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मेयर तथा नगर पालिका परिषदों/नगर पंचायतों के अध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया में संशोधन का विरोध दुर्भाग्यपूर्ण एवं आधारहीन- मुख्यमन्त्री

Posted on 22 February 2011 by admin

उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने मेयर तथा नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों के अध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया में संशोधन के लिए राज्य सरकार द्वारा कल विधान सभा में पेश किए गए विधेयक पर किए जा रहे विरोध को दुर्भाग्यपूर्ण एवं आधारहीन बताया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लेकर राज्य सरकार पर लगाये गये सभी आरोप अनर्गल तथा तथ्यहीन हैं।

प्रदेश के अपर मन्त्रिमण्डलीय सचिव रवीन्द्र सिंह ने आज यहां एनेक्सी स्थित मीडिया सेन्टर में आयोजित एक पत्रकारवार्ता में यह जानकारी देते हुए बताया कि नागर निकायों के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा संचालित जनहित की योजनाओं को अपेक्षाकृत और सशक्त ढंग से क्रियािन्वत करने के उद्देश्य से यह अनुभव किया गया कि वर्ष 1994 से पूर्व लागू महापौर एवं नगर पंचायतों एवं नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया को पुन: प्रभावी किया जाए।

अपर मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने बताया कि लगभग 16 वशाZें पूर्व लागू की गई इस व्यवस्था के बारे में यह अनुभव रहा कि अध्यक्षों एवं सभासदों के मध्य बेहतर ताल-मेल के अभाव में राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित नहीं हो पाता और नागर निकायों के कार्य प्रभावित भी हो रहे हैं। इसके साथ ही वर्तमान में मौजूद व्यवस्था से नागर निकायों के कार्यों में पारदर्शिता पूर्णरुप से नहीं आ पा रही है। इसके अलावा शासन के दिशा-निर्देशों का भी अनुपालन भी पूरी तरह नहीं हो पा रहा है तथा कार्यों में एक प्रकार का ठहराव आ रहा है।

श्री सिंह ने बताया कि अनुभव में यह देखा गया कि महापौर एवं सदन के बीच बेहतर सामंजस्य (Mutual understanding) प्राय: नहीं हो पाता है। यही स्थिति नगर पंचायतों/पालिका के अध्यक्षों एवं सभासदों के मध्य बनी रहती है, जिससे राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाएं सही ढ़ंग से संचालित नहंीं हो पाती, जिससे नागर निकायों के विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।

अपर मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि इस सम्बंध में इस तथ्य पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व्यवस्था के तहत जिला पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत के अध्यक्ष पद हेतु अप्रत्यक्ष निर्वाचन की प्रक्रिया पहले से ही लागू है। उन्होंने कहा कि लम्बे समय से लागू यह प्रक्रिया चूंकि सभी कसौटियों पर खरी उतरी है, इसलिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन की इसी प्रक्रिया को अब स्थानीय नागर निकायों के इन चुनावों में भी क्रियािन्वत करने का फैसला लिया गया है।

श्री सिंह ने कहा कि इस सम्बन्ध में माननीया मुख्यमन्त्री जी का मत है कि विभिन्न परिस्थितियों की जांच करके जनहित में किसी भी कानून में संशोधन करने का अधिकार सरकार को होता है। माननीया मुख्यमन्त्री जी का यह भी कहना है कि जब 40 वशाZें से अधिक समय तक अप्रत्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया को विभिन्न सरकारों ने लागू रखा, तब तो किसी ने विरोध नहीं किया, लेकिन जब कार्यहित में वर्तमान सरकार ने प्रक्रिया में संशोधन करने की कार्यवाही की तब सभी ने अनावश्यक विरोध करना शुरू कर दिया। इसे देखकर ऐसा लगता है कि विभिन्न कानूनों में संशोधन करने का अधिकार अन्य सरकारों को तो था, लेकिन वर्तमान सरकार के पास लगता है कि यह अधिकार है ही नहींं। माननीया मुख्यमन्त्री जी का यह भी कथन है कि ऐसे लोग अब किसी भी प्रकार से जनता का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए इस प्रकार की कार्यवाही कर रहे हैं।

इस सम्बन्ध में उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न राज्यों में मेयर व नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन की व्यवस्था लागू है। इन राज्यों में कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार, केरल, उड़ीसा तथा जम्मू-कश्मीर शामिल है। यह भी उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 243यक(2) में दी गई व्यवस्था के अनुसार, स्थानीय नागर निकायों के निर्वाचन से सम्बन्धित सभी विषयों के लिए कानून बनाने हेतु राज्य के विधान मण्डल को पूर्ण अधिकार प्राप्त है।

अपर मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि कल रात्रि विधान सभा के बाहर कतिपय अराजक तत्वों द्वारा कानून-व्यवस्था भंग करने का प्रयास किया गया, जिस पर स्थानीय प्रशासन द्वारा आवश्यक कदम उठाये गये तथा अराजक तत्वों को खदेड़ दिया गया। उन्होंने स्पश्ट किया कि कल रात्रि में विधान सभा के सामने इकट्ठा हुए अराजक तत्वों में अल्पसंख्यक समुदाय का कोई भी छात्र शामिल नहीं था, जैसा कि प्रचारित करने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि विधान सभा में अल्पसंख्यक समुदाय के प्रिशक्षण संस्थाओं के बारे में एक महत्वपूर्ण विधेयक भी पारित किया गया है, जिसके चलते भविश्य में अल्पसंख्यक वर्ग के िशक्षण संस्थानों को चलाना आदि अत्यन्त सुविधाजनक हो जायेगा।

श्री सिंह ने कल गौतमबुद्ध नगर जनपद में पी0ए0सी0 वाहनों पर कुछ अराजक तत्वों द्वारा की गई कार्यवाही के बारे में बताया कि लखनऊ स्थित पी0ए0सी0 की कम्पनी माननीया मुख्यमन्त्री जी के पिश्चमी उत्तर प्रदेश के जनपदों के भ्रमण के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए गौतमबुद्ध नगर भेजी गई थी, जहां से वह ड्यूटी पूरी करने के बाद वापस लखनऊ आ रही थी। इस कम्पनी के कुछ वाहन पहले ही सम्बन्धित घटना स्थल से निकल चुके थे, तभी अराजक तत्वों द्वारा अकारण पी0ए0सी0 के वाहनों पर कार्यवाही की गई, जिसको बाद में नियन्त्रित कर लिया गया। इस प्रकार इस घटना का भूमि अधिग्रहण के मामले से कोई भी लेना-देना नहीं है।

अपर मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि वाई कैटेगरी की सुरक्षा प्राप्त मा0 सांसद श्री शरद यादव द्वारा बिना पर्याप्त सूचना दिए घटना स्थल का भ्रमण किया गया। इस सम्बन्ध में माननीया मुख्यमन्त्री जी का कथन है कि कतिपय अराजक तत्वों द्वारा की गई इस घटना का राजनीतिकरण किया जाना अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। माननीया मुख्यमन्त्री जी का यह भी कहना है कि ऐसा लगता है कि ऐसे तत्वों को अब कोई मुद्दा राज्य सरकार के खिलाफ नहीं मिल रहा है।
अपर मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने बताया कि माननीया मुख्यमन्त्री जी ने जनपद गौतमबुद्ध नगर में कल हुई घटना की जांच सी0बी0सी0आई0डी0 से कराने के आदेश दिए हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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