माया सरकार में दलितों को न्याय मिलने का बस यही अब एक चारा कि भूख हडताल पर बैठना पडे। अपने ही जमीन को पाने के लिए भूखे पेट खुले आसमान के नीचे महिला पुरूश समेत छोटे-छोटे मासूम बच्चों को भी घर से बेघर होकर अधिकारियों के आफिस के सामने बैठने को मजबूर होना पड रहा है। क्या ऐसे ही होगा सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय।
गौर तलब हो कि थाना अखण्डनगर क्षेत्र अन्तर्गत साकिन खानपुर पिलाई तहसील कादीपुर के दलित परिवार निर्मल “याम लाल, अंशलाल, तीजू, आदि लोग शनिवार को सुलतानपुर के जिलाधिकारी कार्यालय के सामने भूख हडताल पर बैठ गये जिनका आरोप है कि सन 1997 में गाटा संख्या 227 आवासीय पट्टा मिला जिसपर भवन निर्माण कर प्रार्थी अपने परिवार के साथ निवास करते चला आ रहा था। हल्का लेखपाल ने 5000 रू0 नकदी की मॉग की। सुविधा शुल्क न दे पाने के स्थित में उक्त हल्का लेखपाल प्रशासनिक अधिकारियों को गुमराह करते हुए स्थानीय थाना की मिली भगत से जुल्म ढहाया। न्याय की आस लिए जब दलित निर्मल बौध थाने पर पहुंचा तो उसे सलाखों के पीछे कर दिया गया। दो दिन तक थाने के अन्दर जुल्म ज्यादिती की जाती रही और दबाव में जबरदस्ती सादे कागज पर हस्ताक्षर भी करा लिये। उसके बाद जब छोडा गयां। तो घर पहुंच कर देखा कि उसका घर पूरा ढहा दिया गया है। और बच्चे तथा महिलाए खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। विवश होकर उक्त दलित परिवार सैकडों की तादात में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गये। आरोपियों का कहना है कि गणतन्त्र दिवस के दिन बेलवायी चौकी इन्चार्ज जबरदस्ती पकड़ ले गये। इस बाबत बसपा विधायक भगेलू राम से न्याय की गुहार की गई लेकिन न्याय नही मिला। जब कि तहसीलदार ने स्पश्ट आदेश दिया था कि मौके पर यथा स्थित बरकरार रहे। लेकिन पुलिस ने अपना खेल कर डाला।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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