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……तो स्वीटजरलैण्ड के राष्ट्रपति को बुलाओं

Posted on 26 January 2011 by admin

देश का पैसा देश में लाओ, स्वीटजरलैण्ड के राष्ट्रपति को बुलाओं। हर वर्ष 15 अगस्त को हम देश की आजादी का जश्न मनाते हैं इस बार इस आजादी के जश्न को दोहरे जश्न में बदलने का मौका भी है और आवश्यकता भी। 15 अगस्त व 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्वो पर देश में विदेशी राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री मुख्य अतिथि होते हैं। इसी क्रम में क्यों न अगली बार भारत सरकार स्वीटजरलैण्ड के राष्ट्रपति को न्यौता भेजकर बुलाने का निवेदन करे उनके यहां हमारे देश का अरबों रूपया काले धन के रूप में जमा पड़ा है उनके आने से हमें दोहरा लाभ होगा। देश की आजादी के साथ आर्थिक आजादी का जश्न भी मना सकते हैं यानि आम के आम गुठली के दाम। इस अवसर पर हमें हमारा धन वापस करने की पुरजोर मांग उनसे करनी चाहिए। स्वीस राष्ट्रपति भी वहां के बैंकों से जल्द से जल्द भारतवासियों का धन वापस करने का निर्देश दें। जिस दिन यह हो जायेगा उसी दिन हमारा देश विकासशील देश से विकसित बन जायेगा। याद दिलाते चले मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने लगातार सरकार पर विदेशों में जमा काला धन वापस लाने तथा जमा करने वालों के नाम खोलने का दबाव बना रखा है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने भी केन्द्र सरकार को इस बारे में कड़े निर्देश दिये हैं। मीडिया की भूमिका अत्यन्त सराहनीय है, प्रशंसनीय है। उसने इस लूट मारी के खिलाफ गजब का जनजागरण किया है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वर्तमान भारत सरकार के प्रधानमन्त्री ने 2009 के आम चुनाव में देश वासियों से उनकी सरकार बन जाने पर तय समय में ही विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने का भरोसा दिलाया था। गौरतलब है कि मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने भी अपनी चुनावी घोषणा पत्र में उसकी सरकार आने पर 100 दिन के अन्दर पैसा भारत लाने का वादा किया था। अब भाजपा की सरकार तो बनी नहीं परन्तु वह अपनी बात पर कायम है। समय-समय पर केन्द्र सरकार को काला धन वापस लाने के लिये घेरती रहती है। सरकार की ओर से जो भाषा बोली जा रही है वह निराश करने जैसी है। टाल मटोल का फार्मूला अपनाया जा रहा है। यह सरकार तो जबानी जमा खर्च करने को तैयार नहीं दिखती सरकार को अपनी सरकती साख का भरोसा शायद नही है उनकी हर बात छन छन कर जनता के दिलो दिमाग तक असर कर रही है। सरकार नामों का खुलासा करे न करे विकीलक जरूर करेगी उसके पास नाम मौजूद हैं। आम आदमी की जुबान में बात की जाय तो वह इस लूट काण्ड के बारे में कहता मिलेगा जिसने सबसे लम्बे समय तक सत्ता का सुख लिया वही सबसे बड़ा जिम्मेदार है। चाह कर भी इस सच्चाई से कांग्रेस इनकार करे भी तो कैसे क्योंकि 63 सालों में 50 वषोZ से अधिक उसने ही देश पर राज्य किया है। इस समय भ्रष्टाचार के नाम पर सरकार की स्थिति सांप के मुंह में छछुन्दर जैसी है। खाये तो मरेगा छोड़े तो कोड़ी होगा। सरकार ने बेहद शर्मिन्दा किया। ऐसे हालत बन गये हैं अगर सर्वोच्च न्यायालय, मीडिया तथा विपक्षी पार्टियां सरकार को न चेतायें तो देश का भगवान ही मालिक है। भारत ऋषियों, मुनियों और तपस्वियों की भूमि है और शत-प्रतिशत परमात्मा ही इसका मालिक है। परम पूज्य महान् सन्त गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरित मानस में राम भरत मिलन के समय प्रभु श्रीराम ने भरत को राजधर्म के बारे में समझाते हुये बताया ´सिबी दधीचि हरीशचन्द्र नरेशा- सहे धरम हित कोटि कलेशा, रन्ति देव बलि भूप सूजाना- धरम धरेउ सहि संकट नाना´´। अर्थात इन्होंने राज धरम के लिये करोड़ों कष्ट सहे बुद्धिमान राजा रन्तिदेव और बलि बहुत से संकट सहकर भी धर्म को पकड़े रहे उन्होंने स्वप्न में भी धर्म का त्याग नहीं किया। धर्म न दुसर सत्य समाना- आगम निगम पुराण बखाना´´ वर्तमान सरकार व उसके मन्त्री, प्रधानमन्त्री सत्य धर्म का कितना पालन कर रहे हैं यह चर्चा आम है। भारत सरकार को स्वीस बैंकों में जमा देश के काले धन की पुख्ता जानकारी हो चुकी है। लगभग दो हजार खाता धारकों का 280 लाख करोड़ रू0 काले धन के रूप में विदेशी बैंकों में जमा है। इस धन के प्रकार के बारे में मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुये कहा कि यह महज कर की चोरी नहीं हेै बल्कि राष्ट्रीय सम्पत्ति की लूट है तथा राष्ट्रद्रोह जैसा है। यूपीए 2 सरकार