राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि भारत सरकार के गृह मन्त्रालय के राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एन0सी0आर0बी0) द्वारा प्रकाशित “क्राइम इन इण्डिया´´ की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्तियों के विरुद्ध हुए अपराधों में कमी आयी है। एन0सी0आर0बी0 द्वारा जारी किये गये “क्राईम इन इण्डिया-2009´´ के आकंड़ो के अनुसार उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के विरुद्ध हुए अपराधों की दर 3.8 रही, जबकि राजस्थान में यह दर 7.5, उड़ीसा में 4.2, मध्य प्रदेश में 4.3, बिहार में 4.0, आन्ध्र प्रदेश में 5.4 दर्ज की गई है।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के खिलाफ होने वाली उत्पीड़न की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए कठोर कदम उठाये है। इन वर्गो के उत्पीड़न से सम्बंधित अपराधों की विवेचना में उ0प्र0 पुलिस द्वारा 94.8 प्रतिशत विवेचनाओं का निस्तारण सुनिश्चित किया गया है जबकि सम्पूर्ण भारत के कुल 35 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के विवेचना निस्तारण का प्रतिशत मात्र 74.1 रहा है तथा निस्तारित विवेचनाओं में उत्तर प्रदेश में आरोप पत्र का प्रतिशत 85.5 रहा है।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इन वर्गो से सम्बंधित वादों में प्रभावी पैरवी तथा उत्पीड़ित व्यक्ति को त्वरित न्याय दिलानें के लिए प्रदेश में 40 जनपदों में विशेष न्यायालयों का गठन किया गया है। अनुसूचित जाति/जनजाति के लिम्बत अभियोगों के तेजी से निस्तारण के लिए शासन द्वारा प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 71 फास्ट ट्रैक न्यायालयों को भी वादों के निस्तारण के लिए अधिकृत किया गया है। इस प्रकार जिलों में विशेष न्यायालय है और इसके अतिरिक्त फास्ट ट्रैक न्यायालय भी कार्यरत है।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 के वादों के मा0 न्यायालयों में प्रभावी पैरवी हेतु अभियोजन संवर्ग के अभियोजकों को विशेष लोक अभियोजक भी नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति का कोई भी विचाराधीन वाद वापस नही लिया गया, जबकि वर्ष 2009 में कर्नाटक में 3 एवं महाराष्ट्र में 5 वाद वापस लिये गये।
प्रवक्ता ने बताया कि अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों के विरुद्ध हुए अपराधों में उत्तर प्रदेश में दोषसिद्धि के प्रकरण में 3217 थे जबकि सम्पूर्ण भारत वर्ष में दोषसिद्धि के प्रकरण मात्र 5934 थे। इस प्रकार सम्पूर्ण भारत वर्ष में सजा किये गये प्रकरणों का 54.2 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में हुआ है तथा सजा की दर 52.6 रही है जबकि सम्पूर्ण भारत वर्ष में दोषसिद्धि का औसत दर मात्र 29.6 रहा।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा जुलाई, 2009 में शासनादेश निर्गत कर अनुसूचित जाति/जनजाति के उत्पीड़न के प्रकरणों में जनपद के वरिष्ठतम पुलिस अधिकारी द्वारा घटना स्थल का निरीक्षण तथा की गई कार्यवाही का विवरण मुख्यालय प्रेषित करने, जघन्य अपराधों में मण्डलीय अधिकारियों द्वारा घटना स्थल का निरीक्षण एवं कृत कार्यवाही की सूचना मुख्यालय प्रेषित करने तथा पीड़ित को अनुमन्य राहत राशि प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। इसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है।
प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में अनुसूचित जाति/जनजाति के विरुद्ध हुए अपराधो पर पूर्ण सजगता एवं संवेदनशीलता बरतते हुए घटनाओं का त्वरित पंजीकरण, समयबद्ध विवेचना एवं प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की गई है। जिसके फलस्वरुप उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराधों में गिरावट आयी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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