वषोंü पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर रोक लगा दी क्योंç क जहां पर ाी ााद्य पदाथोंü से सम्बंधित कार्य हो रहा होगा उसके आसपास किसी किस्म की गन्दगी कूडे का एकत्रिकरण नहीं किया जायेगा। इसी आदेश के कारण नगर निगम द्वारा कुबेरपुर के समीप अपना नया ात्ताघर विकसित करने की योजना पर लााों रूपया र्च करने के बाद येाजना पर विराम लगा दिया गया था। इस ात्ताघर के कुछ ही दूरी पर मीट व मांस की पैकेजिंग यूनिट लगी हुई çाी। शहर से सैकडों टन गन्दगी कूडा सिल्ट प्रतिदिन निकलते देा और शहर के चहुओर विस्तारीकरण तथा यातायात व्यवस्था सुचारू न होने के कारण नगर निगम स्वास्थ्य विााग को तीाी अहसास हो गया था कि शाहगंज अथवा बुन्दूकटरा क्षेत्रों का कूडा लादकर यदि उसके ट्रक कुबेरपुर तक आयेंगे जायेंगे तो वहन् दिन ार में एक दो चक्कर से जयादा चक्कर नहीं लगा पायेंगे। इसीलिए उसने बिचपुरी रोड ग्यालियर रोउ जलेसर रोड पर तीन ात्ताघर बनाने हेतु जगह अधिग्रहण करवाने की कोशिश की थी, ताकि शाहगंज बोदला क्षेत्र की गन्दगी बिचपुरी रोड, ताजगंज से बुन्दूकटरा क्षेत्र की गंगदी ग्वालियर रोड तथा यमुनापार से छत्ता क्षेत्र की गन्दगी को जलेसर रोड पर ले जाकर उसे वहां उसका आधुनिक तरीके से निस्तारण किया जा सके।
माना जा रहा है कि यदि कुबेरपुर के ात्ताघर का संचालन शुरू हुआ तो डीके जोशी फिर से सुप्रीमकोर्ट की शरण ले सकते हैं। वैसे ाी आजकल गन्दगी कूडे को बिचपुरी रोड, लोहामण्डी से न्यू आगरा क्षेद्ध की गन्दगी को फतेहाबाद रोड के आसपास डलवाया जा रहा है क्योंकि यहां की गन्दगी को कुबेरपुर तक ले जाना रात में तो संाव है दिन में कतई संाव नहीं है क्योंकि तमाम चौराहों रेड लाईटों को पार करके दिन में एक चक्कर लगाना तो संाव है लेकिन दूसरा चक्कर नहीं। नगर गिनम अब अपना कूडा उठवाने, ात्ताघर पहुंचाने, निस्तारण करने का बोझा शासनादेश के क्रम में किसी निजी कंपनी को सौंपने जा रहा है परन्तु मूल प्रश्न यही है कि जिस काम को अब तक करोडों रूपये ार्च करने के बाद नगर निगम नहीं कर पाया निजी कंपनी कैसे कर पायेंगे? क्या उसके वाहन शाहगंज और बुन्दूकटरा की गन्दगी को ढोकर कुबेरपुर तक ले जा पायेंगे अथवा वह ाी नगर निगम की तरह इस कूडे को बाहरी शहर के ााली पडे ाूाण्डों में डलवायेंगे। मऊ रोड çस्थत कालिन्दीपुरम के दो ाूाण्डों का रेट इसलिए गिर गया था क्योंकि वह क्षेत्रीय कूडे-गन्दगी के ात्ताघर के रूप में परिवर्तित हो गये थे, इन दोनों ाूाण्डों को ारीदने वालों को पन्द्रह दिन लग गये थे तब कहीं हजारों रूपया ार्च करने पर वह ाूाण्डों को मकान बनाने लायक शक्ल में ला पाये थे। शहरी सफाई व्यवस्था से वषोंü तक जुडे रहे एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि नगर निगम निजी कंनी के मध्य जो ाी समझौता हुआ हो, जब तक निजी कंपनी शहर के तीन प्रमुा स्थानों पर अपने सेटैलाईअ स्टेशन यानी ट्रॉले लाकर ाडी नहीं करेगी यानी आसपास के क्षेत्रों से कूडा ारकर लाने वाले ट्रक अपनी गन्दगी को इन ट्रोला में नहीं उतारेंगे और बाद में यह ट्रोले रात के समय कुबेरपुर तक नहीं जायेंगे तब तक तो शहरी गन्दगी कूडा सिल्ट समीपवतीü ााली पडे ाूाण्डों में ही पडकर आसपास के लोगों को बीमार बनाती रहेगी। इस अधिकारी की नज़र में कुबेरपुर में ााद्य प्रसंस्करण यूनिट के समीप नया ात्ताघर विकसित करना एक प्रकार से सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना है, यदि कोई जनहित याचिका दाçाल हो गई तो सुप्रीम कोट्र क्या रूा अपनायेगा, अाी कुछ कहा नहीं जा सकता है।
जहां तक निजी कंपनी का प्रश्न है तो वह ाी टोरंट पावरकी तरह मायावती शासन का आर्शीवाद पाये हुये है। विगत दिनों जब निजी कंपनी ने नगर निगम के एम एण्ड टी वर्कशॉप पर कब्जा करने की कोशिश की तो सैंकडों नगर निगम कार्मिकों ने विरोध करके उसे लौटा दिया था। कंपनी का डोर टू डोर कूडा संकलन का इरादा इसी तरह कायम रहा तो शहर के मोहल्लों की सफाई करने वाले हजारों बाल्मीकि महिला पुरूषों के समक्ष रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो जायेगी। वैसे अधिकांश वाल्मीकि समाजी लोग बसपा से नहीं जुडे हुये हैं, इसलिए उनकी रोजी रोटी की चिन्ता करना बसपाईयों का काम ाी नहीं है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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