को मानना, बोलना व स्वीकारना पड़ता है। जैसे हमारे देश में हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के त्यौहार के रूप में दशहरा, दीपावली, होली और गांव-गांव में रामलीला का आयोजन होता है। रामलीला का आयोजन कराने वाले अच्छे-अच्छे कलाकारों को अभिनय हेतु बुलाते हैं उनका अभिनय देखने के लिये भारी भीड़ जुटती है, कलाकारों को डायलाग लिखकर दिये जाते हैं जिन्हें वह बोलते हैं। स्टेज पर पर्दे के पीछे प्रमुख कर्ता धर्ता रहता है ताकि बताए गए डायलाग बोलने में कलाकार से कहीं चूक न होने पाये इसलिए पर्दे के पीछे से पहले डायलाग बोला जाता है फिर मंच पर बोला जाता है। यही स्थिति कांग्रेसी लीला में गांधी परिवार को छोड़कर लगभग शेष सभी की है। आपको मैडम ने चुना इसीलिए आपने सदा ईमानदारी पूर्वक मैडम को सुना। आपका पूरा-पूरा लाभ कांग्रेसी उठा रहे हैं। बुराड़ी में आयोजित कांग्रेस के महाधिवेशन में श्रीमती गांधी ने डा0 सिंह को एक गरिमामय, कर्तव्यनिष्ठ, क्षमतावान बताकर उनके हटने हटाने के कयासों पर विराम लगा दिया था। घपलों, घोटालों के लगातार सामने आने और उनमें आपके मन्त्रियों, मुख्यमन्त्रियों के नाम होने से पूरी कांग्रेस सहित आपकी हालत भी पतली है। भ्रष्टाचार के उभरते मामलों को न रोक पाने के कारण राजनीतिक अनिश्चितता सरकार की लाचार छवि के कारण बनी है। जाहिर है कि जब तक यह सरकार रहेगी तब तक गठबंधन की मजबूरी बनी ही रहेगी ओैर सत्ता का पावर हाउस श्रीमती गांधी ही रहेंगी। भ्रष्टाचारियों पर सरकार के प्रहार की फिक्स मैच जैसी कार्रवाई की गूंज सुनाई पड़ती रहेगी। गठबंधन को मजबूरी बताने वाले प्रधानमन्त्री को यदि कोई निराश करने वाला नरेश कह रहा है तो उसे गलत कैसे कहा जा सकता है। जहां वाणी में सामर्थ न हो और शब्दों का कोई अर्थ न हो वहां स्थिति चिन्ताजनक बनी रहती है। वर्तमान यूपीए सरकार हर मुद्दे के लिये बहाने ढूढने और दोष किसी और के ऊपर मढ़ने के मूढ में काम कर रही है। सात साल से जो व्यक्ति देश का प्रधानमन्त्री हो और सुधार कुछ न हो तो उन्हें क्या कहा जायेगा। एक अमरीकन एजेन्सी के अनुसार अभी भी प्रतिवर्ष काले धन के रूप में एक लाख पैतीस हजार करोड़ रू0 से अधिक का धन विदेशों में जमा हो रहा है। जन साधारण के खून पसीने की कमाई बुरी तरह लुट रही है। सरकारी योजनाओं पर खरबों रू0 का व्यय भ्रष्टाचार के कारण अपव्यय हो रहा है। भ्रष्टाचार जब शीर्ष स्तर पर हो तो नीचे के स्तर पर होगा ही। दागदार अतीत के अधिकारी की नियुक्ति मुख्य सर्तकता आयुक्त के पद पर करना, बोफोर्स तोप सौदे में करोड़ों डकारने वाले क्वात्रोची के बैंक खातों पर लगी रोक को विदेश भेजकर सीबीआई से हटवाना, जमा धन को निकालने देना, भ्रष्टाचारी मन्त्रियों का बचाव करने से आपकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है। वैसे आपने अपनी मजबूती का परिचय हैदराबाद में न्यायपालिका को अपनी हद में रहे, मीडिया घपले, घोटालों को ही न छाप,े विपक्षी दल सरकार से दुश्मनी मानता है तथा प्रधानमन्त्री पद से इस्तीफा नहीं दूंगा कहकर दिया है। मुक्त पुरूष संसार में कैसे रहते हैं जैसे आंधी से उड़ी हुई पत्तल उसकी अपनी इच्छा या अभिमान नहीं रहता हवा उसको जिस ओर उड़ा ले जाती है वह उसी ओर चली जाती है, कभी कुड़े के ढेर के तो कभी अच्छी जगह पर। दूसरा उदाहरण जहाज किसी भी दिशा में क्यों न जाए कम्पास (दिग्दर्शक यन्त्र) की सुई उत्तर दिशा ही दिखाती है इस कारण जहाज को दिशा भ्रम नहीं होता। सत्ता की आंधी हो या भ्रष्टाचार का तूफान उठा हो अथवा पूरा देश सरकार पर आरोप लगा रहा हो आपको कम्पास की उत्तर दिशा की तरह (10 जनपथ) ही दिखाई देता है। चाहे आन्तरिक एवं बाह्य सुरक्षा, कश्मीर में अलगाववादियों की हरकतें, बढ़ता हुआ नक्सलवाद और माओवाद, कमरतोड़ महंगाई, अराजकता, बेरोजगारी, गरीबी, राष्ट्र भाषा और राष्ट्र ध्वज का अपमान हो आप उसको न रोक पाने में गठबंधन की मजबूरी ही बतायेंगे। भारत में त्याग और सेवा की सत्ता का ही सम्मान रहा है अन्य सत्ता पतझड़ के पत्तों की भान्ति आती जाती रहती हैं उनकी गणना भारतीय जनमानस ने कभी नहीं की, ´´जथा गगन घन पट निहारी-झापहूं भानु कहहि कुबिचारी´´ अर्थात आकाश में बादलों को छाया देखकर अज्ञानी लोग यह समझते हैं कि बादलों ने सूर्य का ढक लिया है। आकाश जैसे निर्मल और निर्लेप है उसको कोई मलिन या स्पर्श नहीं कर सकता उसी प्रकार मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के द्वारा स्थापित भारत की सत्य सत्ता भी नित्य निर्मल और निर्लेप है उसको कोई सरकार मिटा नहीं सकती। जो सनातन नहीं झुका रावण और कंस के अत्याचारों से- वह क्या झूकेगा इन लंगड़ी लूली गठबंधन सरकारों से। जो कहते थे दुनिया को खाक कर देंगे जहां दफन हैं हमने वो जमीं देखी है। सच कहते हैं हमने जिन्दगी देखी है
नरेन्द्र सिंह राणा
(मो0 9415013300)
लेखक- उ0प्र0 भाजपा के मीडिया प्रभारी हैं।
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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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