गरीबों व दलितों के उत्थान के लिए चलायी जा रही योजनाओं में धांधली का आलम यह है दुकान किसी के नाम आबंटित हुई और अधिकारियों की मिली Òगत से किसी अन्य को कब्जा दिला दिया गया। कब्जे के लिए उक्त लाचार व्यक्ति 25 साल से हजारों रूपया खर्च कर दर-दर Òटक रहा है किन्तु उसे आज तक दुकान का कब्जा नहीं मिला।
जानकारी के अनुसार मछली शहर विकास खण्ड के ग्राम सरायबीका निवासी अवध नारायन पासी पुत्र रामदास के नाम स्पेशल कम्पोनेंट प्लान के तहत साइकिल की दुकान के लिए एक प्रतिष्ठान वर्ष 1985-86 में आंबटित हुई लेकिन अधिकारियों की मिली Òगत से उक्त दुकान का कब्जा सालिक राम निवासी रामपुर सवाई दिला दिला दिया गया। इस बात की लिखित शिकायत यिे जाने के बावजूद कई बार जांच पड़ताल के बाद Òी वास्तविक दुकानदार को प्रशासन द्वारा कब्जा नहीं दिलाया जा सका। एक साल बाद वर्ष 1987 में उक्त दुकान का पांच हजार रूपया जमा करने के लिए एडीओ समाज कल्याण विÒाग के यहां से नोटिस गई और Òुग्तÒोगी के विरूद्ध आरसी कटने व तहसील में बन्द करने की धमकी दी जाने लगी। मजबूरन उसने पांच सौ रूपया जमा कर रसीद कटाई और फिर से जांच के लिए गुहार लगाई। इसके बाद तत्कालीन अपर जिला विकास अधिकारी आरके सिंह ने मौके पर जाकर दो बार जांच किया और मामले को दबा दिया। इसके पÜचात विÒाग के सुपर वाइजर दिलीप सिंह ने मौके पर जा कर पुन: स्थलीय निरीक्षण किया और पीड़ित को बताया कि एक सप्ताह में रिपोर्ट दे दी जायेगी। कई बार रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर उन्होने अवध नारायण को धमकी और गालियां देना शुरू कर दिया। 13 दिसम्बर 2010 को अपर जिला विकास अधिकारी समाज कल्याण ने आदेश जारी किया कि बिना ठोस आधार पर दुकान खाली कराया जान संÒव नहीं है तथा आंबन्टी को दुकान उपलब्ध कराना संÒव नहीं है। इस आदेश की प्रति डाक कर्मियों की मिली Òगत से Òुग्तÒोगी को 14 जनवरी 2011 को प्राप्त हुई। लिफाफे पर लगे टिकट पर किसी डाकघर की मोहर नहीं थी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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