भारतीय जनता पार्टी ने बसपा सरकार पर किसानों की बेशकीमती जमीन छीनकर औद्योगिक घरानों को देने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने करछना में आन्दोलित किसानों की जमीन छीनते समय स्वयं अपनी ही अधिग्रहण नीति का उल्लंघन किया है। प्रदेश प्रवक्ता सदस्य विधान परिषद हृदयनारायण दीक्षित ने आज रविवार को सम्वाददाताओं से वार्ता करते हुए कहा कि सरकार ने आगरा और मथुरा-टप्पल किसान आन्दोलन के बाद घोषणा की थी कि किसानों की कोई भी जमीन उनकी लिखित सहमति के आधार पर ही अधिग्रहित की जायेगी। यह भी घोषणा की गई थी कि आपसी बातचीत से तय हुए मूल्य के अलावा बीस हजार रूपये एकड का भुगतान 33 वर्ष तक किसान को किया जायेगा। 600 रूपये प्रति एकड़ इस धनराशि में प्रतिवर्ष बढ़ोत्तरी की भी घोषणा की गई थी। प्रभावित किसान परिवार के एक सदस्य को कुल 1.85 लाख रूपये की मजदूरी भी पांच वर्ष की अवधि तक दी जायेगी। सम्बन्धित कम्पनी द्वारा प्रभावित किसानों को 25 प्रतिशत शेयर देने की घोषणा थी। लेकिन सरकार ने करछना मामले में अपनी ही नीति नहीं लागू की।
श्री दीक्षित ने कहा कि करछना में बिजली विभाग द्वारा भी सम्बन्धित कम्पनी के साथ डील की गई है। कम धनराशि के टेन्डर डालने वाले के साथ समझौता करने के बजाये पावर कार्पोरेशन ने घाटे का सौदा किया है। यह अतिरिक्त जांच का विषय है। सरकार दोनो हाथ लूट रही है। औद्योगिक घरानों और सरकार के बीच व्यापारिक समझौते हैं। इसीलिए सरकार किसानों पर हमलावर है। सरकार ने करछना में मारे गये किसान को आत्महत्या बताकर भी झूठ बोला है। भाजपा किसान उत्पीड़न, सरकार और औद्योगिक कंपनी की सांठगांठ का मसला विधानमण्डल के दोनो सदनों में उठायेगी। पार्टी यह सवाल आम जनता में भी ले जायेगी। यह बात सुस्पष्ट हो गई है कि सरकार किसान विरोधी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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