मायावती सरकार ने वशZ 2011-12 के लिए घाटे का बजट प्रस्तुत कर और विकास के सकारात्मक कदम न उठाकर प्रदेश कों कंगाल और बीमार प्रदेश बनाने का काम दुहराया है। हमेशा की तरह इसमें उनके पत्थर, पार्क, स्मारकों पर व्यर्थ का खर्च होना है। जनता को राहत देने से रहित इस बजट से न तो क्षेत्रीय असन्तुलन में कमी आएगी और नहीं वित्तीय अनुशासन कायम हो सकेगा। यह बजट पूर्णतया जन विरोधी, किसान विरोधी और भ्रश्टाचार को बढ़ावा देने वाला है।
मुख्यमन्त्री के निर्देशन में बने इस बजट को दिशाहीन बजट ही कहा जाएगा। प्रदेश की जनता मंहगाई और भ्रश्टाचार की चक्की में पिस रही है। बसपा सरकार ने इससे निजात दिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं। इन मामलों में उसकी केन्द्र की कांग्रेस सरकार से मिलीभगत चल रही है।
मुख्यमन्त्री ने अनुत्पादक मदों पर ज्यादा खर्च करने की अपनी पुरानी आदत फिर दुहराई है। पाकोZ, स्मारकों के संचालन मद में 122 करोड़ रूपए खर्च किए जाने की कोई जरूरत नहीं थी। वैसे भी वे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट्स पर 5000 करोड़ रूपए तो खर्च करने ही जा रही है।
प्रदेश में अवस्थापना सुविधाओं की भीशण कमी है जिसकी वजह से इसकी औद्योगिक एवं आर्थिक प्रगति अवरूद्ध है। ग्रामीण इलाकों, छोटे उद्योगों के लिए सस्ते बिजली कनेक्शन की योजना नहीं है। सस्ती िशक्षा, सुलभ चिकित्सा व्यवस्था भी उपेक्षा की शिकार है। बाहरी पूंंजी निवेश नहीं हो रहा है। इस सब पर मुख्यमन्त्री का या इस सरकार का ध्यान नहीं हैं।
प्रदेश में कानून व्यवस्था की जर्जर स्थिति को सम्हालने और घाटे तथा कर्ज की स्थिति को पटरी पर लाने की कोई इच्छाशक्ति इस बजट में नहीं दिखाई देती है। प्रदेश की विकास की गति तेज करने की कोई स्पश्ट कार्ययोजना भी नहीं दिखाई दे रही है। किसान, गांव, खेती प्रदेश की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार हैं इनकी घोर उपेक्षा की गई है। किसान को समय से पर्याप्त खाद, बिजली, पानी,बीज उपलब्ध हों और उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले इसकी ओर भी इस सरकार का ध्यान नहीं है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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