मुख्यमन्त्री जब कभी अपने ही कारनामों से घिरती हैं, उन्हें इसके पीछे दलित विरोधी मानसिकता नज़र आने लगती है। विपक्ष के तकोZ को, हकीकत को नज़रअन्दाज करने का उनका यही पुराना तौर तरीका है। वे यह समझती हैं कि सच पर हमला कर और झूठ को बार-बार दुहराकर वे जनता को भरमाने में सफल हो जाएगी। लेकिन जब जर्मनी के तानाशाह हिटलर और उनके मन्त्री गोयबल्स का झूठ नहीं चला तो बसपा नेताओं का झूठ जनता को कैसे पचेगा यह तो सभी जानते है कि तथाकथित दलित महापुरूशों के नाम पर बसपा सरकार में जो भी योजनाएं चली हैं वे सब दिखावे के लिए हैं। इन योजनाओं से गरीबों का कहीं भी भला नहीं हो रहा है। आवास मिलना हो या रोजगार या बीपीएल कार्ड सबके रेट तय हैं। मुख्यमन्त्री का गुण्डा टैक्स दिए बगैर किसी को किसी योजना का लाभ नहीं मिलता है। कमीशन के चलते घटिया निर्माण से गरीबों के लिए बने मकान बनते हीं खण्डहर हो जाते हैं। दलितों को न तो इलाज मिल पा रहा हैं, न उनके बच्चों को मिड्डे मील और छात्रवृत्ति। दलित युवतियों के शादी-ब्याह के लिए मिलनेवाले अनुदान में भी घपला हो रहा है।
मुख्यमन्त्री ने अपने पूरे कार्यकाल में दलितों पर हुए अत्याचारों के प्रति कभी संवेदना नहीं जतायी। वे आज तक किसी पीड़ित दलित परिवार के पास उसको सान्त्वना देने नहीं गई। किसी के आंसू नहीं पोछें। मुख्यमन्त्री जिसे अपना पुख्ता वोट बैंक मानती हैं जब उसके प्रति भी वह ईमानदार नहीं है तो समाज के दूसरे वर्गो के प्रति उनकी वफादारी कोरी हवा हवाई ही है।
आज कल वे विकास कार्यो के औचक निरीक्षण दौरे का स्वांग कर रही हैं। जहां जाती है वहां पहले ही बड़े-बड़े विज्ञापन और होर्डिग स्वागत में लग जाते हैं। पहले से तय जगहों पर जाकर भी वे जब दो कदम आगे बढ़कर देखती हैं तो उन्हें अपने विकास के ढोल की पेाल नज़र आ जाती है। दिखावे के लिए वे कुछ को सजा दे देती हैं। पर नज़राना पहुंचते ही उन्हें फिर बहाल कर देती हैं। वे भी जानती है कि विकास का पैसा तो वे पहले ही लूट चुकी हैं। सरकारी संसाधनों, हेलीकाप्टर आदि का प्रयोग फिजूलखर्ची है। प्रदेश को कंगला बनाने के बाद वे उत्तर प्रदेश को विकासविहीन बनाने में लगी हैं। उनकी इन कार्यवाहियों का जनता जवाब लेगी और वक्त आने पर अपना फैसला सुनाएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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