केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ मे पोस्त-अफीम पर अन्तर्राष्ट््रीय सिमपोजियम के दूसरे दिन विदेशी तथा भारतीय वैज्ञानिकों ने विभिन्न विषयों पर अपनी प्रस्तुति की। जिसमे डा0 जे. फैजर ने स्लोवाकिया मे अफीम के प्रजनन विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने स्लोवाकिया मे कैसे अफीम की खेती की जाती है पर अपने विचार प्रस्तुत किये। डा0 सुनीता सिंह धवन, वैज्ञानिक सीमैप, नेे अफीम की विभिन्न विकसित प्रजातियों के डी0 एन0 ए0 मारकर के द्वारा अनुवांशिक पहचान की तकनीकियों पर प्रकाश डाला। डा0 सैन्टीयलो, हंगरी ने अफीम की पाले से प्रभावित नही होने वाली प्रजनन तकनीकियों पर अपने विचार रखे। उन्होनें बताया की प्रोलिन नाम एक एमिनो एसिड की मौजूदगी के कारण फसल (अफीम) पर पाले का प्रभाव कम पड़ता है। तथा यह एक प्राकृतिक प्रतिरोध का कार्य करता है।
दूसरे तकनीकी सत्र आनुवांशिक संसाधन एव फसल विकास मे डा0 एस0 पी0 सिंह पूर्व वैज्ञानिक एन0 बी0 आर0 आई0 ने अफीम की थिवेन की उच्च मात्रा वाली प्रजाति के विकास पर प्रकाश डाला।
डा0 जे0 बिन्जा ने अफीम प्रक्षेत्र मे मधुमक्खी द्वारा एकत्र किये गये पराग कणों का जैव रासायनिक एवं वाह्य संरचना का अध्ययन किया। डा0 तृप्ता झंग ने माइक्रो सटेलाइट मारकर तकनीकी से आनुवांशिक विभिन्नता पहचानने पर प्रकाश डाला। डा0 अनिल कुमार गुप्ता वैज्ञानिक सीमैप ने भी अफीम की प्रजनन विधियों पर अपने विचार रखे। डा0 पी0 के0 त्रिवेदी, वैज्ञानिक, एन0 बी0 आर0 आई0 ने अफीम की जीन सिक्वेनसिंग पर अपने विचार प्रस्तुत किये। इस क्रम मे सीमैप के वैज्ञानिक डा0 यू0सली लवानिया ने अफीम के प्रजनन विकास मे साइटोजनेटिक्स के महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किये। अफीम की सस्य क्रिया, फसल उत्पादन एवं पादप संरक्षण के तकनीकी सत्र मे डा. आई सालमन ने स्लोवाकिया मे पाई जाने वाली अफीम की विभिन्न प्रजातियो पर प्रकाश डाला, उन्होंने उन प्रजातियों के विभिन्न गुणों के बारे मे बताया कि किस प्रकार ये प्रजातियॉ दूसरी प्रजातियों से भिन्न हैं इसी क्रम मे डा0 जे0 बिन्जा ने अफीम के बीज संरचनात्मक विभिन्नता पर प्रकाश डाला।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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