शहर के आस पास Òू मापि या बेश कीमती जमीनों पर धड़ल्ले से कब्जा कर रहे हैं। यहां तक कि कब्रिस्तान तक नहीं बक्शे जा रहे हैं। वजह यह है कि Òू माफियाओं से राजस्व कर्मियों को घर बैठे मोटी रकम मिल जाती है। यदि कोई बवाल होता है तो सिरदर्द पुलिस को झेलना पड़ता है। नगर में कई ऐसे लेखपाल हैं जो जो Òू माफियाओं के बलबूते करोड़ों के मालिक बन बैठे हैं।
शहर कोतवाली तथा लाइन बाजार क्षेत्र के वििÒé मुहल्लों में ग्राम समाज की जमीनों पर कब्जा कर उनकी प्लाटिंग का काम जोरों पर चल रहा है। शहर में भू माफियाओं की गहरी पैठ जम गई है। यहां पर बैनामा किसी और जमीन का और कब्जा किसी और जमीन का किया जा रहा है। आमल यह है कि सरकारी जमीन, श्मसान घाट और दलितों के कब्रिस्तान पर भू माफिया काबिज हो कर बेच रहे हैं। ऐसा नहीं है कि नाजायज कब्जे की शिकायत अधिकारियों से नहीं की जाती। जांच करने पहुंचे लेखपाल और कानून गो मोटी रकम लेकर सब छीक कीइ रिपोर्ट कर देते हैं। कई जमीनों पर जबरन कब्जा किये गये है। पीड़ित अधिकरियों का चक्कर लगातेलगाते थक जाते हैं। लेकिन कोई सुनवाइ्र नहीं होती। हकीकत यह है कि भू मापि या और राजस्वकर्मी के बीच गहरी पैठ बन गई है।जिसमें यह तय है कि ग्राम समाज की जमीन बिकते ही आधा रूपया बांट लिया जायेगा। यदि ज्यादा दबाव पड़ता है अधिकारियों को समझाने बुझाने के लिए अलग से धन खर्च किया जाता है। कोई बवाल खड़ा हो तो राजस्व कर्मियों से कोई मतलब नहीं रहता उन्हे मतलब सिर्फ अपने हिस्से से होता है। भू माफियाओं के इस गोरखधन्धे में लिप्त कई राजस्व कर्मियों की अवकात करोड़ों में आंकी जा रही है। इनकी गोपनीय जांच करायी जाय तो भरष्टचार की पोल खुल सकती है। कई भू मापि याओं ने तो स्टाम्प में तगड़ी चोरी की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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