चुनाव को लेकर सियासी दलों की सरगर्मियंा तेज

Posted on 17 January 2011 by admin

मिशन् 2012 विधान सभा का चुनावी रिहर्सल राजनीतिक दलों ने शुरू कर दिया है। जहां कई राजनैतिक धुरन्धरों पर तलवारें लटकी है वही पार्टियों में उथल पुथल भी चल रही है। प्रमुख राजनैतिक दल सपा बसपा भाजपा व काग्रेंस एक दूसरे के मतों में सेध मारी करने को प्रयास रत सतरंजी चालें चलना शुरू कर दिया है।

गौरतलब हो कि लोकतन्त्र में राजतन्त्र का बदला स्वरूप जन भावनाओें के साथ खिलवाड़ है। जहां जोर जबरदस्ती घोटाले पर घोटाला जुल्म जादतियां व हत्यायें आदि जैसी घटनाओं को संरक्षण दे स्वार्थ परक नेता अपना उल्लू सीधा करने में महारथ हासिल कर रखी है। चुनाव के दौड़ मे लोकसभा,एमएलसी,जिलापंचायत, त्रिस्तरीय पंचायत, ब्लाक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव के उपरान्त अब आगामी विधान सभा चुनाव पर राजनैतिक दलों ने अपनी निगाहें टिका दी है। ऐसे में जनभावनाओं को भुनाने को प्रयासरत प्रमुख राजनैतिक दल सपा बसपा कांग्रेस भाजपा एक दूसरे के मतों में सेंध मारी कर जिला फतह् करने के प्रयास में सरतरंजी गोटे विछाने शुरू कर दी है। भाजपा गांव चलो अभियान के तहत ग्रामीणों के बीच अपनत्व दिखाने को प्रयास रत है। वही सपा व कांग्रेस प्रदेश सरकार  पर तीखा प्रहार कर जनभावनाओं को अपनी तरफ आकर्सित करने को बेताब है। दूसरी तरफ सत्ता पक्ष बसपा जन कल्याणकारी नीतियों का गुण गान कर पार्टी के दिग्गजोें को जनता के बीच बने रहने की हिदायत दे रखी है। सूत्रों के अनुसार बसपा सुप्रीमों मायावती ने अपने जन्म दिन के अवसर पर जन कल्याणकारी योजनाओं को लागू कर जनभावनाओंं को भुनाने के अथक प्रयास किया है। जबकि सत्ता रस में डूबे पार्टी के विधाायक मन्त्री व जिम्मेदार पदाधिकारी चाटुकारों से घिरे जनभावनाओं का कद्र करना मुनाशिब नही समझा। सूत्रों के अनुसार सत्ता का सुख भोग रहे  पार्टी के कई जिम्मेदार पदाधिकारी व विधायक केा हत्या जुल्म व बलात्कार जैसे गम्भीर आरोपों के चलते मुख्य मन्त्री मायावती ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। चर्चाओं के अनुसार सुल्तानपुर की पांच विधानसभा सीटों में दो वर्तमान विधायकों के पर कतरे जाने की उम्मीदें है वही सपा कांग्रेस व भाजपा में दिग्गज नेताअेां के पर कतर कर नये लोगों को पार्टी प्रत्याशी बनाये जाने के आसार के रहते राजनीतिक पार्टियों में भगदड़ मचने की उम्मीद है। उथल-पुथल के समीकरण में जातीय आकड़े, राजनैतिक प्रतिद्धिन्दता व नये परिसीमन में राजनैतिक धुरन्धर सुरक्षित स्थान के लिये तलाश में मैराथन दौड़ शुरू कर रखा है। गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले नेता जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ कर हत्यायें जुल्म जादतिया,अपरहरण आदि धिनौने अपराधों व अपराधी को संरक्षण दे स्वार्थ परक नीतियां लागू करके सत्ता सुख भोगने के लिये कामयाब होते रहते है। ज्ञातब्य हो कि लोक तन्त्र में राज्य तन्त्र का परिदृश्य बदल चुका है, पहले जनप्रतिनिध जनभावनाओं का कद्र कर जनकल्याणकारी नीतियां लागू करने में इमानदारी का प्रयास करते रहे। यहां तक कि अपने त्याग भावनाओं व इमानदारी से जनता का दिल जीतनें में कामयाब रहते थे। आज अपराध जगत में `पैर रखने वाले ही बड़े नेता´ व सम्मानित व्यक्तियों में से एक है। जबकि कुछ बुद्विजीबी त्याग व बलिदान की भावना रखने वाले इमानदार लोग भूमिगत हो गये है। लोगों का कहना है कि भ्रस्टाचार को जन्म देने वाले व अपराधियों के सरक्षंण में सत्तासीन बाकी राजनैतिक दलों पर कब अकुंश लगेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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