में भ्रष्टाचार संक्रामक रोग की तरह फैल रहा है। लाख दावों के बावजूद भी सरकार स्थिति को नियन्त्रण कर पाने में सफल नहीं रही है। प्रधानमन्त्री इस स्थिति के कारण अपनी विश्वसनीयता खो बैठे हैं। सरकार में शामिल दल ही सरकार पर हमला बोल रहे हैं मन्त्री एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं। रह-रहकर शरद पवार- गरम पवार हो जा रहे है, ममता जी अपनी समता को भूलकर कठोरता का परिचय दे जाती हैं। यूपीए की चैयरमैन श्रीमती सोनिया गांधी जी सरकार की गलतियों को ढकने के नये नये बहाने बना रही है। राष्ट्रमण्डल खेल घोटाला, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला, आदर्श सोसाइटी घोटाला, जीवन बीमा निगम का हाउसिंग ऋण घोटाला और बोफोर्स घोटाले ने सत्तारूढ गठबंधन के नेताओं और षडयन्त्रकारियों के बीच गठजोड़ उजागर हुआ है। कहने को इनकी जांच चल रही है। राष्ट्रमण्डल खेल घोटाले में जिन अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई थी वह सब सीबीआई द्वारा कोर्ट को पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध न कराने के कारण जमानत पर छूट गये हैं। सीबीआई सरकार के अधीन काम करती है इसी कारण उसकी कार्रवाई पर सरकार से जुडे मामलों में पक्षपात का आरोप लगता है। अनेकों बार माननीय न्यायालय ने सीबीआई की लचर व्यवस्था पर कड़ी फटकार लगाई है। बताते चले केन्द्रीय सर्तकता आयुक्त पद पर आसीन पहले से ही भ्रष्टाचार में आरोपित पी0जे0थामस की नियुक्ति कर सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। जबकि दागदार छवि के थामस की नियुक्त का लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज ने कड़ा विरोध किया था। ईमानदार, स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष कामकाज के लिये सुषमा स्वराज की असहमति पर ध्यान दिया जाना चाहिए था। यही हाल 2 जी स्पेक्ट्रम की जांच जेपीसी से न कराने में संप्रग सरकार का है। विेदेशों में जमा काले धन के बारे में मा0 प्रधानमन्त्री जी व वित्तमन्त्री जी ने जिस भाषा का प्रयोग किया है वह निराश करने जैसी है। गौरतलब है कि प्रधानमन्त्री, वित्त मन्त्री दोनों ने धन की वापसी में द्विपक्षीय संधि को बाधा बताया। यह भाषा इस कहावत को चरितार्थ करती है कि हाथी के दॉन्त खाने के और दिखाने के और। यूपीए 2 सरकार में उंचे पदों पर भ्रष्टाचार, कमरतोड़ महंगाई, आर्थिक नाकामी, प्रबल तुष्टिकरण की नीति जिसके कारण कांग्रेस के नेता देशभक्तों को आतंकी और आतंकियों को देशभक्त बताते हैं। परम पूज्य भगवा रंग को आतंक से जोड़ना यह तुष्टिकरण की नीति की पराकाष्टा नहीं तो और क्या है। परम् पूज्य गुरू गोलवरकर जी जिस संगठन के 33वषोZ तक सरसंघचालक रहे हों जिनके प्रयासों से ही कश्मीर के राजा हरि सिंह ने अपने राज्य कश्मीर का विलय भारत में करने को तैयार हुये थे।ं तत्कालीन प्रधानमन्त्री पं0 जवाहरलाल नेहरू ने 1962 के चीनी आक्रमण के समय संघ की स्वंयसेवकों की भूमिका से प्रभावित होकर उनको राष्ट्रीय परेड में शामिल किया हो उस संघ परिवार को आतंकी बताना अलागाववादियों व फिरकापरस्तीयों की बातों का समर्थन करने जैसा ही है। कांग्रेस की सरकारों के चलते इनकी ढुलमुल नीतियों के कारण देश ने 1948 व 1962 के हमलों में देश के बड़े भूभाग को गवा दिया था। वह भूभाग आज भी दुश्मनों के कब्जे में है। वहां पर आज भी खुलेआम आतंकी कैम्प चलाये जा रहे हैं। सरकार की इन नीतियों के कारण ही पहले हमने जमीन गवांई, देश की रक्षा करते हुये हजारों की संख्या में वीर सैनिकों ने जान गवाई, अब तन मन के बाद देश का धन भी जो काले धन के रूप में विदेशी बैंकों में जमा है एक तरह से गंवा ही बैठे हैं। यह धन देश के किसानों की कड़ी मेहनत का पैसा है, छोटे-छोटे दुकानदारों से कर के रूप में लिया गया पैसा है तथा जो अन्य देशवासियों से टैक्स के रूप में लिया जाता है। उसका उपयोग आमजन के रोटी,कपड़ा,मकान, चिकित्सा, सुरक्षा आदि के लिये होता है उस पैसे को सरकार की लचर नीतियों का लाभ उठाकर अथवा मिलीभगत से विदेशों में जमा किया जा रहा है। यह निन्दनीय नहीं कठोर दण्डनीय श्रैणी में आता है। लोकतन्त्र के नाम पर लूटतन्त्र का राज चल रहा है एक विदेशी अमरीकन एजेन्सी के अनुसार आज भी प्रतिवर्ष 1 लाख 35 हजार करोड़ रू0 काले धन के रूप में प्रतिवर्ष देश से बाहर जमा हो रहा है।

नरेन्द्र सिंह राणा
लेखक, पावरलििफ्टंग के अन्तर्राष्ट्रीय कोच रहे हैं (लखनऊ, मो0 9415013300)

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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